नियमित अभ्यास क्विज़ (Daily Pre Quiz) - 175

Posted on July 4th, 2019 | Create PDF File

hlhiuj

प्रश्न-1 : कार्बन पृथक्करण के लिये निम्नलिखित में से किन विधियों का प्रयोग किया जा सकता है ?

  1. खनिजों का कार्बनीकरण  
  2. पुनर्वनीकरण
  3. विलेयता बाधित करना

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनियेः   

(a) केवल I और II

(b) केवल II और III

(c) केवल I और III

(d) I, II और III

 

उत्तर - ()

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

प्रश्न-2 : ओजोन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं ?

  1. यह पराबैंगनी किरणों जैसी विकिरणों को अवशोषित करती है।  
  2. यदि यह क्षोभमंडल में उपस्थित हो तो एक प्रदूषक बन जाती है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनियेः   

(a) केवल I

(b) केवल II

(c) I और II दोनों

(d) इनमें से कोई नहीं

 

उत्तर - ()

 

 

 

 

 

 

 

 

प्रश्न-3 : जियो-इंजीनियरिंग के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं ?

  1. इसका उद्देश्य पृथ्वी की सतह तक पहुँचने वाले सूर्य के प्रकाश की मात्रा को सीमित करना है।  
  2. बादलों के बढ़ते धवलता (एल्बिडो) से पृथ्वी की सतह तक पहुँचने वाली सौर विकिरण में वृद्धि होती है।
  3. कार्बन अधिग्रहण और प्रच्छादन, वातावरण से ग्रीनहाउस गैसों को हटाने/अलग करने में मदद करते हैं।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनियेः   

(a) केवल I और III

(b) केवल II और III

(c) केवल III

(d) I, II और III

 

उत्तर - ()

 

 

 

 

 

 

 

 

 

प्रश्न-4 : निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये -

  1. यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो पृथ्वी की सतह को गर्म करती है। 
  2. वायु में जल वाष्प की सांद्रता बढ़ने से ग्रीनहाउस प्रभाव को नियंत्रित किया जा सकता है।
  3. कृषि और भूमि समाशोधन जैसी मानवीय गतिविधियाँ इसे बढ़ावा देती हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं ? 

(a) केवल II

(b) केवल I और III

(c) केवल III  

(d) I, II और III   

 

उत्तर - ()

 

 

 

 

 

 

 

 

 

प्रश्न-5 : निम्नलिखित में से कौन-सी गतिविधि/गतिविधियाँ वैश्विक तापन (ग्लोबल वार्मिंग) को बढ़ावा देती है/हैं ?

  1. धान की खेती 
  2. तटीय आर्द्रभूमि को पुनर्स्थापित करना
  3. वातावरण में जल वाष्प की मात्रा में वृद्धि

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनियेः   

(a) I, II और III

(b) केवल II और III

(c) केवल I

(d) केवल I और III

         

उत्तर - ()

 

 

 

 

उत्तरमाला

 

 

 

 

 

उत्तर-1 : (d)         

 

व्याख्या : 

  • कार्बन का अवशोषण तथा भण्डारण कार्बन पृथक्करण (carbon sequestration) कहलाता है। यह एक तकनीक है जिसका विकास विद्युत गृहों एवं औद्योगिक स्थलों पर प्रत्यक्ष रूप से वातावरण से तथा भूमि सतह के नीचे स्थायी रूप से CO2 का अवशोषण कर वैश्विक तापमान को नियंत्रित करने के लिये किया गया है। यह कार्बन को कार्बन सिंक में स्पंदित कर किया जाता है।
  • कार्बन सिंक वह क्षेत्र होता है जहाँ कार्बन अवशोषित होता है। कार्बन सिंक (carbon sink)- यह एक प्राकृतिक या कृत्रिम जलाशय होता है जो एक निश्चित अवधि के लिये कुछ कार्बन युक्त रासायनिक यौगिकों को एकत्र कर संचित करता है।

 

पृथक्करण के प्रकार- वातावरण से कार्बन अवशोषण के लिये अनेक तकनीकों का निरीक्षण किया जा रहा है। इन्हें मुख्य रूप से तीन श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है-

  1. महासागरीय पृथक्करण (ocean sequestration)- कार्बन डाईऑक्साइड को सावधानी पूर्वक समुद्र की गहराई में डाला जाता है ताकि अवशोषित CO2 को वातावरण से पृथक कर दशकों तक रखा जा सके।
  2. भूगर्भिक पृथक्करण (geological sequestration)- इसमें तीन मुख्य प्रक्रियाएँ होती हैं- अवशोषण, ट्रांसपोर्टिंग तथा स्थायी या अस्थायी भण्डारण के लिये कार्बन डाईऑक्साइड को एक भूगर्भिक संरचना में रखना। कार्बन डाईऑक्साइड को इंजेक्शन वेल्स (injection wells) के एक सिस्टम के माध्यम से भूगर्भिक संरचना में रखा जाता है।
  3. स्थलीय पृथक्करण (terrestrial sequestration)- कार्बन की एक बड़ी मात्रा भूमि में संचित है और वनस्पतियाँ भी पृथ्वी की सतह पर काफी मात्रा में पाई जाती हैं जो हमारा प्राकृतिक कार्बन सिंक हैं। प्रकाश संश्लेषण द्वारा कार्बन स्थिरीकरण में वृद्धि, जैविक पदार्थों के अपघटन में कमी या धीमा होना और भूमि प्रयोग की बदलती गतिविधियाँ इन प्राकृतिक सिंक्स में कार्बन अपटेक को बढ़ा सकती हैं।

 

भूगर्भिक पृथक्करण या ट्रैपिंग मैकेनिज़्म में निम्नलिखित को शामिल किया जाता है:

 

  1. हाइड्रो डायनामिक ट्रैपिंग-कार्बन डाईऑक्साइड का अवशोषण निम्न पारगम्य कठोर चट्टानों (गैस गुहिका में संचित प्राकृतिक गैस की तरह) से एक गैस के रूप में किया जाता है।
  2. विलेयता बाधा-कार्बन डाईऑक्साइड तरल में घुल जाता है जैसे जल या ऑयल।
  3. खनिजों का कार्बनीकरण-एक भूगर्भिक संरचना में स्थिर यौगिकों/खनिजों, कैल्शियम, आयरन तथा मैग्नीशियम कार्बोनेट को तैयार करने के लिये कार्बन डाईऑक्साइड खनिजों, द्रवों तथा जैविक पदार्थों के साथ प्रतिक्रिया कर सकता है।

 

 

 

 

 

 

 

उत्तर-2 : (c)

 

व्याख्या : 

  • ओज़ोन परत, जिसे ओज़ोनोस्फीयर भी कहा जाता है, ऊपरी वायुमंडल (समतापमंडल) का एक क्षेत्र है, जो पृथ्वी की सतह से लगभग 15 और 35 किमी. के बीच विस्तृत है। इसमें ओज़ोन अणुओं(O3) की अपेक्षा उच्च सांद्रता होती है। ओजोन (O3) ऑक्सीजन (O) के तीन परमाणुओं से बना एक अपेक्षाकृत अस्थिर अणु है।
  • ओज़ोन परत प्रभावी ढंग से पृथ्वी की सतह तक पहुँचने से 290 नैनोमीटर से कम तरंगदैर्ध्य के लगभग सभी सौर विकिरण को अवरुद्ध करती है, जिसमें कुछ प्रकार के पराबैंगनी और अन्य प्रकार के विकिरण शामिल होते हैं जो जीवित चीज़ों को नुकसान पहुँचा सकते हैं। अतः कथन 1 सही है।
  • ओज़ोन की उपस्थिति कहाँ है, उसके आधार पर यह पृथ्वी पर जीवन की रक्षा कर सकता है या उसे नुकसान पहुँचा सकता है। अधिकांश ओज़ोन समतापमंडल में मौजूद हैं जहाँ यह सूर्य के हानिकारक पराबैंगनी विकिरण से पृथ्वी की सतह की रक्षा के लिये एक ढाल के रूप में कार्य करता है।
  • क्षोभमंडल में धरातल के समीप रहने पर ओज़ोन एक हानिकारक प्रदूषक होता है जो फेफड़ों के ऊतकों और पौधों को नुकसान पहुँचाता है। अतः कथन 2 सही है।

 

 

 

 

 

 

 

उत्तर-3 : (a)

 

व्याख्या : 

  • जियो-इंजीनियरिंग जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिये पृथ्वी की प्राकृतिक प्रणालियों में जान-बूझकर किया जाने वाला तथा बड़े पैमाने का हस्तक्षेप है।
  • जियो-इंजीनियरिंग योजनाएँ, जिनमें आम तौर पर हवा में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड को हटाकर या सूर्य की सतह पर पहुँचने वाली सूर्य के प्रकाश की मात्रा को सीमित करके जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिये तैयार की गई परियोजनाएँ हैं। वृहत् परिमाण वाली जियो-इंजीनियरिंग अब भी एक अवधारणा है। अतः कथन 1 सही है।

 

सोलर रेडिएशन मैनेजमेंट (SRM) या सोलर जियो-इंजीनियरिंग

SRM तकनीकों का उद्देश्य सूर्य की ऊर्जा के एक छोटे से हिस्से को अंतरिक्ष में वापस भेजना है, इसकी प्रस्तावित तकनीकों में शामिल हैं:

 

  • एल्बिडो/धवलता में वृद्धि : बादलों या भूमि की सतह की परावर्तनीयता को बढ़ाना ताकि सूर्य की अधिकांश गर्मी को वापस अंतरिक्ष में भेजा जा सके। बादलों की धवलता में वृद्धि से पृथ्वी की सतह तक पहुँचने वाले सौर विकिरण में कमी आती है। अतः कथन 2 सही नहीं है।
  • अंतरिक्ष परावर्तक : सूर्य के प्रकाश के एक छोटे से हिस्से को  पृथ्वी तक पहुँचने से पहले रोकना।
  • समतापमंडलीय एयरोसोल :  पृथ्वी की सतह तक पहुँचने से पहले कुछ सूर्य के प्रकाश को परावर्तित करने के लिये ऊपरी वायुमंडल में छोटे, परावर्तक कणों को प्रवेश कराना।

 

ग्रीनहाउस गैसों का निष्कासन (GGR) या कार्बन जियो-इंजीनियरिंग

Greenhouse Gas Removal (GGR) or Carbon Geoengineering

 

GGR प्रौद्योगिकियों का उद्देश्य कार्बन डाइऑक्साइड या अन्य ग्रीनहाउस गैसों को वायुमंडल से हटाना/निष्कासित करना, ग्रीनहाउस के बढ़ते प्रभाव और महासागरीय अम्लीकरण का प्रत्यक्ष मुकाबला करना है। अतः कथन 3 सही है।

 

  • वनीकरण: वैश्विक स्तर पर वृक्षारोपण के प्रयास में संलग्न होना।
  • बायोचार: 'बायोमास' कार्बनीकरण कर उसे मिट्टी में गाड़ना ताकि उसके कार्बन मिट्टी में बंद हो जाए।
  • कार्बन जमा और प्रच्छादन के साथ जैव-ऊर्जा:  बायोमास में वृद्धि करना, ऊर्जा उत्पादन के लिये इसे जलाना और इस प्रक्रिया में निर्मित कार्बन डाइऑक्साइड को संचित करना तथा उसका पृथक्करण करना।
  • परिवेश वायु अथवा एम्बिएंट एयर कैप्चर: बड़ी मशीनों का निर्माण करना जो सीधे परिवेशी वायु से कार्बन डाइऑक्साइड को पृथक् कर कहीं और संग्रहीत कर सकें।
  • महासागर उर्वरीकरण: प्राथमिक उत्पादन बढ़ाने के लिये महासागरों में पोषक तत्त्वों की वृद्धि करना।

 

 

 

 

 

 

 

 

उत्तर-4 : (b)

 

व्याख्या : 

ग्रीनहाउस प्रभाव

  • ग्रीनहाउस प्रभाव एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो पृथ्वी की सतह को गर्म करती है। जब सूर्य की ऊर्जा पृथ्वी के वायुमंडल में पहुँचती है, तो इसमें से कुछ वापस अंतरिक्ष में परावर्तित हो जाती है और शेष ग्रीन हाउस गैसों द्वारा अवशोषित एवं पुनः विकीर्णित हो जाती है। अतः कथन 1 सही है।
  • ग्रीनहाउस गैसों में जल वाष्प, कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड, ओज़ोन और कुछ कृत्रिम रसायन जैसे क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFCs) शामिल हैं। अतः कथन 2 सही नहीं है।
  • अवशोषित ऊर्जा वायुमंडल और पृथ्वी की सतह को गर्म करती है। इस प्रक्रिया में पृथ्वी का तापमान लगभग 33 डिग्री सेल्सियस तक गर्म रहता है, जो पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति में सहायक होता है।

 

ग्रीनहाउस प्रभाव को बढ़ावा देना

  • अब हम जिस समस्या का सामना कर रहे हैं, वह यह है कि मानव गतिविधियाँ- विशेष रूप से जीवाश्म ईंधन (कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस), कृषि एवं भूमि समाशोधन के कारण ग्रीनहाउस गैसों की सांद्रता में वृद्धि हो रही है। यह संवर्द्धित ग्रीनहाउस प्रभाव ही पृथ्वी के तापमान में हो रही वृद्धि के लिये उत्तरदाई है। अतः कथन 3 सही है।

 

 

 

 

 

 

 

उत्तर-5 : (d)

 

व्याख्या : 

  • ‘धान’ की खेती से होने वाला मीथेन उत्सर्जन मानवीय गतिविधियों के कारण होने वाले वैश्विक मीथेन उत्सर्जन के लगभग एक-चौथाई भाग का पाँचवा हिस्सा है।
  • जलमग्न चावल/धान की मिट्टी में पाए जाने वाले बैक्टीरिया और अन्य सूक्ष्म जीव कार्बनिक पदार्थों को विघटित करते हैं और मीथेन का उत्पादन करते हैं, जो ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ावा देता है।
  • ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में तटीय आर्द्रभूमि की बहाली (Restoration) की बहुत बड़ी भूमिका होती है क्योंकि आर्द्रभूमियाँ अधिक-से-अधिक कार्बन का संग्रहण करने और ग्लोबल वार्मिंग/वैश्विक तापन को कम करने के लिये सबसे बड़े साधन के रूप में काम करती हैं।
  • जल वाष्प को पृथ्वी की सबसे प्रचुर ग्रीनहाउस गैस के रूप में जाना जाता है। इसके अंदर हवा में ऊष्मा को रोकने का गुण होता है, जो वातावरण में उष्मीय/हीटिंग प्रभाव को बढ़ाता है। इसलिये जल वाष्प में ग्लोबल वार्मिंग को तेज़ करने की क्षमता अधिक है।

अतः विकल्प (d) सही है।