नियमित अभ्यास क्विज़ (Daily Pre Quiz) - 165

Posted on June 19th, 2019 | Create PDF File

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प्रश्न-1 : हाल ही में गठित 15वें वित्त आयोग के संदर्भ सहित, भारत में वित्त आयोग के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये -

  1. वित्त आयोग भारतीय संविधान के अनुच्छेद 280 के अंतर्गत प्रदत्त एक गैर-न्यायिक संवैधानिक निकाय है।
  2. यह स्थानीय सरकारों हेतु संसाधन जुटाने के लिये ज़िम्मेदार नहीं है।
  3. संविधान द्वारा राष्ट्रपति को आयोग के सदस्यों की योग्यतों और उनके चयन की प्रक्रिया निर्धारित करने के लिये प्राधिकृत किया गया है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?   

(a) केवल I और III

(b) केवल II और III

(c) I, II और III

(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं

 

उत्तर - ()

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

प्रश्न-2 : संविधान में भाषायी अल्पसंख्यकों के लिये विशेष अधिकारी को निम्नलिखित में से किस संविधान संशोधन द्वारा जोड़ा गया था ?

 

(a) 7वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1956

(b) 24वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1971

(c) 42वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1976

(d) 14वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1962

 

उत्तर - ()

 

 

 

 

 

 

 

 

 

प्रश्न-3 : भारत के महान्यायवादी के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-से सही हैं ?

  1. संविधान द्वारा महान्यायवादी का कार्यकाल निश्चित नहीं किया गया है।
  2. उसे एक संसद सदस्य को प्राप्त सभी विशेषाधिकार और भत्ते मिलते हैं।
  3. उसे निजी विधिक कार्यवाही से नहीं रोका जा सकता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?   

(a) केवल I और II

(b) केवल II और III

(c) केवल I और III

(d) I, II और III

 

उत्तर - ()

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

प्रश्न-4 : नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये -

  1. सेवानिवृत्ति के बाद CAG भारत सरकार या किसी राज्य सरकार में किसी भी अन्य पद के लिये अर्ह नहीं होता है।
  2. CAG के सभी प्रशासनिक व्यय भारत की संचित निधि पर भारित होते हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल I

(b) केवल II

(c) I और II दोनों

(d) इनमें से कोई नहीं   

 

उत्तर - ()

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

प्रश्न-5 : भारतीय निर्वाचन आयोग के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये -

  1. चुनाव आयुक्त को उसी रीति से तथा उन्हीं आधारों पर हटाया जा सकता है जिस तरह उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को हटाया जाता है।
  2. संविधान ने सरकार द्वारा सेवानिवृत्त चुनाव आयुक्तों की किसी भी भावी नियुक्ति को प्रतिबंधित कर दिया है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं ?

(a) केवल I

(b) केवल II

(c) I और II दोनों

(d) इनमें से कोई नहीं

         

उत्तर - ()

 

 

 

 

उत्तरमाला

 

 

 

 

 

उत्तर-1 : (d)         

 

व्याख्या :

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 15वें वित्त आयोग के गठन को मंज़ूरी दी है। एन.के. सिंह इसके अध्यक्ष होंगे, 30 अक्तूबर, 2019 तक इसे अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिये कहा गया है।

भारत का वित्त आयोग: संविधान का अनुच्छेद 280 एक अर्द्ध-न्यायिक निकाय के रूप में वित्त आयोग के गठन का प्रावधान करता है। वित्त आयोग का गठन राष्ट्रपति द्वारा प्रत्येक 5 वर्ष में (या अगर वह ज़रूरी समझे तो उससे पहले भी) किया जाता है। वित्त आयोग भारत में राजकोषीय संघवाद के संतुलनकारी चक्र के रूप में कार्य करता है और निम्नलिखित मामलों में राष्ट्रपति को अपनी अनुशंसाएँ देता है-

  • केंद्र और राज्यों के बीच साझा किये जाने वाले करों की शुद्ध प्राप्ति के वितरण (सामान्यत: इसका उल्लेख संसाधनों के ऊर्ध्वाधर बँटवारे के रूप में किया जाता है) और इस तरह की प्राप्ति का संबंधित राज्यों में आवंटन (सामान्यत: उल्लेख संसाधनों के क्षैतिज बँटवारे के रूप में किया जाता है)।
  • केंद्र द्वारा राज्यों को संचित निधि से दी जाने वाली अनुदान सहायता को शासित करने वाले सिद्धांत।
  • राज्य वित्त आयोग द्वारा की गई अनुशंसा के आधार पर स्थानीय सरकारों (राज्य में पंचायत और नगर पालिकाओं) के संसाधनों की सम्पूर्ति के लिये राज्य की संचित निधि में वृद्धि हेतु आवश्यक उपाय। अत: कथन 2 सही नहीं है।
  • वित्तीय सुदृढ़ीकरण संबंधी कोई भी अन्य मामला जिसे राष्ट्रपति द्वारा इसके पास भेजा गया हो।
  • वित्त आयोग की अनुशंसाएँ अपनी प्रकृति में परामर्शकारी होती हैं।

अर्द्ध-न्यायिक निकाय क्यों है? वित्त आयोग अधिनियम, 1951 में यह प्रावधान है कि किसी भी कोर्ट ऑफ ऑफिस से किसी सार्वजनिक अभिलेख को मंगवाने और उसको अपने समक्ष प्रस्तुत करवाने के लिये समन जारी करने के संदर्भ में वित्त आयोग को सिविल प्रक्रिया संहिता (1908) के तहत दीवानी न्यायालय की सभी शक्तियाँ प्राप्त होंगी। इसके अलावा, सी.आर.पी.सी. (दंड प्रक्रिया संहिता), 1898 की धारा 480 और 482 के प्रयोजनों के लिये वित्त आयोग एक दीवानी न्यायालय के रूप में कार्य करेगा। अत: कथन 1 सही नहीं है।

  • संरचना और योग्यता: वित्त आयोग में राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त एक अध्यक्ष और चार अन्य सदस्य शामिल होते हैं। संविधान ने संसद को वित्त आयोग के सदस्यों की योग्यता और चयन की प्रक्रिया को निर्धारित करने का अधिकार दिया है।

अत: कथन 3 सही नहीं है।

 

 

 

 

 

 

उत्तर-2 : (a)

 

व्याख्या :

  • मूल रूप से भारत के संविधान में भाषायी अल्पसंख्यकों के विशेष अधिकारी के संबंध में कोई प्रावधान नहीं किया गया। बाद में, राज्य पुनर्गठन आयोग (वर्ष 1953-55) ने इस संबंध में सिफारिश की। तदनुसार, सातवें संविधान संशोधन अधिनियम, 1956 द्वारा संविधान के भाग XVII (17)  में एक नया अनुच्छेद 350-B जोड़ा गया। अत: (a) सही विकल्प है।

इस अनुच्छेद में निम्नलिखित प्रावधान हैं:

  • भाषायी अल्पसंख्यकों के लिये एक विशेष अधिकारी होना चाहिये। वह भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाएगा।
  • संविधान के तहत भाषायी अल्पसंख्यकों के लिये प्रदान किये गए सुरक्षा उपायों से संबंधित सभी मामलों की जाँच करना विशेष अधिकारी का कर्त्तव्य होगा। वह उन मामलों पर राष्ट्रपति को रिपोर्ट करेंगा जिनके संबंध में राष्ट्रपति निर्देश दे सकते हैं। राष्ट्रपति को संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष ऐसे सभी प्रतिवेदन रखने चाहिये और संबंधित राज्यों की सरकारों को भी भेजा जाना चाहिये।
  • संविधान भाषायी अल्पसंख्यकों के लिये विशेष अधिकारियों की योग्यता, कार्यकाल, वेतन और भत्ते, सेवा की शर्तों तथा उन्हें हटाए जाने की प्रक्रिया निर्दिष्ट नहीं करता है।

 

 

 

 

 

 

 

उत्तर-3 : (d)

 

व्याख्या :

संविधान में (अनुच्छेद-76) भारत के महान्यायवादी के पद की व्यवस्था की गई है। वह देश का सर्वोच्च कानून अधिकारी होता है।

उसकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। उसमें उन योग्यताओं का होना आवश्यक है जो उच्चतम न्यायालय के किसी न्यायाधीश की नियुक्ति के लिये होती हैं।

महान्यायवादी के कार्यकाल को संविधान द्वारा निश्चित नहीं किया गया है। इसके अलावा संविधान में उसको हटाने को लेकर कोई प्रक्रिया या आधार नहीं दिया गया है। वह अपने पद पर राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत बना रह सकता है। इसका तात्पर्य यह है कि उसे राष्ट्रपति द्वारा किसी भी समय हटाया जा सकता है। अत: कथन 1 सही है।

वह राष्ट्रपति को कभी भी अपना त्यागपत्र सौंपकर पदमुक्त हो सकता है। परंपरा यह है कि जब सरकार (मंत्रिपरिषद) त्यागपत्र दे दे या उसे बदल दिया जाए तो उसे त्यागपत्र देना होता है क्योंकि उसकी नियुक्ति सरकार की सिफारिश से ही होती है।

अपने आधिकारिक कर्त्तव्यों के निर्वहन में उसे भारत के किसी भी क्षेत्र में सुनवाई का अधिकार है।

इसके अतिरिक्त संसद के दोनों सदनों में बोलने या कार्यवाही में भाग लेने या दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में मताधिकार के बगैर भाग लेने का अधिकार है। उसे एक संसद सदस्य की तरह सभी विशेषाधिकार और भत्ते मिलते हैं। अत: कथन 2 सही है।

हालाँकि कर्त्तव्यों के तहत किसी तरह के संघर्ष या जटिलता या संघर्ष से बचने के लिये महान्यायवादी की कुछ सीमाएँ हैं, लेकिन उसे निजी विधिक कार्यवाही से नहीं रोका गया है। अत: कथन 3 सही है।

वह सरकार का पूर्णकालिक वकील नहीं है और सरकारी कर्मी की श्रेणी में नहीं आता है।

 

 

 

 

 

 

उत्तर-4 : (c)

 

व्याख्या :

  • भारत के संविधान (अनुच्छेद 148) में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के स्वतंत्र पद का प्रावधान किया गया है। यह भारतीय लेखापरीक्षण और लेखा विभाग का मुखिया होता है। यह लोक वित्त का संरक्षक होता है तथा दोनों स्तरों (केंद्र तथा राज्य) पर देश की संपूर्ण वित्तीय व्यवस्था का नियंत्रण करता है।
  • CAG की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
  • इसका कार्यकाल छ: वर्ष या 65 वर्ष की आयु, जो पहले हो, तक होता है।
  • नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की स्वतंत्रता एवं सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये संविधान में निम्नलिखित व्यवस्थाएँ की गई हैं:
  • इसे कार्यकाल की सुरक्षा प्रदान की गई है।
  • यह अपना पद छोड़ने के बाद किसी अन्य पद, चाहे वह भारत सरकार का हो या राज्य सरकार का, ग्रहण नहीं कर सकता। अत: कथन 1 सही है।
  • नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक कार्यालय से संबंधित प्रशासनिक व्यय, जिसमें उस कार्यालय में कार्यरत सभी व्यक्तियों के वेतन, भत्ते और पेंशन शामिल हैं, भारत की संचित निधि पर भारित होते हैं। इस प्रकार, इनके संदर्भ में संसद की मंज़ूरी आवश्यक नहीं है। अत: कथन 2 सही है।

 

 

 

 

 

 

उत्तर-5 : (a)

 

व्याख्या :

  • चुनाव आयोग एक स्थायी व स्वतंत्र निकाय है जिसका गठन भारतीय संविधान द्वारा देश में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव संपन्न कराने के उद्देश्य से किया गया था।
  • मुख्य निर्वाचन आयुक्त व दो अन्य निर्वाचन आयुक्तों के पास समान शक्तियाँ होती हैं तथा उनके वेतन, भत्ते व अन्य परिलब्धियाँ भी एक समान होती हैं, जो उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के समान होते हैं। 
  • मुख्य चुनाव आयुक्त को कार्यकाल की सुरक्षा प्रदान की गई है। उसे उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश की तरह उसी तरीके तथा उसी आधार पर हटाया जा सकता है, अन्य किसी रूप में नहीं।
  • मुख्य चुनाव आयुक्त की सिफारिश के बिना किसी अन्य चुनाव आयुक्त या क्षेत्रीय आयुक्त को कार्यालय से हटाया नहीं जा सकता। अत: कथन 1 सही है।
  • संविधान द्वारा चुनाव आयोग के सदस्यों की योग्यता (कानूनी, शैक्षणिक, प्रशासनिक या न्यायिक) निर्धारित नहीं की गई है।
  • संविधान में चुनाव आयोग के सदस्यों की अवधि निर्दिष्ट नहीं की गई है।
  • संविधान द्वारा सेवानिवृत्त चुनाव आयुक्तों की सरकार द्वारा आगे अन्य किसी नियुक्ति पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। अत: कथन 2 सही नहीं है।