नियमित अभ्यास क्विज़ (Daily Pre Quiz) - 162

Posted on June 6th, 2019 | Create PDF File

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प्रश्न-1 : निम्नलिखित में से चोल काल में ‘सभा’ की सदस्यता हेतु आवश्यक अर्हता/अर्हताएँ क्या थी/थीं ?

  1. ऐसी भूमि का स्वामी होना जो करमुक्त हो। 
  2. पिछले तीन वर्षों में किसी समिति का सदस्य न रहा हो।
  3. उम्र 25 वर्ष से 70 वर्ष के बीच हो।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये :  

(a) केवल I और II

(b) केवल II 

(c) केवल I और III

(d) I, II और II

 

उत्तर - ()

 

 

 

 

 

 

 

 

 

प्रश्न-2 : निम्नलिखित में से किसने भारत में सर्वप्रथम सोने के सिक्के जारी किये ?

(a) कुषाणों ने

(b) शकों ने

(c) गुप्त शासकों ने 

(d) हिंद-यूनानियों ने

 

उत्तर - ()

 

 

 

 

 

 

 

 

 

प्रश्न-3 : गुप्त काल में जीवन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये -

  1. पहली बार नागरिक कानून एवं दंड विधि को स्पष्ट रूप से परिभाषित और निर्धारित किया गया।  
  2. गुप्त साम्राज्य में सबसे महत्त्वपूर्ण अधिकारी कुमारामात्य थे।
  3. चीनी यात्री फाह्यान ने गुप्त काल के दौरान भारत का भ्रमण किया।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं ?   

(a) केवल I और II

(b) केवल III

(c) केवल II और III  

(d) I, II और III

 

उत्तर - ()

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

प्रश्न-4 : निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये -

  1. प्राचीन काल में चंद्रगुप्त II को भारत का नेपोलियन कहा जाता था।
  2. मध्य एशिया से आए हूणों का आक्रमण गुप्त साम्राज्य के पतन के प्रमुख कारणों में से एक है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं ?  

(a) केवल I

(b) केवल II

(c) I और II दोनों 

(d) इनमें से कोई नहीं   

 

उत्तर - ()

 

 

 

 

 

 

 

 

 

प्रश्न-5 : मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद तथा गुप्त साम्राज्य के उदय से पूर्व निम्नलिखित में से कौन-से प्रमुख साम्राज्य उभरकर सामने आए ?

  1. सातवाहन वंश 
  2. हर्ष वंश 
  3. कुषाण वंश

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:  

(a) केवल I और II

(b) केवल II और III

(c) केवल I और III  

(d) I, II और III

         

उत्तर - ()

 

 

 

 

उत्तरमाला

 

 

 

 

 

उत्तर-1 : (b)         

 

व्याख्या : 

  • प्रत्येक ब्रह्मदेय की देख-रेख प्रमुख ब्राह्मण भूस्वामियों की एक सभा द्वारा की जाती थी। ये सभाएँ बहुत कुशलतापूर्वक काम करती थीं। इनके निर्णय, शिलालेखों में प्रायः मंदिरों की पत्थर की दीवारों पर, ब्यौरेवार दर्ज किये जाते थे। ‘नगरम’ के नाम से ज्ञात व्यापारियों के संघ भी अकसर शहरों में प्रशासनिक कार्य संपादित करते थे।
  • तमिलनाडु के चिंगलपुट ज़िले के उत्तरमेरुर से प्राप्त अभिलेखों में इस बात का सविस्तार वर्णन है कि ब्राह्मणों की सभा का संगठन कैसा था। सिंचाई के कामकाज, बाग-बगीचों, मंदिरों इत्यादि की देख-रेख के लिये सभा में विभिन्न समितियाँ होती थीं। 

अत: कथन 1 और 3 सही नहीं हैं।

उत्तरमेरुर अभिलेख के अनुसार सभा की सदस्यताः

 

  • सभा की सदस्यता के लिए इच्छुक लोगों को ऐसी भूमि का स्वामी होना चाहिये, जहाँ से भू-राजस्व वसूला जाता है।
  • उनके पास अपना घर होना चाहिये।
  • उनकी उम्र 35 से 70 के बीच होनी चाहिये।
  • उन्हें वेदों का ज्ञान होना चाहिये।
  • उन्हें प्रशासनिक मामलों की अच्छी जानकारी होनी चाहिये और ईमानदार होना चाहिये।
  • यदि कोई पिछले तीन सालों में किसी समिति का सदस्य रहा है तो वह किसी और समिति का सदस्य नहीं बन सकता। केवल कथन 2 सही है।
  • जिसने अपने या अपने संबंधियों के खाते जमा नहीं कराए हैं, वह चुनाव नहीं लड़ सकता।

 

 

 

 

 

 

उत्तर-2 : (d)

 

व्याख्या : 

  • इंडो-बैक्ट्रियाई शासन यूनानियों द्वारा बड़ी संख्या में जारी किये गए सिक्कों के कारण भारत के इतिहास में महत्त्वपूर्ण है।
  • हिंद-यूनानी भारत के पहले ऐसे शासक थे जिन्होंने सिक्के जारी किये, उन्हें निश्चित रूप से उन राजाओं की विशेषता कहा जा सकता है। शुरुआती आहत सिक्कों के मामले में यह संभव नहीं है और उन्हें किसी भी वंश के साथ निश्चित रूप से नहीं जोड़ा जा सकता।
  • हिंद-यूनानी ने भारत में सर्वप्रथम सोने के सिक्के जारी किये थे, कुषाणों के शासनकाल में जिनकी संख्या में वृद्धि हुई थी। अत: (d) सही विकल्प है।

 

अतिरिक्त जानकारी: यूनानी शासन भारत के उत्तर-पश्चिमी सीमांत में यूनानी कला की विशेषताओं की शुरुआत के लिये भी याद किया जाता है, जिससे गांधार कला का उदय हुआ।

 

 

 

 

 

 

उत्तर-3 : (d)

 

व्याख्या : 

  • गुप्त काल (तीसरी शताब्दी के अंत से छठी शताब्दी के मध्य तक) में न्याय प्रणाली पहले की तुलना में बहुत अधिक विकसित हो गई थी। पहली बार नागरिक कानून और दंड विधि को परिभाषित और निर्धारित किया गया था। चोरी और व्यभिचार दंड विधि के अंतर्गत आते थे। संपत्ति से संबंधित विभिन्न मामले नागरिक कानून के अंतर्गत शामिल थे। अत: कथन 1 सही है।
  • गुप्तकालीन अधिकारी तंत्र मौर्यों के समान सुपरिष्कृत नहीं था। गुप्त साम्राज्य का सबसे महत्त्वपूर्ण अधिकारी कुमारामात्य था। इनकी नियुक्ति राजा द्वारा गृहराज्य में ही की जाती थी और संभवत: इनको नकद भुगतान किया जाता था। अत: कथन 2 सही है।
  • चीनी यात्री फाह्यान ने गुप्त काल में ही भारत का भ्रमण किया। उसने 399 ई. से 412 ई. के बीच कई बौद्ध स्थलों का भ्रमण किया जो अब शीजियांग, पाकिस्तान, भारत, नेपाल, बांग्लादेश, और श्रीलंका में स्थित हैं। उसने बताया कि मगध राज्य में कई शहर थे, इन शहरों के समृद्ध लोगों द्वारा बौद्ध धर्म का समर्थन किया गया तथा दान दिया गया। उसके लेख गुप्त काल में लोगों के आर्थिक जीवन की जानकारी देते हैं। अत: कथन 3 सही है।

 

 

 

 

 

 

 

उत्तर-4 : (b)

 

व्याख्या : 

  • गुप्त काल के इलाहाबाद स्तंभ शिलालेख से ऐसा प्रतीत होता है की समुद्रगुप्त कभी हारना नहीं जानता था और इसी कारण से उसे ‘भारत का नेपोलियन’ कहा जाता है। इलाहाबाद में उत्कीर्ण एक बड़े अभिलेख में कवि हरिषेण ने एक-एक करके समुद्रगुप्त द्वारा जीते गए लोगों और देशों के बारे में उल्लेख किया है। इसमें कहा गया है कि समुद्रगुप्त ने विरोधियों को सत्ता से बाहर कर दिया और दूर स्थानों के शासकों का आत्मसमर्पण स्वीकार किया। समुद्रगुप्त की ख्याति और प्रभाव भारत के बाहर भी फैली हई थी। अत: कथन 1 सही नहीं है।
  • चन्द्रगुप्त द्वितीय के उत्तराधिकारियों को पाँचवीं शताब्दी के दूसरे अर्द्ध में मध्य एशिया से आए हूणों के आक्रमण का सामना करना पड़ा। प्रारंभ में गुप्त शासक स्कंदगुप्त ने भारत में हूणों के अभियान को रोकने के लिये सफलतापूर्वक प्रयास किये, उसके उत्तराधिकारी कमज़ोर सिद्ध हुए और हूणों के आक्रमण का सामना नहीं कर सके। अत: कथन 2 सही है।
  • गुप्त साम्राज्य के पतन के अन्य कारण सामंतों का उदय (आंतरिक विद्रोह में वृद्धि), कुमारगुप्त और स्कंदगुप्त की मृत्यु के बाद कमज़ोर उत्तराधिकारी, घटता हुआ व्यापार तथा वाणिज्य थे।

 

 

 

 

 

 

 

उत्तर-5 : (c)

 

व्याख्या : 

  • पूर्वी भारत, मध्य भारत और दक्कन में मौर्यों के उत्तराधिकारी के रूप में बहुत से मूल शासक जैसे शुंग, कण्व और सातवाहन आए। उत्तर-पश्चिम भारत में इसके बाद मध्य एशिया से बहुत से सत्तारूढ़ राजवंश आए। उनमें से प्रथम हिंद-यूनानी थे, उसके बाद शकों ने भारत पर आक्रमण किया और यूनानियों से अधिक भारतीय क्षेत्र पर नियंत्रण स्थापित किया।
  • उत्तर-पश्चिम भारत में शकों के प्रभुत्व का अनुसरण पार्थियन और उसके बाद कुषाणों द्वारा किया गया। मौर्य साम्राज्य की समाप्ति (322 BCE से 180 BCE) के बाद दक्कन में सातवाहन (पहली शताब्दी BCE से दूसरी शताब्दी AD) अस्तित्व में आया। अत: कथन 1 और 3 सही हैं।
  • गुप्त वंश, जिसकी सत्ता का केंद्र उत्तर प्रदेश और बिहार था, ने तीसरी शताब्दी के बाद से छठी शताब्दी के मध्य तक उत्तरी और पश्चिमी भारत में शासन किया। उसके बाद उत्तर भारत फिर से अनेक राज्यों में विभाजित हो गया। गोरे हूणों ने लगभग 500 ईस्वी के बाद कश्मीर, पंजाब और पश्चिमी भारत में अपना आधिपत्य स्थापित किया।
  • उत्तर और पश्चिमी भारत का नियंत्रण उन सामंतों द्वारा किया जाने लगा जिन्होंने गुप्त साम्राज्य को अपने बीच विभक्त कर लिया था। धीरे-धीरे इनमें से एक राजवंश हरण्य-हर्षवर्धन (606 AD से 647 AD) जिसने थानेशर (हरियाणा) में शासन किया, ने अन्य सभी सामंतों पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया। अत: कथन 2 सही नहीं है।