नियमित अभ्यास क्विज़ (Daily Pre Quiz) - 157

Posted on May 30th, 2019 | Create PDF File

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प्रश्न-1 : ‘स्थायी कार्बनिक प्रदूषकों’ के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सही नहीं है ?

(a) स्थायी कार्बनिक प्रदूषक लंबे समय तक अक्षुण्ण रहते हैं।

(b) स्थायी कार्बनिक प्रदूषक मनुष्यों और पशुओं दोनों के लिये ही विषाक्त होते हैं।

(c) स्थायी कार्बनिक प्रदूषक पानी में घुलनशील होते हैं और खाद्य श्रृंखला में उच्च स्तर पर उच्च सांद्रता में पाए जाते हैं। 

(d) ‘स्थायी कार्बनिक प्रदूषकों पर स्टॉकहोम अभिसमय’ ने स्थायी कार्बनिक प्रदूषकों को तीन वर्गों में रखा है अर्थात् कीटनाशक, औद्योगिक रसायन और उपोत्पाद।

 

उत्तर - ()

 

 

 

 

 

 

 

 

 

प्रश्न-2 : निम्नलिखित में से कौन-सा घटक वृहत् पोषक तत्त्वों (Macronutrients) की श्रेणी के अंतर्गत आता है ?

(a) लौह

(b) मैंगनीज़

(c) ताँबा 

(d) सल्फर

 

उत्तर - ()

 

 

 

 

 

 

 

 

 

प्रश्न-3 : BOD का तात्पर्य है ?

(a) जैव-रासायनिक ऑक्सीजन मांग

(b) जैव-भौगोलिक ऑक्सीकरण मांग

(c) जैविक ऑक्सीजन जाँच 

(d) जैविक ऑक्सीकरण मांग

 

उत्तर - ()

 

 

 

 

 

 

 

 

 

प्रश्न-4 : पीने, भोजन पकाने और खाद्य फसलों की सिंचाई के लिये प्रयुक्त आर्सेनिक युक्त जल जन स्वास्थ्य के समक्ष सबसे बड़ा खतरा बन गया है। आर्सेनिक के नियमित सम्पर्क से होता है -

(a) ब्लैक फुट डिज़ीज़

(b) इटाई-इटाई रोग

(c) ब्लू बेबी सिंड्रोम 

(d) स्केलेटल फ्लोरोसिस     

 

उत्तर - ()

 

 

 

 

 

 

 

 

 

प्रश्न-5 : निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये -

  1. जैव-आवर्द्धन में खाद्य श्रृंखला में पर्यावरण से प्रथम श्रेणी के जीवों में प्रदूषकों की सांद्रता बढ़ जाती है।
  2. जैव-संचयन में खाद्य श्रृंखला की एक कड़ी से दूसरी कड़ी में प्रदूषकों की सांद्रता बढ़ जाती है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?  

(a) केवल I

(b) केवल II

(c) I और II दोनों 

(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं

          

उत्तर - ()

 

 

 

 

उत्तरमाला

 

 

 

 

 

उत्तर-1 : (c)         

 

व्याख्या : स्थायी कार्बनिक प्रदूषकों पर स्टॉकहोम अभिसमय को स्वीडन के स्टॉकहोम में 22 मई, 2001 को अपनाया गया था।

  • स्थायी कार्बनिक प्रदूषक कार्बनिक (कार्बन आधारित) रासायनिक पदार्थ होते हैं।
  • एक बार जब ये पर्यावरण में प्रवेश कर जाते हैं तो…

 

  1. असामान्य रूप से लंबी अवधि तक अक्षुण्ण रहते हैं।
  2. प्राकृतिक प्रक्रियाओं के परिणामस्वरूप वातावरण में व्यापक रूप से वितरित हो जाते हैं।
  3. स्थायी कार्बनिक प्रदूषक जीवों के वसायुक्त ऊतकों में एकत्र हो जाते हैं और खाद्य श्रृंखला में उच्च स्तर पर उच्च सांद्रता में पाए जाते हैं। ये मनुष्यों और जानवरों दोनों के लिये हानिकारक होते हैं।

अत: कथन (a) और (b) सही हैं।

  • स्थायी कार्बनिक प्रदूषक जैव संचयन (Bioaccumulation) प्रक्रिया के माध्यम से जीवों में मौजूद रहते हैं। स्थायी कार्बनिक प्रदूषक पानी में घुलनशील नहीं होते, लेकिन वसायुक्त ऊतकों में तुरंत घुल जाते हैं। अतः कथन (c) सही नहीं है।
  • प्रारंभ में 12 स्थायी कार्बनिक प्रदूषकों की पहचान प्रतिकूल प्रभाव उत्पन्न करने के रूप में की गई और इन्हें तीन वर्गों में रखा गया:

 

  1. कीटनाशक
  2. औद्योगिक रसायन
  3. उपोत्पाद

अतः कथन (d) सही है।

 

 

 

 

 

 

 

उत्तर-2 : (d)

 

व्याख्या : कुछ तत्त्व ऐसे हैं जो पौधे के विकास के लिये आवश्यक होते हैं। किसी तत्त्व की अनिवार्यता के लिये मानदंड इस प्रकार हैं:

(a)वह तत्त्व निश्चित रूप से वृद्धि और प्रजनन में पूर्ण रूप से सहायक होना ही चाहिये। उस तत्त्व के अभाव में पौधे अपने जीवन-चक्र को पूरा न कर पाएँ या बीजों को स्थापित न कर पाएँ।

(b)उस तत्त्व की आवश्यकता विशिष्ट होनी चाहिये और उसे किसी अन्य तत्त्व द्वारा प्रतिस्थापित न किया जा सके। दूसरे शब्दों में, किसी भी तत्त्व की कमी किसी अन्य तत्त्व से पूरी नहीं हो सकती है।

(c)उस तत्त्व को पौधे के उपापचय (Metabolism) में प्रत्यक्ष रूप से शामिल होना चाहिये।

  • उपर्युक्त मानदंडों के आधार पर कुछ तत्त्वों को पौधे के विकास और उपापचय के लिये आवश्यक पाया गया है। ये तत्त्व अपनी मात्रात्मक आवश्यकताओं के आधार पर दो व्यापक वर्गों में विभाजित हैं:
  • वृहत् पोषक तत्त्व- ये आमतौर पर पौधों के ऊतकों में बड़ी मात्रा में मौजूद होते हैं। वृहत् पोषक तत्त्वों में कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, सल्फर, पोटैशियम, कैल्शियम और मैग्नीशियम शामिल हैं। इनमें से कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन मुख्य रूप से CO2 और H2O से प्राप्त होते हैं, जबकि दूसरे खनिज पोषण के रूप में मृदा से अवशोषित होते हैं।
  • सूक्ष्म पोषक तत्त्व- सूक्ष्म पोषक तत्त्व या ट्रेस तत्त्वों की बहुत कम मात्रा आवश्यक होती है। इनमें आयरन, मैंगनीज़, कॉपर, मोलिब्डेनम, जिंक, बोरान, क्लोरीन और निकेल शामिल हैं।
  • उपर्युक्त नामित 17 आवश्यक तत्त्वों के अलावा, सोडियम, सिलिकॉन, कोबाल्ट और सेलेनियम जैसे कुछ लाभकारी तत्त्व हैं। बड़े पौधों में उनकी आवश्यकता पड़ती है।

 

 

 

 

 

 

उत्तर-3 : (a)

 

व्याख्या : जैव-रासायनिक ऑक्सीजन मांग अथवा बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD, जिसे बायोलॉजिकल ऑक्सीजन भी कहा जाता है) किसी विशिष्ट समयावधि में एक निश्चित तापमान पर लिये गए पानी के नमूनों में मौजूद कार्बनिक पदार्थों को तोड़ने के लिये एरोबिक जैविक जीवों द्वारा आवश्यक घुली ऑक्सीजन की मात्रा होती है। इसे प्राय: जल के जैविक प्रदूषण की मात्रा के एक स्थानापन्न के रूप में प्रयोग किया जाता है।

रासायनिक ऑक्सीजन मांग अथवा केमिकल ऑक्सीजन डिमांड (COD) का कार्य BOD के ही समान होता है। दोनों ही क्रियाओं के अंतर्गत जल में मौजूद जैविक यौगिकों का आकलन किया जाता है। हालाँकि COD कम विशिष्ट होता है, यह उन सभी वस्तुओं का आकलन करता है जो बायोडिग्रेडेबल जैविक पदार्थों को बराबर रखने के बजाय रासायनिक रूप से आक्सीकृत करता है।

बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) जल में प्रदूषक जैविक पदार्थों को मापने का सबसे सामान्य उपाय है। BOD जल में उपस्थित सड़ने वाले जैविक पदार्थों की मात्रा का सूचक है। इस प्रकार, जल में BOD की कम मात्रा एक अच्छे गुण वाले जल का सूचक होता है, जबकि उच्च BOD प्रदूषित जल का संकेत देता है। जब जल में अपशिष्ट पदार्थों की मात्रा काफी बढ़ जाती है तो उसमें घुले ऑक्सीजन का जीवाणुओं द्वारा उपभोग कर लिया जाता है।

DO जल में उपलब्ध घुले हुए ऑक्सीजन की वास्तविक मात्रा होती है। जब DO एक निश्चित स्तर से नीचे होता है तो जल में सामान्य रूप से जीवों का जीवित रहना मुश्किल हो जाता है।

जल में ऑक्सीजन की कम आपूर्ति होने के कारण मछलियों तथा अन्य जलीय जीवों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इससे मछलियाँ मर जाती हैं तथा कुछ विशेष प्रकार के खर-पतवारों के कारण जल में नाटकीय ढंग से परिवर्तन होता है और ऑक्सीकरण की प्रक्रिया से ऊर्जा उत्पन्न होती है।

 

 

 

 

 

 

 

उत्तर-4 : (a)

 

व्याख्या : ब्लैक फुट डिज़ीज़ :

  • अर्सेनिकोसिस या ब्लैक फुट आर्सेनिक युक्त जल का लंबे समय से प्रयोग करने के कारण होता है। यह रोग आर्सेनिक युक्त खाद्य या वायु के माध्यम से भी हो सकता है।
  • आर्सेनिक युक्त जल का लंबे समय तक सेवन करने तथा संपर्क में रहने से कैंसर रोग और त्वचा पर चकत्ते पड़ सकते हैं। आर्सेनिक के कारण हृदय संबंधी रोग तथा मधुमेह भी हो सकता है। बचपन में इसके अधिक संपर्क में रहने से बौद्धिक विकास पर प्रभाव पड़ता है, जिसके कारण किशोरों की मृत्यु तक हो जाती है।
  • सुरक्षित जल आपूर्ति और इसके संपर्क से दूर रहकर इसके हानिकारक प्रभावों से बचा जा सकता है।

 

इटाई-इटाई रोग :

 

  • वायु, खाद्य या जल के माध्यम से लंबे समय तक कैडमियम के संपर्क में रहने से किडनी में इसकी सांद्रता बढ़ जाती है जो किडनी संबधी रोगों को जन्म देता है। कैडमियम के अन्य विपरीत प्रभावों में फेफड़ों में क्षति, अस्थियों/हड्डियों पर प्रभाव, लीवर में गड़बड़ी तथा जनन संबंधी विषाक्तता शामिल हैं।
  • कैडमियम के संपर्क में रहने से संबंधित यह अत्यंत जटिल रोग इटाई-इटाई रोग है। इस रोग का कारण कैडमियम को मुख मार्ग से ग्रहण करना है।

 

ब्लू बेबी सिंड्रोम :

 

  • इसमें शरीर के नाइट्रेट्स नाइट्रीट्स (Nitrites) में परिवर्तित हो जाते हैं। नाइट्रीट्स लाल रक्त कोशिकाओं में मेथाइमोग्लोबिन (Methaemoglobin) बनाने के लिये लाल रक्त कोशिकाओं में उपस्थित हीमोग्लोबिन से प्रतिक्रया करते हैं, जिससे रक्त द्वारा शरीर की कोशिकाओं तक पर्याप्त ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता प्रभावित होती है।
  • थाइमोग्लोबिनेमिया (methaemoglobinaemia) सामान्य हीमोग्लोबिन के कम हो जाने की एक ऐसी अवस्था है, जब रक्त द्वारा शरीर के अन्य हिस्सों में ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता कम हो जाती है। नवजात शिशु इससे सर्वाधिक प्रभावित होते हैं। इस रोग में मुख, हाथ तथा पैर नीले पड़ जाते हैं, इसीलिये इस रोग को ब्लू बेबी सिंड्रोम कहा जाता है।

 

स्केलेटल फ्लोरोसिस :

लंबे समय तक फ्लोराइड के संपर्क में रहने से स्केलेटल फ्लोरोसिस की संभावना बढ़ जाती है।

 

 

 

 

 

 

उत्तर-5 : (d)

 

व्याख्या : जैव-आवर्द्धन: जैव-आवर्द्धन या जैविक आवर्द्धन से अभिप्राय उस प्रवृत्ति से है जिसमें प्रदूषक जैसे-जैसे एक पोषण स्तर से दूसरे पोषण स्तर पर जाते हैं, वैसे-वैसे उनका सांद्रण बढ़ता चला जाता है। दूसरे शब्दों में, जैव-आवर्द्धन में आहार- श्रृंखला की एक कड़ी से अगली कड़ी में प्रदूषकों का सांद्रण बढ़ता है। अत: कथन 1 सही नहीं है।

जैव आवर्द्धन के लिये प्रदूषकों में चार तत्त्वों का होना आवश्यक है- दीर्घ स्थायित्व, गतिशीलता, विभिन्न प्रकार की वसा में विलयशीलता और सक्रियता। इन प्रदूषकों में भारी धातुएँ (पारा, आर्सेनिक), डी.डी.टी. जैसे कीटनाशक और पॉलीक्लोरिनेटेड बाइफिनाइल जैसे रसायन आदि शामिल हैं।

जैव-संचयन: जैव-संचयन यह दर्शाता है कि किस प्रकार रसायन जीवधारियों में संगृहीत होते हैं। जैव संचयन तब होता है जब जीवधारियों द्वारा उपापचय या उत्सर्जन द्वारा प्रदूषकों के निष्कासन की दर, उनके अंतर्ग्रहण और संग्रहण की दर से कम होती है। प्रदूषक की जैविक अर्द्ध आयु जितनी अधिक होगी, उसके स्थायी रूप से विषाक्त हो जाने का खतरा भी उतना ही अधिक होगा, फिर चाहे पर्यावरणीय स्तर पर उसकी विषाक्तता कम ही क्यों न हो। जैव-संचयन में खाद्य श्रृंखला के प्रथम स्तर के जीवधारियों में पर्यावरण से प्राप्त प्रदूषकों की सांद्रता बढ़ जाती है। अत: कथन 2 सही नहीं है।