नियमित अभ्यास क्विज़ (Daily Pre Quiz) - 156
Posted on May 30th, 2019 | Create PDF File
प्रश्न-1 : मेथनॉल को वैकल्पिक ईंधन के रूप में बढ़ावा दिया जा रहा है, इस संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सही नहीं है ?
(a) इसका उत्पादन प्राकृतिक गैस से किया जा सकता है।
(b) इसे इथेनॉल और गैसोलीन के साथ मिश्रित किया जा सकता है।
(c) यह पानी में घुलनशील नहीं है।
(d) यह बायोडिग्रेडेबल है।
उत्तर - ()
प्रश्न-2 : निम्नलिखित में से कौन-से पारिस्थितिकी तंत्र के घटक हैं ?
- ऊर्जा
- छोटे उपभोक्ता
- वातावरण
- अक्षांश और ऊँचाई
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये :
(a) केवल I, II और III
(b) केवल I और III
(c) केवल I, III और IV
(d) I, II, III और IV
उत्तर - ()
प्रश्न-3 : निम्नलिखित में से कौन ‘निकेत’ (Niche) पद की सबसे सटीक व्याख्या करता है ?
(a) दो या दो से अधिक विविधतापूर्ण पारिस्थितिकी तंत्रों का मिलन स्थल।
(b) एक पारिस्थितिकी तंत्र में किसी प्रजाति की विशिष्ट कार्यात्मक भूमिका या स्थान।
(c) जैवमंडल की संरचनात्मक व कार्यात्मक इकाई जिसमें जैव तथा अजैव घटक शामिल होते हैं।
(d) उपर्युक्त से कोई नहीं।
उत्तर - ()
प्रश्न-4 : निम्नलिखित प्रदूषकों में से कौन-से ऑटोमोबाइल द्वारा उत्सर्जित होते हैं ?
- ओज़ोन
- नाइट्रोजन डाइऑक्साइड
- कार्बन मोनोऑक्साइड
- हाइड्रोकार्बन
- सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये :
(a) केवल I, II और III
(b) केवल III, IV और V
(c) केवल II, III, IV और V
(d) I, II, III, IV और V
उत्तर - ()
प्रश्न-5 : निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये -
- जैव-आवर्द्धन में खाद्य श्रृंखला में पर्यावरण से प्रथम श्रेणी के जीवों में प्रदूषकों की सांद्रता बढ़ जाती है।
- जैव-संचयन में खाद्य श्रृंखला की एक कड़ी से दूसरी कड़ी में प्रदूषकों की सांद्रता बढ़ जाती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल I
(b) केवल II
(c) I और II दोनों
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - ()
उत्तरमाला
उत्तर-1 : (c)
व्याख्या : मेथनॉल को मिथाइल अल्कोहल, वुड अल्कोहल या वुड स्पिरिट भी कहा जाता है, जो कार्बनिक यौगिकों की लंबी श्रृंखला का सबसे सरल अल्कोहल माना जाता है। पहले मेथनॉल को लकड़ी के लिये विनाशकारी आसवन द्वारा उत्पादित किया जाता था। मेथनॉल तैयार करने की आधुनिक पद्धति एक उत्प्रेरक की मौजूदगी में कार्बन मोनोऑक्साइड गैस और हाइड्रोजन के प्रत्यक्ष संयोजन पर आधारित है। अब मेथनॉल उत्पादन के लिये बायोमास से प्राप्त हाइड्रोजन और कार्बन मोनोऑक्साइड के मिश्रण (Syngas) का तेज़ी से इस्तेमाल होने लगा है।
मेथनॉल एक स्वच्छ दहन ईंधन है जो मोटर वाहनों में गैसोलीन (पेट्रोल) का एक महत्त्वपूर्ण विकल्प है।
मेथनॉल एक रंगहीन तरल पदार्थ है।
यह वायु के साथ मिलकर विस्फोटक मिश्रण बनाता है और एक चमक रहित लौ के साथ जलता है। यह पानी में पूर्णत: घुलनशील है। मेथनॉल में इथाइल अल्कोहल जैसी गंध होती है, लेकिन यह खतरनाक विष है, मेथनॉल युक्त मिश्रण पीने के कारण अंधेपन या मौत के मामले देखने को मिलते हैं।
मेथनॉल बायोडिग्रेडेबल भी है।
अतः (c) सही विकल्प है।
उत्तर-2 : (d)
व्याख्या : एक पारिस्थितिकी तंत्र को जैवमंडल की क्रियात्मक व संरचनात्मक इकाई के रूप में परिभाषित किया गया है जिसमें जीवित समुदाय तथा भौतिक पर्यावरण दोनों अंत:क्रिया करते हैं तथा एक-दूसरे के बीच पदार्थों का आदान प्रदान करते हैं।
एक पारिस्थितिकी तंत्र को जीवित संसाधनों, अधिवासों तथा एक क्षेत्र के निवासियों के बीच जटिल संबंधों के रूप में भी वर्णित किया जाता है। इसमें पौधे, वृक्ष, जीव-जंतु, मछलियाँ, पक्षी, सूक्ष्म जीव, जल, मृदा तथा मनुष्यों को शामिल किया जाता है।
पारिस्थितिकी तंत्रों में आकार तथा घटकों के स्तर पर व्यापक भिन्नता होती है, किंतु प्रत्येक प्रकृति की एक कार्यात्मक इकाई है। पारिस्थितिकी तंत्र में निवास करने वाले सभी प्राणी दूसरी प्रजातियों पर निर्भर होते हैं जो उस पारिस्थितिक समुदाय के भाग होते हैं। यदि किसी पारिस्थितिकी तंत्र का एक भाग क्षतिग्रत या विलुप्त होता है तो इसका प्रभाव हर तरफ दिखाई देता है।
एक पारिस्थितिकी तंत्र के स्वस्थ (टिकाऊ) होने का तात्पर्य यह है कि उसमें मौजूद सभी घटक संतुलित हैं तथा उनमें पुनरुत्पादन की क्षमता विद्यमान है। पारिस्थितिकी तंत्र एक छोटे पेड़ जितना छोटा भी हो सकता है या इतना बड़ा भी हो सकता है जितना कि एक संपूर्ण जंगल।
एक पारिस्थितिकी तंत्र के घटकों को जैविक तथा अजैविक घटकों में विभाजित किया गया है।
अजैविक घटक संसार के अकार्बनिक तथा निर्जीव तत्त्व होते हैं। इनमें शामिल हैं:
- ऊर्जा
- वर्षा
- तापमान
- वातावरण
- मृदा
- अक्षांश और ऊँचाई
- जैविक घटकों में जीवित जीव-जंतु जैसे- पौधे, जानवर, सूक्ष्म जीव इत्यादि शामिल होते हैं।
अत: दिये गए सभी विकल्प पारिस्थितिकी तंत्र के घटक हैं।
उत्तर-3 : (b)
व्याख्या : इकोटोन: दो जीवोम के बीच का संक्रमण क्षेत्र, जहाँ दोनों जीवोम के पादप या जीव पाए जाते हैं, इकोटोन कहलाता है। उदाहरण के लिये मैन्ग्रोव समुद्री और स्थलीय पारितंत्र के बीच का इकोटोन है।
निकेत: यह किसी प्रजाति की उसके पारितंत्र में विशेष कार्यात्मक भूमिका को बतलाता है। यह सभी जैविक, भौतिक और रासायनिक कारकों का वर्णन करता है जो एक प्रजाति के जीवित रहने, स्वस्थ रहने और प्रजनन के लिये आवश्यक होते हैं। अत: (b) सही विकल्प है।
- किसी जीव के लिये उसका एक विशिष्ट निकेत होता है। किन्हीं दो जीवों का एक समान निकेत नहीं हो सकता। यदि हमें प्रजातियों को उनके मूल निवास स्थान में संरक्षित करना है, तो हमें प्रजातियों की विशिष्ट ज़रूरतों का ज्ञान होना चाहिये।
- पारिस्थितिकी तंत्र: एक पारिस्थितिकी तंत्र को जीवमंडल के एक समुदाय और भौतिक वातावरण से मिलकर जीवमंडल की संरचनात्मक और कार्यात्मक इकाई के रूप में परिभाषित किया जाता है।
उत्तर-4 : (c)
व्याख्या : वायु प्रदूषण और वातावरण में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लिये वाहनों से होने वाले उत्सर्जन का सबसे बड़ा योगदान है।
वाहनों से निकले प्रमुख प्रदूषक कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन के ऑक्साइड, ओज़ोन, हाइड्रोकार्बन का अपूर्ण दहन और निलंबित कणिकीय पदार्थ (सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर) हैं।
ओज़ोन को सीधे हवा में उत्सर्जित नहीं किया जाता है, यह वायुमंडल में तब उत्पन्न होती है जब हाइड्रोकार्बन गैसें नाइट्रोजन ऑक्साइड यौगिकों के साथ सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में संयोजित होती हैं।
अत: विकल्प (C) सही है।
उत्तर-5 : (d)
व्याख्या : जैव-आवर्द्धन: जैव-आवर्द्धन या जैविक आवर्द्धन से अभिप्राय उस प्रवृत्ति से है जिसमें प्रदूषक जैसे-जैसे एक पोषण स्तर से दूसरे पोषण स्तर पर जाते हैं, वैसे-वैसे उनका सांद्रण बढ़ता चला जाता है। दूसरे शब्दों में, जैव-आवर्द्धन में आहार- श्रृंखला की एक कड़ी से अगली कड़ी में प्रदूषकों का सांद्रण बढ़ता है। अत: कथन 1 सही नहीं है।
जैव आवर्द्धन के लिये प्रदूषकों में चार तत्त्वों का होना आवश्यक है- दीर्घ स्थायित्व, गतिशीलता, विभिन्न प्रकार की वसा में विलयशीलता और सक्रियता। इन प्रदूषकों में भारी धातुएँ (पारा, आर्सेनिक), डी.डी.टी. जैसे कीटनाशक और पॉलीक्लोरिनेटेड बाइफिनाइल जैसे रसायन आदि शामिल हैं।
जैव-संचयन: जैव-संचयन यह दर्शाता है कि किस प्रकार रसायन जीवधारियों में संगृहीत होते हैं। जैव संचयन तब होता है जब जीवधारियों द्वारा उपापचय या उत्सर्जन द्वारा प्रदूषकों के निष्कासन की दर, उनके अंतर्ग्रहण और संग्रहण की दर से कम होती है। प्रदूषक की जैविक अर्द्ध आयु जितनी अधिक होगी, उसके स्थायी रूप से विषाक्त हो जाने का खतरा भी उतना ही अधिक होगा, फिर चाहे पर्यावरणीय स्तर पर उसकी विषाक्तता कम ही क्यों न हो। जैव-संचयन में खाद्य श्रृंखला के प्रथम स्तर के जीवधारियों में पर्यावरण से प्राप्त प्रदूषकों की सांद्रता बढ़ जाती है। अत: कथन 2 सही नहीं है।