नियमित अभ्यास क्विज़ (Daily Pre Quiz) - 151

Posted on May 24th, 2019 | Create PDF File

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प्रश्न-1 : निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये -

  1. लोकसभा की अधिकतम सदस्य संख्या 545 निर्धारित है।
  2. राज्य विधायिका की अधिकतम और न्यूनतम सदस्य संख्या क्रमश: 500 और 50 निर्धारित है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?  

(a) केवल I

(b) केवल II

(c) I और II दोनों 

(d) इनमें से कोई नहीं

 

उत्तर - ()

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

प्रश्न-2 : निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये -

  1. भारत में सदन के नियमों में व्हिप के पद का उल्लेख किया गया है। 
  2. सदन के सदस्यों से व्हिप द्वारा दिये गए निर्देशों का अनुपालन करने की अपेक्षा की जाती है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?  

(a) केवल I

(b) केवल II

(c) I और II दोनों 

(d) इनमें से कोई नहीं

 

उत्तर - ()

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

प्रश्न-3 : निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये -

  1. संसद किसी भी राज्य को उसकी सहमति के बिना केंद्रीय कार्यपालिका का कोई भी कार्य सौंप सकती है। 
  2. राष्ट्रपति किसी भी राज्य को उसकी सहमति से केंद्रीय कार्यपालिका का कोई भी कार्य सौंप सकता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?  

(a) केवल I

(b) केवल II

(c) I और II दोनों 

(d) इनमें से कोई नहीं

 

उत्तर - ()

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

प्रश्न-4 : प्राक्कलन समिति के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं ?

  1. इसमें 22 सदस्य होते हैं (15 लोकसभा से और 7 राज्यसभा से)। 
  2. परंपरागत रूप से इस समिति का अध्यक्ष विपक्ष से चुना जाता है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:  

(a) केवल I

(b) केवल II

(c) I और II दोनों 

(d) इनमें से कोई नहीं      

 

उत्तर - ()

 

 

 

 

 

 

 

 

 

प्रश्न-5 : संसद सत्र के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये -

  1. संसद सत्र किसी सदन की पहली बैठक और उसके सत्रावसान/विघटन के बीच की अवधि को दर्शाता है।  
  2. दो सत्रों के बीच की अवधि को सत्रावसान के रूप में जाना जाता है।
  3. दो सत्रों के बीच अधिकतम स्वीकार्य अंतराल 3 महीनों का होता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?  

(a) केवल I

(b) केवल I और III

(c) केवल II और III 

(d) I, II और III

          

उत्तर - ()

 

 

 

 

उत्तरमाला

 

 

 

 

 

उत्तर-1 : (d)         

 

व्याख्या : लोकसभा: इसके सदस्यों की कुल संख्या 552 तय की गई है। इनमें से 530 सदस्य राज्यों के प्रतिनिधि होते हैं, 20 सदस्य केंद्रशासित प्रदेशों के प्रतिनिधि होते हैं और 2 सदस्यों को राष्ट्रपति द्वारा एंग्लो-इंडियन समुदाय से मनोनीत किया जाता है। अत: कथन 1 सही नहीं है।

राज्य विधानमंडल: इसके सदस्यों की अधिकतम संख्या 500 और न्यूनतम संख्या 60 तय की गई है। हालाँकि, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और गोवा के मामले में न्यूनतम संख्या 30 तय की गई है तथा मिज़ोरम और नगालैंड के मामले में क्रमश: 40 और 46 तय की गई है। राज्यपाल एंग्लो-इंडियन समुदाय से एक सदस्य को मनोनीत कर सकता है (अगर समुदाय का सदन में पर्याप्त रूप से प्रतिनिधित्व नहीं है)। अत: कथन 2 सही नहीं है।

 

 

 

 

 

उत्तर-2 : (b)

 

व्याख्या : प्रत्येक राजनीतिक दल की अपनी व्हिप होती है, जिसे पार्टी द्वारा एक असिस्टेंट फ्लोर लीडर के रूप में सेवा देने के लिये नियुक्त किया जाता है।

व्हिप का कार्यालय न तो भारत के संविधान में, न सदन के नियमों में और न ही संसदीय कानून में वर्णित है। यह संसदीय सरकार की परंपराओं पर आधारित है। अत: कथन 1 सही नहीं है।

उसकी ज़िम्मेदारी बड़ी संख्या में उनकी पार्टी के सदस्यों की उपस्थिति सुनिश्चित करने और किसी विशेष मुद्दे के पक्ष में या विरोध में समर्थन सुरक्षित करने की है।

वह संसद में उनके व्यवहार को नियंत्रित और निगरानी करने का कार्य करता है।

वह पार्टी के सदस्यों के लिये पार्टी के नेता के फैसले पर संवाद कायम करता है तथा पार्टी नेता के समक्ष उसके सदस्यों के विचार रखता है।

सदस्यों से व्हिप द्वारा दिये गए निर्देशों का पालन करने की अपेक्षा की जाती है। ऐसा करने में नाकाम रहने पर दल-बदल विरोधी कानून के तहत पार्टी की सदस्यता से हटाने या निष्कासन जैसी अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। अत: कथन 2 सही है।

 

 

 

 

 

 

उत्तर-3 : (c)

 

व्याख्या : संविधान में कठोरता एवं विभेदता को हटाने के लिये एक कार्यकारी अंतर-सरकारी प्रतिनिधिमंडल बनाने का प्रावधान है।

इसके अनुसार राष्ट्रपति, राज्य सरकार की सहमति से केंद्र सरकार के किसी भी कार्यकारी कार्यों को उसे सौंप सकता है। अत: कथन 2 सही है।

इसके विपरीत, राज्य का राज्यपाल, केंद्र सरकार की सहमति से, उस सरकार को राज्य के कार्यकारी कार्यों में से किसी एक को सौंप सकता है। प्रशासनिक कार्यों का यह पारस्परिक प्रत्यायोजन सशर्त या बिना शर्त हो सकता है।

संविधान उस राज्य की सहमति के बिना भी केंद्र के कार्यकारी कार्यों को एक राज्य को सौंपने का प्रावधान करता है। लेकिन, इस मामले में प्रत्यायोजन संसद द्वारा होता है, न कि राष्ट्रपति द्वारा। विशेष रूप से यही प्रक्रिया राज्य विधायिका द्वारा नहीं की जा सकती। अत: कथन 1 सही है।

इस प्रकार केंद्र तथा राज्य के बीच प्रशासनिक कार्यों का पारस्परिक प्रत्यायोजन या तो किसी समझौते या किसी कानून द्वारा किया जा सकता है। एक राज्य केवल पहली विधि का प्रयोग कर सकता है जबकि केंद्र दोनों विधियों का प्रयोग कर सकता है।

 

 

 

 

 

 

उत्तर-4 : (d)

 

व्याख्या : बजट में शामिल अनुमानों की जाँच करने और सार्वजनिक व्यय में मितव्ययता हेतु सुझाव देने के लिये प्राक्कलन समिति की स्थापना की गई है। इस प्रकार, इसे ‘सतत् आर्थिक समिति’ के रूप में वर्णित किया गया है।

इस समिति का गठन वर्ष 1921 में स्थापित स्थायी वित्तीय समिति से देखा जा सकता है। वर्ष 1950 में तत्कालीन वित्त मंत्री जॉन मथाई की सिफारिश पर स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद पहली प्राक्कलन समिति गठित की गई थी।

मूल रूप से इसमें 25 सदस्य थे लेकिन वर्ष 1956 में इसके सदस्यों की संख्या बढ़कर 30 हो गई। सभी 30 सदस्य केवल लोकसभा से हैं। इस समिति में राज्यसभा का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। अत: कथन 1 सही नहीं है।

एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से आनुपातिक प्रतिनिधित्व के सिद्धांतों के अनुसार, इन सदस्यों को प्रत्येक वर्ष लोकसभा के सदस्यों द्वारा चुना जाता है। इस प्रकार, सभी दलों को इसमें उचित प्रतिनिधित्व मिलता है।

समिति का कार्यकाल एक वर्ष का होता है। किसी मंत्री को समिति के सदस्य के रूप में निर्वाचित नहीं किया जा सकता है।

इसके अध्यक्ष का चुनाव लोकसभा अध्यक्ष उन सदस्यों में से करते हैं जो सत्तारूढ़ दल का होता है। अत: कथन 2 सही नहीं है।

 

 

 

 

 

 

उत्तर-5 : (a)

 

व्याख्या : सामान्यत: भारत की संसद में 3 सत्र होते हैं:

  1. बजट सत्र
  2. मानसून सत्र
  3. शीतकालीन सत्र

सत्र पहली बैठक और सत्रावसान या संसद के विघटन (केवल लोकसभा के मामले में, क्योंकि राज्यसभा एक स्थायी सदन है) के बीच की अवधि को संदर्भित करता है। अत: कथन 1 सही है।

जब सदन किसी सत्र में नहीं होता है, तब इसे अवकाश में कहा जाता है। अत: कथन 2 सही नहीं है।

संविधान के अनुच्छेद 85 के अनुरूप दो संसदीय सत्रों के बीच छ: माह से अधिक का अंतर नहीं होना चाहिये। अत: कथन 3 सही नहीं है।