नियमित अभ्यास क्विज़ (Daily Pre Quiz) - 149
Posted on May 23rd, 2019 | Create PDF File
प्रश्न-1 : कोई भी नई अखिल भारतीय सेवा किसके द्वारा सृजित की जा सकती है ?
(a) प्रधानमंत्री के किसी आदेश द्वारा
(b) राज्यसभा के किसी प्रस्ताव द्वारा
(c) लोकसभा के किसी प्रस्ताव द्वारा
(d) राष्ट्रपति के किसी आदेश द्वारा
उत्तर - ()
प्रश्न-2 : भारतीय संसदीय व्यवस्था के संदर्भ में कोई विधेयक धन विधेयक है या नहीं, यह तय करने का अंतिम अधिकार किसके पास है ?
(a) राष्ट्रपति
(b) प्रधानमंत्री
(c) उच्चतम न्यायालय
(d) लोकसभा अध्यक्ष
उत्तर - ()
प्रश्न-3 : ‘संसद की संयुक्त बैठक’ के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सही नहीं है ?
(a) यदि किसी विधेयक के संशोधनों के संदर्भ में दोनों सदनों के मध्य असहमति हो, तो इसे आहूत किया जाता है।
(b) यदि दूसरे सदन द्वारा विधेयक को अस्वीकृत किया जाता है, तो इसे आहूत किया जाता है।
(c) राष्ट्रपति, संसद की संयुक्त बैठक की अध्यक्षता करता है।
(d) यदि दूसरे सदन द्वारा विधेयक को पास किये बिना 6 महीने से ज़्यादा समय हो जाए, तो इसे आहूत किया जाता है।
उत्तर - ()
प्रश्न-4 : ‘वार्षिक वित्तीय विवरण’ के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा ‘कटौती-प्रस्ताव’ नहीं है ?
(a) मितव्ययता कटौती प्रस्ताव
(b) असहमति कटौती प्रस्ताव
(c) सांकेतिक कटौती प्रस्ताव
(d) नीतिगत कटौती प्रस्ताव
उत्तर - ()
प्रश्न-5 : सेवा भोज योजना के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये -
- यह सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की एक योजना है।
- इस योजना का उद्देश्य धर्मार्थ/धार्मिक संस्थानों को चावल और घी जैसे कच्चे माल मुफ्त प्रदान करना है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं ?
(a) केवल I
(b) केवल II
(c) I और II दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - ()
उत्तरमाला
उत्तर-1 : (b)
व्याख्या : संविधान का अनुच्छेद 312 राज्यसभा के प्रस्ताव के आधार पर नई अखिल भारतीय सेवा सृजित करने के संबंध में संसद को अधिकृत करता है। इसका अर्थ है कि संसद द्वारा किसी नई अखिल भारतीय सेवा का सृजन करने से पूर्व राज्यसभा द्वारा इस आशय का प्रस्ताव पारित करना आवश्यक होगा। साथ ही, ऐसे प्रस्ताव को राज्यसभा में उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत द्वारा समर्थित होना चाहिये। वस्तुत: संविधान में राज्यसभा को दी गई यह शक्ति भारतीय संघीय व्यवस्था में राज्यों के हितों की रक्षा की परिचायक है।
उत्तर-2 : (d)
व्याख्या : धन विधेयक के संबंध में लोकसभा के अध्यक्ष का निर्णय अंतिम निर्णय होता है। उसके निर्णय को किसी न्यायालय, संसद या राष्ट्रपति द्वारा चुनौती नहीं दी जा सकती है। जब धन विधेयक राज्यसभा एवं राष्ट्रपति के पास स्वीकृति हेतु भेजा जाता है तो लोकसभा अध्यक्ष द्वारा इसका धन विधेयक के रूप में पृष्ठांकन किया जाता है।
उत्तर-3 : (c)
व्याख्या : किसी विेधेयक पर गतिरोध की स्थिति में संविधान द्वारा संयुक्त बैठक की एक असाधारण व्यवस्था की गई है। यह निम्नलिखित तीन में से किसी एक परिस्थिति में बुलाई जाती है जब एक सदन द्वारा विधेयक पारित कर दूसरे को भेजा जाता है।
- यदि विधेयक को दूसरे सदन द्वारा अस्वीकृत कर दिया गया।
- यदि सदन विधेयक में किये गए संशोधनों को मानने से असहमत हो।
- दूसरे सदन द्वारा विधेयक को पास किये बिना 6 महीने से ज़्यादा समय हो जाए।
उपरोक्त तीन परिस्थितियों में विधेयक को निपटाने और इस पर चर्चा करने एवं मत देने के लिये राष्ट्रपति दोनों सदनों की बैठक बुलाता है। उल्लेखनीय है कि संयुक्त बैठक साधारण विधेयक या वित्त विधेयक के मामलों में ही आहूत की जा सकती है तथा धन विधेयक या संविधान संशोधन विधेयक के बारे में इस प्रकार की संयुक्त बैठक आहूत करने की कोई व्यवस्था नहीं है। धन विधेयक के मामले में संपूर्ण शक्तियाँ लोकसभाके पास हैं, जबकि संविधान संशोधन विधेयक के बारे में विधेयक को दोनों सदनों से अलग-अलग पारित होना आवश्यक है।
छह माह की अवधि में उस समय को नहीं गिना जाता जब अन्य सदन में चार क्रमिक दिनों हेतु सत्रावसान या स्थगन रहा हो।
यदि कोई विधेयक लोकसभा का विघटन होने के कारण छूट जाता है तो संयुक्त बैठक नहीं बुलाई जा सकती है। लेकिन संयुक्त बैठक तब बुलाई जा सकती है, जब राष्ट्रपति इस प्रकार की बैठक का नोटिस देते हैं जो लोक सभा विघटन से पूर्व जारी कर दिया गया हो। राष्ट्रपति द्वारा इस प्रकार का नोटिस देने के बाद कोई भी सदन इस विधेयक पर कोई कार्यवाही नहीं कर सकता है।
दोनों सदनों की संयुक्त बैठक की अध्यक्षता लोकसभा का अध्यक्ष करता है तथा उसकी अनुपस्थिति में उपाध्यक्ष यह दायित्व निभाता है| यदि उपाध्यक्ष भी अनुपस्थित हो तो राज्यसभा का उपसभापति यह दायित्व निभाता है। यदि राज्यसभा का उपसभापति भी अनुपस्थित हो तो संयुक्त बैठक में उपस्थित सदस्यों द्वारा इस बात का निर्णय किया जाता है कि इस संयुक्त बैठक की अध्यक्षता कौन करेगा। यहाँ यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि साधारण स्थिति में इस संयुक्त अधिवेशन की अध्यक्षता राज्यसभा का सभापति नहीं करता क्योंकि वह किसी भी सदन का सदस्य नहीं होता है।
इस संयुक्त बैठक का कोरम दोनों सदनों की कुल सदस्य संख्या का 1-10 भाग होता है। संयुक्त बैठक की कार्यवाही लोकसभा के प्रक्रिया नियमों के अनुसार संचालित होती है, न कि राज्यसभा के नियमों के अनुसार।
यदि विवादित विधेयक को इस संयुक्त बैठक में दोनों सदनों के उपस्थित एवं मत देने वाले सदस्यों की संख्या के बहुमत से पारित कर दिया जाता है तो यह माना जाता है कि विधेयक को दोनों सदनों ने पारित कर दिया है। सामान्यतया लोकसभा के सदस्यों की संख्या अधिक होने के कारण इस संयुक्त बैठक में उसकी शक्ति ज़्यादा होती है।
उत्तर-4 : (b)
व्याख्या : कटौती प्रस्ताव :
यह प्रस्ताव किसी सदस्य द्वारा वाद-विवाद को समाप्त करने के लिये लाया जाता है। यदि प्रस्ताव स्वीकृत हो जाए तो वाद-विवाद को रोककर इसे मतदान के लिये रखा जाता है। सामान्यतया चार प्रकार के कटौती प्रस्ताव होते हैं:
- साधारण कटौतीः यह वह प्रस्ताव होता है, जिसे किसी सदस्य की ओर से रखा जाता है कि इस मामले पर पर्याप्त चर्चा हो चुकी है। अब इसे मतदान के लिये रखा जाए।
- घटकों में कटौती: इस मामले में, किसी प्रस्ताव का चर्चा में पूर्व विधेयक या लंबे सकल्पों का एक समूह बना लिया जाता है। वाद-विवाद में इस भाग पर पूर्ण के रूप में चर्चा की जाती है और संपूर्ण भाग को मतदान के लिये रखा जाता है।
- कंगारू कटौतीः इस प्रकार के प्रस्ताव में, केवल महत्त्वपूर्ण खंडों पर ही बहस और मतदान होता है और शेष खंडों को छोड़ दिया जाता है और उन्हें पारित मान लिया जाता है।
- गिलोटिन प्रस्तावः जब किसी विधेयक या संकल्प के किसी भाग पर चर्चा नहीं हो पाती तो उस पर मतदान से पूर्व चर्चा कराने के लिये इस प्रकार का प्रस्ताव रखा जाता है।
अतः विकल्प (b) सही नहीं है।
उत्तर-5 : (d)
व्याख्या : भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने नई योजना ‘सेवा भोज योजना’ की शुरआत की है, जिसकी कुल लागत वित्तीय वर्ष 2018-19 और 2019-20 के लिये 325 करोड़ रखी गई है। अत: कथन 1 सही नहीं है।
इस योजना के तहत भोजन/प्रसाद/लंगर/भंडारे के लिये घी/तेल/आटा/मैदा/रवा, चावल, दाल, चीनी, गुड़ जैसी- कच्ची सामग्रियों की खरीदारी पर केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (Central Goods and Services Act-CGST) और एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर (Integrated Goods and Services Act-IGST) का केंद्र सरकार का हिस्सा लौटा दिया जाएगा, ताकि लोगों/श्रद्धालुओं को बगैर किसी भेदभाव के नि:शुल्क भोजन/प्रसाद/लंगर/भंडारा प्रदान करने वाले परोपकारी धार्मिक संस्थानों के वित्तीय बोझ को कम किया जा सके। इसलिये इस योजना में टैक्स/करों की प्रतिपूर्ति (वापस लौटाने) का प्रावधान है और यह नि:शुल्क कच्ची सामग्री प्रदान नहीं करता है। अत: कथन 2 सही नहीं है।
इस योजना का लाभ उठाने के लिये धार्मिक/धर्मार्थ संस्थानों को पहले नीति आयोग के ‘दर्पण’ पोर्टल पर पंजीकृत होना होगा और दर्पण पोर्टल द्वारा जारी किया गया यूनीक आई.डी. लेना होगा।