नियमित अभ्यास क्विज़ (Daily Pre Quiz) - 147

Posted on May 21st, 2019 | Create PDF File

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प्रश्न-1 : अंतर्राष्ट्रीय स्मारक एवं स्थल परिषद के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं ?

  1. यह प्रागैतिहासिक धरोहरों के उद्धार हेतु वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद द्वारा चलाया गया एक अभियान है। 
  2. यह सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण हेतु यूनेस्को की एक परामर्शदात्री शाखा के रूप में कार्य करता है। 
  3. इसने केरल धरोहर संरक्षण अभियान चलाया है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये :  

(a) केवल I

(b) केवल I और II

(c) केवल II और III 

(d) I, II और III

 

उत्तर - ()

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

प्रश्न-2 : निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये -

  1. अष्टाध्यायी की रचना पतंजलि ने की है। 
  2. ‘तोलकाप्पियम’ तेलुगू व्याकरण की रचना है। 
  3. ‘गाथासप्तशती’ एक प्राकृत रचना है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं ?  

(a) केवल I और III

(b) केवल II और III

(c) केवल III 

(d) I, II और III

 

उत्तर - ()

 

 

 

 

 

 

 

 

 

प्रश्न-3 : निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये -

  1. संगम साहित्य एक धार्मिक साहित्य है। 
  2. संगम साहित्य के पद्य आठ संकलनों में विभक्त हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं ?  

(a) केवल I

(b) केवल II

(c) I और II दोनों  

(d) इनमें से कोई नहीं 

 

उत्तर - ()

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

प्रश्न-4 : निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये -

  1. अजंता की अधिकांश गुफाओं का विकास बौद्ध धर्म के हीनयान चरण के दौरान हुआ।
  2. प्रसिद्ध कैलाश मंदिर अजंता की गुफाओं में स्थित है।
  3. अजंता गुफाओं में प्रकोष्ठ का अभाव है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही नहीं हैं ?  

(a) केवल I और II

(b) केवल II और III

(c) केवल I और III  

(d) I, II और III       

 

उत्तर - ()

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

प्रश्न-5 : निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:

  1. गांधार कला शैली में यूनानी विशेषताएँ देखने को मिलती हैं।
  2. मथुरा कला शैली में केवल वैष्णव और शैव धर्मों से संबंधित प्रतिमाएँ पाई जाती हैं।
  3. मथुरा स्थित बुद्ध की प्रतिमाओं के विपरीत सारनाथ में बुद्ध की प्रतिमाओं में सादे और पारदर्शी वस्त्रविन्यास देखने को मिलते हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं ?  

(a) केवल I और II

(b) केवल II और III

(c) केवल I और III  

(d) I, II और III

          

उत्तर - ()

 

 

 

 

 

उत्तरमाला

 

 

 

 

 

उत्तर-1 : (c)         

 

व्याख्या : अंतर्राष्ट्रीय स्मारक एवं स्थल परिषद के बारे में-

अंतर्राष्ट्रीय स्मारक एवं स्थल परिषद (International Council On Monuments and Sites-ICOMOS) एक प्रतिष्ठित गैर-सरकारी संगठन है जो विश्व भर में वास्तुशिल्पीय और पुरातात्त्विक धरोहर के संरक्षण के लिये सिद्धांत, पद्धति और वैज्ञानिक तकनीकों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिये समर्पित है।

ICOMOS सांस्कृतिक धरोहर के लिये, विशेष रूप से विश्व धरोहर कन्वेंशन के कार्यान्वयन के लिये यूनेस्को का सलाहकारी निकाय भी है। यह वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (Council for Scientific and Industrial Research-CSIR) से संबद्ध नहीं है। अत: कथन 1 सही नहीं है जबकि 2 सही है।

 

 

 

 

 

 

 

उत्तर-2 : (c)

 

व्याख्या : ‘अष्टाध्यायी’ एक संस्कृत व्याकरण की पुस्तक है। इसकी रचना पाणिनी ने की है। इसमें भाषा की शुद्धता तथा शब्दों का निर्माण कैसे हुआ इस पर बल दिया गया है। अत: कथन 1 सही नहीं है।

पतंजलि ने अष्टाध्यायी पर ‘महाभाष्य’ नामक पुस्तक लिखी थी।

तोलकाप्पियम तमिल व्याकरण की रचना है, न कि तेलुगू की। अत: कथन 2 सही नहीं है।

हाल द्वारा रचित ‘गाथासप्तशती’ एक प्राकृत रचना है। इस रचना को साहित्य का सर्वोत्तम उदाहरण माना जाता है। अतः कथन 3 सही है।

 

 

 

 

 

 

उत्तर-3 : (b)

 

व्याख्या : संगम साहित्य के पद्य 30000 पंक्तियों में मिलते हैं जो आठ संकलनों में विभक्त हैं। ‘संगम साहित्य’ धार्मिक साहित्य नहीं है। इसमें परिष्कृत साहित्य का भी दर्शन होता है। संगम साहित्य में बहुत से नगरों का भी उल्लेख मिलता है। अतः कथन 1 सही नहीं है जबकि कथन 2 सही है।

ईसा की आरंभिक सदियों में प्रायद्वीपीय तमिलनाडु के लोगों के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक जीवन का अध्ययन करने के लिये संगम साहित्य हमारा प्रमुख स्रोत है।

 

 

 

 

 

 

 

 

उत्तर-4 : (a)

 

व्याख्या : अजंता महाराष्ट्र के औरंगाबाद ज़िले में स्थित चट्टानों को काटकर बनाई गई गुफाओं की श्रृंखला है। अजंता में 29 गुफाएँ हैं। इसमें उस काल की दिनांकित चार चैती गुफाएँ हैं जैसे कि दूसरी और पहली शताब्दी ई.पू. की गुफा संख्या 19 और 26। इसमें बड़े चैत्यविहार हैं जो मूर्तियों और कलाकृतियों से सुसज्जित हैं।

ये चित्र मुख्यत: बौद्ध विषयवस्तु (बुद्ध के जीवन वृतांत और जातक कथाओं की विषय) वस्तु पर बने हैं। 29 में से 5 गुफाएँ हीनयान चरण में विकसित हुई थीं, जबकि शेष का विकास महायान चरण में हुआ था। अत: कथन 1 सही नहीं है।

प्रसिद्ध कैलाश मंदिर (गुफा नं. 16) जिसे एक एकाश्म पत्थर से निर्मित किया गया था, एलोरा की गुफाओं (अजंता की गुफाओं में नहीं) में स्थित है। अतः कथन 2 सही नहीं है।

अजंता और ऐलोरा की गुफाओं में प्रमुख अंतर पर्वतों का ढलान है। अजंता-गुफाएँ पर्वत की खड़ी सतह की तरफ बनी हैं, जबकि ऐलोरा की गुफाएँ तिरछी सतह की तरफ बनी हैं। इसी कारण से ऐलोरा गुफाओं में प्रकोष्ठ उपस्थित है, जबकि अजंता गुफाओं में यह उपस्थित नहीं है। अत: कथन 3 सही है।

 

 

 

 

 

 

उत्तर-5 : (c)

 

व्याख्या : गांधार कला की विषयवस्तु तो भारतीय थी, परंतु इसकी कला शैली यूनानी और रोमन थी। यही कारण रहा कि गांधार कला को ग्रीक-रोमन, ग्रीको-बुद्धिस्ट या हिंदू-यूनानी कला कहा जाता है। भारतीय आवश्यकताओं के अनुसार यूनानी और रोमन तकनीकों में परिवर्तन कर उन्हें गांधार मूर्तिकला में प्रयुक्त किया गया। अतः कथन 1 सही है।

यह शैली वास्तव में पश्चिमी वेशभूषा में भारतीय संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती है। विषयवस्तु मुख्यत: बौद्ध है। इस शैली का विस्तार भारत में तक्षशिला से लेकर पाकिस्तान में स्वात घाटी तथा उत्तर की ओर अफ़गानिस्तान तक था। इस कला शैली में पहली बार बुद्ध की सुंदर मूर्तियाँ बनाई गईं। बुद्ध का महापरिनिर्वाण दर्शाता फलक दूसरी शताब्दीईसवी सन् की गांधार कला का उत्कृष्ट उदाहरण है।

इस कला शैली में मूर्तियों के निर्माण में सफेद और काले रंग के पत्थरों का इस्तेमाल किया गया। गांधार कला को महायान धर्म के विकास से काफी प्रोत्साहन प्राप्त हुआ। इसकी मूर्तियों की विशेषता यह है कि इसमें मांसपेशियाँ स्पष्ट झलकती हैं और मूर्तियों पर आकर्षक वस्त्रों की सलवटें साफ दिखाई देती हैं।

इस शैली में बाह्य सौन्दर्य पर विशेष बल दिया गया। इस शैली की मूर्तियों में भगवान बुद्ध यूनानी देवता अपोलो के समान प्रतीत होते हैं।

इस शैली में उच्चकोटि की नक्काशी का प्रयोग करते हुए प्रेम, करुणा, वात्सल्य आदि विभिन्न भावनाओं एवं अलंकारिता का सुंदर सम्मिश्रण प्रस्तुत किया गया है तथा आभूषण के प्रदर्शन पर भी विशेष बल दिया गया है। कनिष्क के काल में इस कला का तेज़ी से विकास हुआ। भरहुत एवं सांची में अवस्थित (कनिष्क द्वारा निर्मित) स्तूप, गांधार कला के सर्वोत्तम उदाहरण हैं।

ईसवी सन् की पहली शताब्दी के क्रांतिकारी परिवर्तन का न केवल भारतीय कला, बल्कि एशिया के बौद्ध देशों के कलात्मक विकास पर भी दूरगामी प्रभाव पड़ा। बुद्ध, जिन्हें अब तक केवल चिह्न के रूप में दर्शाया जाता था, को मानवाकार दिया गया। उनके आकार को महापुरूषलक्षण से संबंधित 32 शारीरिक चिह्न दिये गए जैसे उभरा हुआ कपाल, गाँठ लगे केश, भौंहों के बीच बिंदी तथा लंबे कान। संभवत: गांधार तथा मथुरा में बुद्ध की प्रतिमा का आविर्भाव समानांतर घटना थी।

प्रत्येक उदाहरण में स्थानीय परंपरा में काम करते हुए स्थानीय शिल्पकारों ने इसे तैयार किया। मथुरा में इसका आविर्भाव स्पष्ट रूप से यक्ष परंपरा से हुआ। पहली से तीसरी शताब्दी ईसवी के बीच मध्य एशिया से आने वाले कुषाणों का उत्तर के विशाल हिस्सों पर आधिपत्य था। उनके शासनकाल में दिल्ली से केवल 80 मील दूर मथुरा गहन कलात्मक गतिविधियों का केंद्र था।

अब पारंपरिक देवी-देवता तथा बौद्ध व जैन देवता, जो भारतीय कला के विकास की विशेषता थे, को प्रयोग के तौर पर तैयार किया जाने लगा। इस दौरान मथुरा के विशिष्ट लाल तथा लाल चित्तीदार बलुआ पत्थर में कुषाण सम्राटों तथा अनेक कुलीन पुरूष व स्त्रियों के भव्य चित्र तैयार किये गए। अतः कथन 2 सही नहीं है।

सारनाथ में पाया गया, पॉलिश किया गया एकाश्मक शीर्ष जो कि अब भारत सरकार का चिह्न है, में चार दहाड़ते हुए सिंहों को चार प्रमुख दिशाओं की ओर मुँह किये हुए और एक दूसरे की ओर पीठ किये हुए दिखाया गया है। गोलाकार शीर्षफलक को चार धर्मचक्रों से अलंकृत किया गया है जिनके बीच में बारी-बारी से एक हाथी, एक वृषभ, एक घोड़े और एक सिंह को अत्यंत कुशलता से उत्कीर्ण किया गया है। शीर्षफलक का आधार घंटी के आकार का है जिसमें धर्मचक्र के साथ एक कमल है जो संभवत: मानव बल के आगे सच्चाई की जीत का प्रतीक है। आकृतियों की बेहतरीन बनावट यथार्थवादी और विशिष्ट होने के अलावा इनमें शक्ति और गरिमा भी निहित है जो कि मौर्य कला के अभिजात और अंतर्राष्ट्रीय स्वरूप पर प्रकाश डालती है। अतः कथन 3 सही है।