नियमित अभ्यास क्विज़ (Daily Pre Quiz) - 142

Posted on May 15th, 2019 | Create PDF File

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प्रश्न-1 : भारत के उपराष्ट्रपति के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये -

  1. उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत पद पर बना रहता है।
  2. यदि उपराष्ट्रपति का पद उसके त्यागपत्र, निष्कासन, मृत्यु या किन्हीं अन्य कारणों से रिक्त होता है तो पद-रिक्ति की तिथि से छ: माह की अवधि के भीतर निर्वाचन हो जाना चाहिये।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं ?  

(a) केवल I

(b) केवल II

(c) I और II दोनों  

(d) इनमें से कोई नहीं

 

उत्तर - ()

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

प्रश्न-2 : निम्नलिखित में से कौन अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपते हैं ?

  1. भारत का नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक 
  2. राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग 
  3. भाषायी अल्पसंख्यकों के लिये विशेष अधिकारी
  4. भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये :  

(a) केवल I और II

(b) केवल II और III

(c) केवल I, II और III   

(d) I, II, III और IV

 

उत्तर - ()

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

प्रश्न-3 : निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये -

  1. राष्ट्रीय आपात की घोषणा ‘युद्ध’ या ‘बाह्य आक्रमण’ अथवा ‘आभ्यंतरिक अशांति’ के आधार पर की जा सकती है। 
  2. एक बार संसद द्वारा मंज़ूरी मिलने के बाद राष्ट्रीय आपात एक साल तक जारी रहता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं ?  

(a) केवल I

(b) केवल II

(c) I और II दोनों  

(d) इनमें से कोई नहीं

 

उत्तर - ()

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

प्रश्न-4 : संविधान की छठी अनुसूची के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं ?

  1. इसमें उत्तर-पूर्वी राज्यों असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम के जनजातीय क्षेत्रों के लिये विशेष प्रावधान किये गए हैं। 
  2. राष्ट्रपति के पास इन क्षेत्रों को व्यवस्थित और पुनर्गठित करने का अधिकार है।
  3. पाँचवीं अनुसूची की तरह यह भी जनजाति सलाहकार परिषद का प्रावधान करती है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये : 

(a) केवल I

(b) केवल II और III

(c) केवल I और II 

(d) I, II और III        

 

उत्तर - ()

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

प्रश्न-5 : भारतीय संविधान के अनुच्छेद 360 के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये -

  1. एक बार संसद के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित वित्तीय आपात वापस लिये जाने तक अनिश्चित काल के लिये जारी रहता है।
  2. वित्तीय आपात का न्यायिक पुनर्विलोकन नहीं किया जा सकता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन से सही हैं ?  

(a) केवल I

(b) केवल II

(c) I और II दोनों

(d) इनमें से कोई नहीं

          

उत्तर - ()

 

 

 

 

उत्तरमाला

 

 

 

 

 

उत्तर-1 : (c)         

 

व्याख्या : भारतीय संविधान के अनुच्छेद 67 के अनुसार, भारत के उपराष्ट्रपति का पद पाँच वर्ष की अवधि के लिये होता है। भारत के उपराष्ट्रपति को उसके पद से तब हटाया जा सकता है जब राज्यसभा के सभी सदस्यों द्वारा पूर्ण बहुमत से इस आशय का प्रस्ताव पारित किया जाए तथा लोकसभा द्वारा इस पर सहमति व्यक्त की जाए। इस प्रयोजनार्थ प्रस्ताव को तभी लाया जा सकता है जब इस आशय की सूचना कम-से-कम 14 दिन पूर्व दी गई हो।

अत: कथन 1 सही नहीं है।

अनुच्छेद 68 (2) मृत्यु, त्यागपत्र या निष्कासन या किसी अन्य कारणों से रिक्त हुए उपराष्ट्रपति के पद को तत्काल भरा जाएगा तथा इस पद को भरने के लिये निर्वाचित सदस्य अनुच्छेद 68 के प्रावधानों के अधीन होगा और वह पद ग्रहण करने की तारीख से पाँच वर्षों की अवधि तक इस पद पर बना रहेगा। अत: कथन 2 सही नहीं है।

 

 

 

 

 

 

 

उत्तर-2 : (c)

 

व्याख्या : भारत का नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (Article 148-151): अनुच्छेद 151(1) के अनुसार, भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक द्वारा संघ के लेखाओं संबंधी प्रतिवेदनों को राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा, जो इन्हें संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष रखवाएगा।

राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (अनुच्छेद 338): अनुच्छेद 338(5) (क) के अनुसार, उन रक्षोपायों के कार्यकरण के बारे में प्रतिवर्ष और ऐसे समय पर, जिसे आयोग ठीक समझे, राष्ट्रपति को रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा।

भाषाई अल्पसंख्यक-वर्गों के लिये विशेष अधिकारी (अनुच्छेद 350ख): विशेष अधिकारी का यह कर्त्तव्य होगा कि वह इस संविधान के अधीन भाषाई अल्पसंख्यक-वर्गों के लिये उपबंधित रक्षोपायों से संबद्ध सभी विषयों का अन्वेषण करे और उन विषयों के संबंध में ऐसे अंतरालों पर जिन्हें राष्ट्रपति निर्दिष्ट करे, राष्ट्रपति को प्रतिवेदन दे तथा राष्ट्रपति द्वारा ऐसे सभी प्रतिवेदनों को संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा और संबंधित राज्यों की सरकारों को भिजवाया जाएगा।

भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग: भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग भारत सरकार का एक सांविधिक निकाय है जो 14 अक्तूबर, 2003 को प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002 के अंतर्गत स्थापित किया गया है। मई 2009 में यह पूरी तरह कार्यात्मक बन गया। इसमें एक चेयरपर्सन और छह सदस्य होते हैं। यह देश भर में प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम लागू करने के लिये ज़िम्मेदार है। इसका उद्देश्य है:

 

  • प्रतिस्पर्द्धा पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाली पद्धतियों को रोकना।
  • बाज़ार में प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देना और इसे बनाए रखना।
  • उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना।
  • भारतीय बाज़ार में अन्य प्रतिभागियों द्वारा किये जाने वाले व्यापार की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना।
  • इसकी कोई बाध्यता नहीं है कि वह अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को प्रस्तुत करें।

 

 

 

 

 

 

 

उत्तर-3 : (d)

 

व्याख्या : अनुच्छेद 352 के अंतर्गत, राष्ट्रपति एक ऐसी स्थिति में राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर सकता है, जब युद्ध या बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह के कारण भारत की या इसके कुछ हिस्से की सुरक्षा को खतरा हो।

राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा पूरे देश या उसके कुछ हिस्से पर लागू हो सकती है। 1976 का 42वाँ संविधान संशोधन अधिनियम राष्ट्रपति को भारत के किसी विशिष्ट भाग में राष्ट्रीय आपातकाल के संचालन को सीमित करने में सक्षम बनाता है।

मूल रूप से, राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा के लिये तीसरी स्थिति के रूप में संविधान में ‘आभ्यंतरिक अशांति’ का उल्लेख किया गया था, लेकिन इसकी अभिव्यक्ति बहुत अस्पष्ट थी और इसका अर्थ बहुत व्यापक था। अत: 1976 के 44वें संविधान संशोधन अधिनियम में ‘सशस्त्र विद्रोह’ शब्द से ‘आभ्यंतरिक अशांति’ शब्द को प्रतिस्थापित किया गया। अत: कथन 1 सही नहीं है। 

आपातकाल की घोषणा जारी की गई तारीख से एक महीने के भीतर संसद के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित होनी चाहिये। यदि संसद के दोनों सदनों ने इसे अनुमोदित कर दिया है, तो आपातकाल छः महीने तक जारी रहता है, और हर छः महीने में संसद के अनुमोदन के साथ इसे अनिश्चित काल तक बढ़ाया जा सकता है। 1978 के 44वें संशोधन अधिनियम द्वारा आवधिक संसदीय अनुमोदन के इस प्रावधान को भी शामिल किया गया था। अत: कथन 2 सही नहीं है।

आपातकाल की घोषणा का अनुमोदन करने वाले प्रत्येक प्रस्ताव को या उसकी निरंतरता को संसद के सदन द्वारा विशेष बहुमत से पारित किया जाना चाहिये, जो कि (क) उस सदन की कुल सदस्यता का बहुमत हो और (ख) उस सदन में मतदान में उपस्थित सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से कम नहीं हो। विशेष बहुमत का यह प्रावधान 1978 के 44वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा पेश किया गया था। पहले, इस तरह का प्रस्ताव संसद के साधारण बहुमत से पारित किया जा सकता था।

 

 

 

 

 

 

 

उत्तर-4 : (a)

 

व्याख्या : संविधान की छठी अनुसूची में चार उत्तर-पूर्वी राज्यों असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम के जनजातीय क्षेत्रों में विशेष प्रावधानों का वर्णन किया गया है। अत: कथन 1 सही है।

संविधान की छठी अनुसूची के अंतर्गत प्रशासन की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

 

  1. असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम के जनजातीय क्षेत्रों में स्वशासी ज़िलों का गठन किया गया है। लेकिन वे संबंधित राज्य के कार्यकारी प्राधिकार के बाहर नहीं हैं।
  2. राज्यपाल को स्वशासी ज़िलों को स्थापित या पुनर्स्थापित करने का अधिकार हैं। अत: राज्यपाल इनके क्षेत्रों को बढ़ा या घटा सकता है, नाम परिवर्तित कर सकता है या सीमाएँ निर्धारित कर सकता है। अत: कथन 2 सही नहीं है।
  3. अगर स्वशासी ज़िले में विभिन्न जनजातियाँ हैं तो राज्यपाल ज़िले को विभिन्न स्वशासी प्रदेशों में विभाजित कर सकता है।
  4. प्रत्येक स्वशासी ज़िले के लिये एक परिषद होगी, जो तीस सदस्यों से मिलकर बनेगी जिसमें 4 सदस्य राज्यपाल द्वारा नामित किये जाएंगे शेष 26 सदस्य वयस्क मताधिकार के आधार पर निर्वाचित किये जाएंगे। निर्वाचित सदस्यों का कार्यकाल पाँच वर्ष का होता है (बशर्ते परिषद को पहले विघटित न कर दिया जाए) और मनोनीत सदस्य राज्यपाल के प्रसादपर्यंत तक पद धारण करेंगे। प्रत्येक स्वशासी क्षेत्र में अलग प्रादेशिक परिषद भी होती है। अत: कथन 3 सही नहीं है।
  5. ज़िला और प्रादेशिक परिषद को अपने अधीन क्षेत्रों के लिये विधि बनाने की शक्ति प्राप्त है। वे भूमि, वन, नहर, झूम या स्थानांतरण कृषि, ग्राम प्रशासन, संपत्ति का उत्तराधिकार, विवाह तथा विवाह-विच्छेद, सामाजिक रीति-रिवाज इत्यादि पर विधि बना सकते हैं। लेकिन ऐसी प्रत्येक विधि को राज्यपाल की सहमति मिलना आवश्यक है।
  6. ज़िला और क्षेत्रीय परिषद अपने क्षेत्रीय न्यायाधिकारों के अंतर्गत जनजातियों के बीच झगड़ों और मुकदमों की जाँच करने के लिये ग्रामीण परिषदों या अदालतों का गठन कर सकती है। वे उनकी अपीलों को सुनते हैं। इन झगड़ों और मामलों पर उच्च न्यायालय का अधिकार क्षेत्र राज्यपाल द्वारा निर्दिष्ट किया जाता है।
  7. ज़िला परिषद ज़िले में प्राथमिक विद्यालयों, चिकित्सालयों, बाज़ारों, घाटों, मत्स्यपालन, सड़कों आदि को स्थापित, निर्मित या प्रबंधित कर सकती है। यह गैर-आदिवासियों द्वारा धन उधार और व्यापार के नियंत्रण के लिये भी नियम बना सकती है। लेकिन इस प्रकार के नियमों को राज्यपाल की सहमति मिलना आवश्यक है।
  8. ज़िला और क्षेत्रीय परिषदों को भूमि राजस्व का आकलन करने और कर एकत्रित करने और कुछ निर्दिष्ट कर लगाने के लिये अधिकार प्राप्त है।
  9. संसद या राज्य विधायिका के नियम स्वशासी ज़िलों और स्वशासी क्षेत्रों पर लागू नहीं होते हैं या निर्दिष्ट संशोधनों और छूटों के साथ लागू होते हैं।
  10. 10.राज्यपाल स्वशासी ज़िलों या क्षेत्रों के प्रशासन से संबंधित किसी भी मामले की जाँच और रिपोर्ट करने के लिये एक आयोग गठित कर सकता है। वह आयोग की सिफारिश पर ज़िला या क्षेत्रीय परिषद को भंग कर सकता है।

 

 

 

 

 

 

उत्तर-5 : (a)

 

व्याख्या : घोषणा का आधार: अनुच्छेद 360 राष्ट्रपति को वित्तीय आपातकाल की घोषणा करने का अधिकार देता है, अगर राष्ट्रपति को विश्वास हो जाता है कि देश में ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जिसके कारण आर्थिक स्थिरता या भारत अथवा इसके क्षेत्र के किसी भी हिस्से की साख को खतरा है तो उसे अनुच्छेद 360 के तहत आपातकाल की घोषणा करने का अधिकार है।

वित्तीय आपातकाल घोषित करने की उद्घोषणा की तारीख से दो महीने के भीतर संसद के दोनों सदनों द्वारा इसे अनुमोदित किया जाना चाहिये।

यदि वित्तीय आपातकाल की घोषणा उस समय जारी की गई है जब लोकसभा भंग कर दी गई है या दो महीने की अवधि के दौरान बिना इस उद्घोषणा के स्वीकृत किये लोकसभा का विघटन हो जाता है, तो यह उद्घोषणा लोकसभा के पुनर्गठन के बाद पहली बैठक से 30 दिनों तक जारी रहती है। बशर्ते राज्यसभा द्वारा इस दौरान इसे मंज़ूरी दी गई हो।

एक बार संसद के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित होने पर, वित्तीय आपातकाल तब तक अनिश्चितकाल के लिये जारी रहता है, जब तक इसे निरस्त नहीं किया जाता है। इससे दो आशय समझ में आते हैं: इसके संचालन के लिये कोई निर्धारित अधिकतम अवधि नहीं है और इसकी निरंतरता के लिये आवधिक संसदीय अनुमोदन आवश्यक नहीं है। अत: कथन 1 सही है। 

1975 के 38वें संविधान संशोधन अधिनियम में वित्तीय आपातकाल घोषित करने में राष्ट्रपति की संतुष्टि को अंतिम और निर्णायक बनाया गया था जिसके संबंध में किसी भी आधार पर किसी भी न्यायालय में प्रश्न नहीं उठाया जा सकता। लेकिन, इस प्रावधान को 1978 के 44वें संशोधन अधिनियम द्वारा हटा दिया गया जिसका अर्थ है कि राष्ट्रपति की संतुष्टि न्यायिक समीक्षा से परे नहीं है। अत: कथन 2 सही नहीं है।

वित्तीय आपातकाल की घोषणा का अनुमोदन करने वाले किसी प्रस्ताव को संसद के सदन द्वारा केवल साधारण बहुमत से ही अनुमोदित किया जा सकता है, यानी उस सदन में उपस्थित सदस्यों और उनके मतदान के बहुमत द्वारा।

वित्तीय आपातकाल की घोषणा को किसी भी समय राष्ट्रपति की अनुवर्ती घोषणा द्वारा रद्द किया जा सकता है। इस तरह की घोषणा के लिये संसदीय अनुमोदन की आवश्यकता नहीं है।