नियमित अभ्यास क्विज़ (Daily Pre Quiz) - 139

Posted on May 10th, 2019 | Create PDF File

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प्रश्न-1 : हाल ही में, केंद्र सरकार ने ब्रू समुदाय के रूप में जानी जाने वाली रींग जनजाति को त्रिपुरा से वापस अपने गृह-राज्य भेजने के लिये वित्तीय सहायता प्रदान की है। निम्नलिखित में से कौन-सा राज्य रींग जनजाति का मूल राज्य है ?

 

(a) मिज़ोरम

(b) असम

(c) मणिपुर 

(d) मेघालय

 

उत्तर - ()

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

प्रश्न-2 : ‘निरोध एवं गिरफ्तारी से संरक्षण’ के मौलिक अधिकार के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये -

 

  1. गिरफ्तार किये गए और हिरासत में लिये गए किसी भी व्यक्ति को 24 घंटों के भीतर निकटतम मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। 
  2. गिरफ्तार व्यक्ति को गिरफ्तारी के आधार के बारे में सूचित किया जाएगा।

 

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं ?  

(a) केवल I

(b) केवल II

(c) I और II 

(d) इनमें से कोई नहीं 

 

उत्तर - ()

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

प्रश्न-3 : परमादेश रिट के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं ?

 

  1. यह मूल अधिकारों के प्रवर्तन के लिये है। 
  2. यह एक सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किसी व्यक्ति को सशरीर उपस्थित करने संबंधी आदेश है।
  3. इसे केवल प्रशासनिक अधिकरणों के विरुद्ध जारी किया जाता है।

 

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं ?  

(a) केवल I

(b) केवल I और II

(c) केवल II और III 

(d) I, II और III

 

उत्तर - ()

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

प्रश्न-4 : भारत के संविधान का अनुच्छेद 35A निम्नलिखित में से किससे संबंधित है ?

 

(a) मौलिक अधिकार

(b) राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत

(c) जम्मू-कश्मीर के विशेष अधिकार

(d) संवैधानिक उपचारों का अधिकार          

 

उत्तर - ()

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

प्रश्न-5 : निम्नलिखित में से कौन-से मौलिक अधिकार हैं ?

 

  1. चुनाव करने का अधिकार  
  2. मतदान का अधिकार 
  3. शराब का व्यापार करने का अधिकार
  4. ख्याति का अधिकार

 

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं ?  

(a) केवल II और III

(b) केवल I और II

(c) केवल I, II और III

(d) केवल I और IV

          

उत्तर - ()

 

 

 

 

उत्तरमाला

 

 

 

 

 

उत्तर-1 : (a)         

 

व्याख्या : ब्रू समुदाय की वापसी

 

  • मिज़ोरम में रींग जनजाति दूसरा सबसे बड़ा जनजातीय समूह है। वर्ष 1997 में अंतर-समुदाय हिंसा के कारण 30,000 से अधिक रींग जनजाति (जिन्हें मिजोरम में ब्रू के रूप में जाना जाता है) मिज़ोरम से त्रिपुरा चले गए थे। अत: विकल्प (a) सही है।
  • वर्ष 1997 में पलायन की शुरुआत हुई जब रींग जनजाति के द्वारा एक स्वायत्त परिषद् के निर्माण की मांग की जाने पर ममथ उपमंडल, जो रींग-वर्चस्व वाला क्षेत्र है, में हिंसक संघर्ष हुए। मिज़ो समूहों द्वारा इस मांग का ज़ोरदार विरोध किया गया था तथा तब से उन्हें वापस भेजने के लिये लगातार प्रयास किये जा रहे हैं।
  • हाल ही में, गृह मंत्रालय ने ब्रू समझौते (दो राज्य सरकारों और केंद्र द्वारा हस्ताक्षरित एक त्रिपक्षीय समझौता) को लागू करने के लिये वचन दिया, वर्तमान में त्रिपुरा में शिविरों में रहने वाले लगभग 33,000 ब्रू शरणार्थियों को मिज़ोरम भेजने के लिये हस्ताक्षर किये थे।
  • केंद्र सरकार मिज़ोरम में ब्रू समुदाय के सदस्यों के पुनर्वास के लिये वित्तीय सहायता प्रदान करेगी और मिज़ोरम और त्रिपुरा सरकारों के साथ मिलकर सुरक्षा, शिक्षा, आजीविका इत्यादि के मुद्दों का समाधान करेगी।
  • इस समझौते के अनुसार, ब्रू समुदाय को मतदान का अधिकार प्रदान किया जाएगा।

 

 

 

 

 

 

 

उत्तर-2 : (c)

 

व्याख्या : अनुच्छेद 22: कुछ मामलों में गिरफ्तारी और हिरासत के खिलाफ संरक्षण।

 

  • अनुच्छेद 22 उन लोगों को सुरक्षा प्रदान करता है जिन्हें गिरफ्तार किया गया है या हिरासत में लिया गया है। इसका उद्देश्य किसी व्यक्ति को उसके पिछले अपराध के लिये दंडित करना नहीं बल्कि निकट भविष्य में उसे अपराध करने से रोकना है।
  • अनुच्छेद 22 उस व्यक्ति को निम्नलिखित अधिकार प्रदान करता है, जिसे सामान्य कानून के तहत गिरफ्तार किया गया है या नज़रबंद किया गया है:

 

  • जिस आधार पर उसे गिरफ्तार किया गया है उसके बारे में सूचित करने का अधिकार।
  • वकील/अधिवक्ता से परामर्श करने और अपना बचाव करने का अधिकार।
  • यात्रा के समय को छोड़कर 24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने का अधिकार।
  • यदि मजिस्ट्रेट हिरासत की अवधि को नहीं बढ़ाता है तो 24 घंटे के बाद रिहा होने का अधिकार।

 

  • ये रक्षोपाय (साधारण कानून के तहत गिरफ्तारी या हिरासत) किसी विदेशी या ऐसे व्यक्ति को प्राप्त नहीं होते, जिसे किसी निवारक निरोध कानून के तहत गिरफ्तार या हिरासत में लिया गया हो। इसमें किसी अदालत के आदेश पर हुई गिरफ्तारी, किसी गैर-प्राधिकृत व्यक्ति द्वारा (सिविल) गिरफ्तारी, आयकर का भुगतान करने में विफल रहने पर हुई गिरफ्तारी और किसी विदेशी का निर्वासन शामिल नहीं है।
  • निवारक नज़रबंदी कानून के तहत गिरफ्तारी या नज़रबंदी के मामले में नागरिकों और विदेशियों, दोनों को यह सुरक्षा मिलती है तथा इसमें निम्नलिखित शामिल हैं:

 

  • किसी व्यक्ति की नज़रबंदी तीन महीने से अधिक तब तक नहीं हो सकती, जब तक सलाहकार बोर्ड विस्तारित नज़रबंदी के लिये पर्याप्त आधार की सिफारिश न करे। इस बोर्ड में उच्च न्यायालय के न्यायाधीश होते हैं।
  • हिरासत में लिये गए व्यक्ति को नज़रबंदी के आधार की सूचना दी जानी चाहिये। हालाँकि, सार्वजनिक हितों के खिलाफ माने जाने वाले तथ्यों का खुलासा नहीं होना चाहिये।
  • हिरासत में लिये गए व्यक्ति को नज़रबंदी के आदेश के खिलाफ अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाना चाहिये।

अत: कथन 1 और 2 दोनों सही हैं।

 

 

 

 

 

 

 

उत्तर-3 : (a)

 

व्याख्या : सर्वोच्च न्यायालय (अनुच्छेद 32 के अंतर्गत) और उच्च न्यायालय (अनुच्छेद 226 के अंतर्गत) मौलिक अधिकारों को लागू करने के लिये बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas corpus), परमादेश (Mandamus), निषेधाज्ञा (Prohibition), उत्प्रेषण (Certiorari) और अधिकार-पृच्छा (Quo warranto) की रिट (प्रादेश) जारी कर सकते हैं। इसके अलावा, संसद (अनुच्छेद 32 के अंतर्गत) किसी अन्य न्यायालय को इन रिटों को जारी करने के लिये अधिकार प्रदान कर सकती है। चूँकि अब तक ऐसा कोई प्रावधान नहीं किया गया है, इसलिये केवल सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय ही रिट जारी कर सकते हैं कोई अन्य न्यायालय नहीं। अत: कथन 1 सही है।

परमादेश- इसका शाब्दिक अर्थ ‘हमारा आदेश है’ (we command) यह न्यायालय द्वारा किसी सरकारी अधिकारी को जारी किया गया एक आदेश है जिसमें न्यायालय उससे अपने उन आधिकारिक कर्त्तव्यों का पालन करने के लिये कहता है जिनमें वह विफल रहा या जिनका पालन करने से उसने इनकार कर दिया। यह किसी भी सार्वजनिक निकाय, किसी निगम, किसी अवर कोर्ट (निचली अदालत), साझे उद्देश्य के लिये किसी न्यायाधिकरण या सरकार के खिलाफ जारी किया जा सकता है।

परमादेश रिट जारी नहीं की जा सकती (क) किसी व्यक्ति या निजी निकाय के खिलाफ; (ख) उस विभागीय अनुदेश को लागू करने के लिये जिसके पास कोई वैधानिक शक्ति नहीं है; (ग) जब कर्त्तव्य विवेकाधीन हो, अनिवार्य नहीं; (घ) अनुबंध संबंधी किसी दायित्व को लागू करने के लिये; (च) भारत के राष्ट्रपति या राज्य के राज्यपालों के खिलाफ और (छ) न्यायिक क्षमता का अनुपालन कर रहे किसी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ। अत: कथन 3 सही नहीं है।

बंदी प्रत्यक्षीकरण: यह लैटिन भाषा का एक शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘सशरीर उपस्थिति’। यह न्यायालय द्वारा किसी ऐसे व्यक्ति को जारी किया गया एक आदेश है जिसने दूसरे व्यक्ति को हिरासत में लिया है। इसमें न्यायालय हिरासत में रखे व्यक्ति को अपने सामने प्रस्तुत किये जाने का आदेश करता है। अत: कथन 2 सही नहीं है।

 

 

 

 

 

 

 

उत्तर-4 : (c)

 

व्याख्या : संविधान के अनुच्छेद 35A में जम्मू-कश्मीर की विधानसभा को यह अधिकार दिया गया है कि वह राज्य के स्थायी निवासियों की स्थिति व उनके विशेषाधिकारों को परिभाषित करे। इसके लिये उन्हें अन्य राज्यों के निवासियों के समानता के अधिकार या किन्हीं अन्य संवैधानिक अधिकारों के अतिक्रमण के आधार पर किसी चुनौती का सामना नहीं करना पड़ेगा। 

  • इसे वर्ष 1954 में राष्ट्रपति द्वारा जारी आदेश के माध्यम से संविधान के अनुच्छेद 370(1) के अंतर्गत सम्मिलित किया गया था। इस प्रकार विकल्प (c) सही है।
  • जम्मू एवं कश्मीर का संविधान 17 नवंबर, 1956 को अपनाया गया था। इसके अंतर्गत किसी व्यक्ति के 14 मई, 1954 को राज्य का निवासी होने को ‘स्थायी निवासी’ के रूप में परिभाषित किया गया है, साथ ही ऐसे व्यक्ति को भी ‘स्थायी निवासी’ का दर्जा मिल सकता है जो दस वर्षों तक राज्य का निवासी रहा हो तथा उसने राज्य में कानूनी तौर पर अचल संपत्ति अर्जित की हो।

 

चर्चा में क्यों ?

अनुच्छेद 35A की लैंगिक भेदभाव के मसले पर भी आलोचना की गई है। इसके द्वारा जम्मू एवं कश्मीर के संविधान में कुछ ऐसे प्रावधानों को संरक्षित किया गया है जिसके द्वारा संपत्ति के आधारभूत अधिकार को प्रतिबंधित किया है। वस्तुत: इसके अनुसार यदि एक स्थानीय महिला किसी ऐसे पुरुष से विवाह करती है जिसके पास जम्मू-कश्मीर में स्थायी निवास का प्रमाण-पत्र नहीं है तो उसके बच्चों को भी संपत्ति के इन अधिकारों से वंचित रखा जाएगा।

 

 

 

 

 

 

 

उत्तर-5 : (d)

 

व्याख्या : हदिया मामले (2018) में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि किसी व्यक्ति को अपना धर्म चुनने का अधिकार है और शादी करना उसके सार्थक अस्तित्व का एक अंतर्भूत भाग है।

  • विधान प्रत्येक व्यक्ति को किसी भी धर्म को मानने, आचरण करने और प्रचार करने की स्वतंत्र रूप से गारंटी देता है। अत: चुनाव का अधिकार एक मौलिक अधिकार है।
  • मतदान का अधिकार एक संवैधानिक अधिकार है। 
  • संविधान के अनुच्छेद-19(1)(g) के तहत मादक वस्तुओं के कारोबार को जारी रखना कोई मौलिक अधिकार नहीं है।
  • 2016 में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा जीवन के अधिकार का एक अभिन्न हिस्सा है। अत: प्रतिष्ठा का अधिकार एक मौलिक अधिकार है।