नियमित अभ्यास क्विज़ (Daily Pre Quiz) - 133
Posted on May 1st, 2019 | Create PDF File
प्रश्न-1 : जनसंख्या स्थिर होने की तरफ अग्रसर होती है, जब व्यवस्था पहुँचती है -
(a) अधिकतम प्राथमिक उत्पादन तक
(b) समस्थापन (Homeostasis) तक
(c) वहन क्षमता तक
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - ()
प्रश्न-2 : लाइकेन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये -
- लाइकेन वस्तुत: फफूँद तथा शैवाल या साइनोबैक्टेरियम के पारस्परिक युग्म (Mutualistic associations) होते हैं।
- यदि वायु सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) के कारण अत्यधिक प्रदूषित है, तो वहाँ लाइकेन मौजूद नहीं हो सकते हैं।
- लाइकेन SO2 प्रदूषण का सबसे अच्छा सूचक है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं ?
(a) केवल I और II
(b) केवल II और III
(c) केवल I और III
(d) I, II और III
उत्तर - ()
प्रश्न-3 : ऊर्जा पिरामिड के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सही नहीं है ?
(a) ऊर्जा पिरामिड हमेशा अधोमुखी और क्षैतिज होता है।
(b) यह पिरामिड विभिन्न पोषण स्तरों पर ऊर्जा के प्रवाह को दिखाता है।
(c) यह उच्चतम पोषण स्तर पर न्यूनतम ऊर्जा और न्यूनतम पोषण स्तर पर अधिकतम ऊर्जा को दर्शाता है।
(d) पोषण के प्रत्येक स्तर पर, ऊष्मा और श्वसन इत्यादि के रूप में ऊर्जा का लगातार ह्रास हो रहा है।
उत्तर - ()
प्रश्न-4 : आर्द्रभूमि पारितंत्र के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये -
- आर्द्रभूमि पारितंत्र एक महत्त्वपूर्ण कार्बन सिंक के रूप में कार्य करता है।
- आर्द्रभूमियाँ तटरेखा स्थिरीकरण, भू-जल पुनर्भरण तथा बाढ़ नियंत्रण जैसे महत्त्वपूर्ण कार्य करती हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं ?
(a) केवल I
(b) केवल II
(c) I और II
(d) न तो I और न ही II
उत्तर - ()
प्रश्न-5 : निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये -
- पादप प्लवकों (Phytoplanktons) में क्लोरोफिल नहीं होता है लेकिन वे प्रकाश संश्लेषण करते हैं।
- प्राणी प्लवक (Zooplanktons) केवल खारे पानी/महासागरों में पाए जाते हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं ?
(a) केवल I
(b) केवल II
(c) I और II
(d) न तो I और न ही II
उत्तर - ()
उत्तरमाला
उत्तर-1 : (c)
व्याख्या : वहनीय क्षमता वह सर्वाधिक जनसंख्या आकार है, जो पारिस्थितिकी तंत्र को क्षति पहुँचाए बिना किसी पारिस्थितिकी तंत्र का समर्थन कर सकता है। एक सीमा तक जनसंख्या का स्व-विनियमन होता है क्योंकि वहनीय क्षमता से अधिक जनसंख्या होने पर मौतों की संख्या बढ़ जाती है।
जनसंख्या पारिस्थितिकी के जानकारों ने जनसंख्या के आकार की क्षमता को जनसंख्या की वृद्धि दर शून्य के बराबर होने के रूप में परिभाषित किया है। वहनीय क्षमता पर जनसंख्या न तो बढ़ती है और न ही कम होती है, बल्कि स्थिर हो जाती है। जब जानवरों, पौधों या मनुष्यों की आबादी उनकी वहनीय क्षमता से अधिक हो जाती है तो जन्म की तुलना में मौतों की संख्या अधिक हो जाती है। जब जनसंख्या वहनीय क्षमता से कम हो जाती है तो जन्म दर बढ़ने लगती है।
उत्तर-2 : (d)
व्याख्या : लाइकेन कवक और शैवाल या साइनोबैक्टीरियम के पारस्परिक युग्म अथवा सहजीवी सहवास (Mutualistic associations) होते हैं जो पत्थरों, खाली भूमि तथा पेड़ों पर परतदार चकत्तों के रूप में पाए जाते हैं। लाइकेन का नाम फंगल पार्टनर के रूप में प्रयोग किया जाता है, जबकि शैवाल एक अलग नाम के रूप में जाना जाता है।
लाइकेन का सहयोगी शैवाल सल्फर डाइऑक्साइड से काफी प्रभावित दिखाई देता है, इसमें क्लोरोफिल नष्ट हो जाता है और प्रकाश संश्लेषण की क्रिया बाधित होने लगती है। लाइकेन भी सल्फर डाईऑक्साइड को अवशोषित कर जल में घुल जाता है।
लाइकेन का प्रयोग मुख्यत: पर्यावरणीय संकेतक या जैव-संकेतक के रूप किया जाता है।
यदि वायु सल्फर डाईऑक्साइड से बुरी तरह प्रदूषित है तो उसमें लाइकेन के होने की संभावना कम हो सकती है, उसमें केवल हरे शैवाल ही पाए जा सकते हैं। यदि वायु स्वच्छ है तो उसमें झाड़ीदार, रोयेंदार तथा पत्तेदार लाइकेन अधिक मात्रा में हो सकते हैं।
उत्तर-3 : (a)
व्याख्या : ऊर्जा का पिरामिड या ऊर्जा पिरामिड सम्पूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र के स्वरूप का वर्णन करता है। एक जीव से दूसरे जीव में ऊर्जा प्रवाह के दौरान ऊष्मा के रूप में उपयुक्त मात्रा में ऊर्जा का क्षय होता है। प्राथमिक उपभोक्ताओं में ऊर्जा की अधिक मात्रा मौजूद होती है, जैसे- स्वपोषी। सबसे कम ऊर्जा तृतीयक उपभोक्ताओं में होती है। इस प्रकार, सबसे छोटी खाद्य श्रृंखला में सबसे अधिक ऊर्जा होती है।
ऊर्जा पिरामिड हमेशा ऊर्ध्वमुखी और लंबवत् होता है।
यह पिरामिड विभिन्न पोषण स्तरों पर ऊर्जा के प्रवाह को प्रदर्शित करता है। यह दर्शाता है कि सर्वोच्च पोषण स्तर पर ऊर्जा न्यूनतम तथा सबसे निचले पोषण स्तर पर ऊर्जा अधिकतम होती है।
प्रत्येक पोषण स्तर पर ऊष्मा और श्वसन आदि के रूप में ऊर्जा की क्रमिक हानि होती है।
उत्तर-4 : (c)
व्याख्या : हालाँकि, आर्द्रभूमियाँ N2O उत्सर्जित करती हैं जो एक ग्रीनहाउस गैस है लेकिन ऐसा तब होता है जब उनमें अत्यधिक मात्रा में पोषक तत्त्वों का अंतर्वाह होता है यानी कि जब उनमें सुपोषण की प्रकिया होती है लेकिन कुल मिलाकर सभी आर्द्रभूमियाँ कार्बन सिंक होती हैं। अत: कथन 1 सही है।
आर्द्रभूमियाँ तटरेखीय स्थरीकरण, भूजल पुनर्भरण तथा बाढ़ नियंत्रण जैसे महत्त्वपूर्ण कार्य करती हैं। अत: कथन 2 सही है।
उत्तर-5 : (d)
व्याख्या : पादप प्लवक (Phytoplanktons) सूक्ष्म शैवाल या जीवाणु होते हैं। वे ध्रुवीय क्षेत्र सहित प्रकाशीय क्षेत्रों में मौजूद होते हैं। इनमें क्लोरोफिल (पर्णहरित) होता है और प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया होती है। इसलिये ये अधिकांश कार्बन डाइऑक्साइड को वायुमंडल से लेकर समुद्री जल में स्थानांतरित करने के लिये ज़िम्मेदार हैं। ये लवणीय जल के साथ-साथ ताजे पानी में पाए जाते हैं, जो ज़्यादातर जल की ऊपरी परत पर तैरते हैं, जहाँ सूर्य का प्रकाश जल में प्रवेश करता है। जब बहुत अधिक पोषक तत्त्व उपलब्ध होते हैं, तो पादप प्लवक अत्यधिक वृद्धि कर सकता है और हानिकारक शैवाल कोपलें बना सकता है, जो मछली, घोंघा, स्तनधारी, पक्षियों और यहाँ तक कि लोगों को प्रभावित करने वाले अत्यधिक ज़हरीले यौगिकों का उत्पादन कर सकता है। अत: कथन 1 सही नहीं है।
प्राणी प्लवक (Zooplanktons) महासागरों, समुद्रों और ताजे जल निकायों में घूमने (बहने) वाले जीव हैं। एक अकेले प्राणी प्लवक को आमतौर पर सूक्ष्मदर्शी से देखा जा सकता है, लेकिन कुछ (जैसे जेलीफिश) बड़े होते हैं और नग्न आँखों से भी दिखाई देते हैं। वे प्राणी प्लवक पर चरते हैं। ध्रुवीय क्षेत्रों में, जूप्लैंकटोन समुदाय के एक छोटे से घटक को क्रिल (krill) कहा जाता है जो कि गर्मियों में व्हेल का बुनियादी आहार होता है। अत: कथन 2 सही नहीं है।