दहेज प्रथा क्या है ? (What is Dowry?)

Posted on March 24th, 2020 | Create PDF File

दहेज का अर्थ उस सम्पत्ति और धन से है जो विवाह के समय वधू के परिवार की तरफ़ से वर को दी जाती है। दहेज को उर्दू में जहेज़ भी कहा जाता है। यूरोप, भारत, अफ्रीका और दुनिया के अन्य भागों में दहेज प्रथा का लंबा इतिहास  रहा है। भारत में इस प्रथा को दहेज, हुँडा या वर-दक्षिणा के नाम से भी जाना जाता है तथा वधू के परिवार इसे नक़द या वस्तुओं के रूप में यह वर के परिवार को वधू के साथ देता है। आज के आधुनिक समय में भी दहेज़ प्रथा नाम की बुराई व्यापक है। पिछड़े भारतीय समाज में दहेज़ प्रथा का स्वरुप अभी भी विकराल है।

 

दहेज प्रथा के मामलों में दहेज न देने पर तो लड़की का उत्पीड़न किया ही जाता है, दहेज देने के बाद भी वर पक्ष इस बात को लगातार शिकायत करता है कि उसे अपेक्षा से कम दिया गया। इसके बाद से लड़की का उत्पीड़न शुरू हो जाता है और इसका प्रभाव वधू के मूल परिवार पर भी पड़ता है। अनेक मामलों में यह उत्पीड़न जलाकर या अन्य बर्बर कृत्यों द्वारा उसकी हत्या तक पहुँच जाता है। वधू को अक्सर जीवित जला कर मार दिया जाता है। दहेज हत्या के अनेक मामले ऐसे होते हैं, जिसमें लड़की यातना एवं उत्पीड़न सह नहीं पाती हैं और आत्महत्या कर लेती है। एक समय था, जब दहेज हत्या के मामले केवल हिन्दुओं में ही देखने को मिलते थे लेकिन आज ये मामले सिखों, मुसलमानों तथा ईसाइयों में भी देखने को मिलने लगे हैं। भारत में गरीब किसानों द्वारा दहेज की मांग को पूरा करने के लिए कर्ज़ लिए जाते हैं, इसका खामियाजा उन्हें कर्ज जाल में फँसकर अपनी जिंदगी गुजारने में चुकानी पड़ती है।

 

भारत में गरीब घर की महिलाओं से उनकी ससुराल में कमरतोड़ शारीरिक मेहनत कारवाई जाती है क्योंकि उनके माता-पिता मांग की गई दहेज की रकम नहीं दे पाते हैं। यदि महिला ससुराल जाकर अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहती है तो इसका खर्च भी उसके माता-पिता से ही मांगा जाता है। दहेज की मांग को पूरा करवाने के लिए पति एवं उसके परिवार द्वारा महिलाओं को घरों में बंद कर दिया जाता है, उसके बाहर आने-जाने पर पाबंदी लगा दी जाती है। घरेलू हिंसा को बढ़ावा देने में दहेज आज एक प्रमुख कारण बन गया है। ऐसा उस स्थिति में भी होता है जब उच्च मध्यम वर्गीय महिलाएँ लाखों-करोड़ों के जेवरात एवं संपत्ति अपने साथ ससुराल ले जाती हैं। भारत में बालिका भ्रूण हत्या के पीछे एक मुख्य कारण दहेज की समस्या है।

 

1990 के दशक में जब भारतीय अर्थव्यवस्था में खुलापन आया, लोगों की आय में इज़ाफा हुआ, समृद्धि बढ़ी तब लोगों में और अधिक धन लालसा का विकास हुआ। इस लालच ने भी दहेज की समस्या को जटिल
किया। कुछ लोग दहेज की मांग करके समृद्धि का रास्ता तलाश करने लगे, परिणामस्वरूप दहेज हत्या या लड़कियों के साथ अन्य प्रकार के अमानवीय दुर्व्यवहार के मामले बढ़ने लगे।