घरेलू हिंसा क्या है ? (What is domestic violence ?)
Posted on March 23rd, 2020
घरेलू हिंसा (Domestic Violence)
सामान्य तौर पर महिलाओं के विरूद्ध घरेलू हिंसा वैवाहिक जीवन के अंतर्गत महिलाओं को पहुँचायी गई शारीरिक हानि को माना जाता है। व्यापक संदर्भ में घरेलू हिंसा का संबंध केवल वर्तमान पतियों से ही न होकर पुरूष मित्रों, पूर्व-पतियों या परिवार के अन्य सदस्यों से भी हो सकता है। इस तरह से घरेलू हिंसा पीड़ित (Victim) एवं अपराधी (Perpetrator) के संबंध को दर्शाता है। घरेलू हिंसा का निहित उद्देश्य महिलाओं को पराधीन बनाए रखना होता है। इसके लिए हिंसा के विभिन्न रूपों का सहारा लिया जाता है और शारीरिक, मानसिक, वित्तीय एवं लैंगिक उत्पीड़न किया जाता है।
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (United Nation Population Fund) की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में लगभग दो-तिहाई विवाहित महिलाएँ घरेलू हिंसा की शिकार हैं, जबकि 45 से 49 आयु वर्ग की 70 फीसदी विवाहित महिलाएँ पिटाई, बलात्कार अथवा बलात् यौन संबंधों की शिकार हैं। भारत में मुख्य रूप से बिहार, त्रिपुरा, राजस्थान, मणिपुर, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश तथा अन्य उत्तरी राज्यों में 55 फीसदी से अधिक महिलाएँ घरेलू हिंसा की शिकार हैं ।
घरेलू हिंसा क्या है ? (What is domestic violence ?)
सामान्य तौर पर महिलाओं के विरूद्ध घरेलू हिंसा वैवाहिक जीवन के अंतर्गत महिलाओं को पहुँचायी गई शारीरिक हानि को माना जाता है। व्यापक संदर्भ में घरेलू हिंसा का संबंध केवल वर्तमान पतियों से ही न होकर पुरूष मित्रों, पूर्व-पतियों या परिवार के अन्य सदस्यों से भी हो सकता है। इस तरह से घरेलू हिंसा पीड़ित (Victim) एवं अपराधी (Perpetrator) के संबंध को दर्शाता है। घरेलू हिंसा का निहित उद्देश्य महिलाओं को पराधीन बनाए रखना होता है। इसके लिए हिंसा के विभिन्न रूपों का सहारा लिया जाता है और शारीरिक, मानसिक, वित्तीय एवं लैंगिक उत्पीड़न किया जाता है।
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (United Nation Population Fund) की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में लगभग दो-तिहाई विवाहित महिलाएँ घरेलू हिंसा की शिकार हैं, जबकि 45 से 49 आयु वर्ग की 70 फीसदी विवाहित महिलाएँ पिटाई, बलात्कार अथवा बलात् यौन संबंधों की शिकार हैं। भारत में मुख्य रूप से बिहार, त्रिपुरा, राजस्थान, मणिपुर, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश तथा अन्य उत्तरी राज्यों में 55 फीसदी से अधिक महिलाएँ घरेलू हिंसा की शिकार हैं ।