कन्या भ्रूण हत्या एव चयनित गर्भपात (Female foeticide and Selective abortion)

Posted on March 24th, 2020 | Create PDF File

कन्या भ्रूण हत्या एव चर्यानत गर्भपात (Female foeticide and Selective abortion)-

 

कन्या भ्रूण हत्या के अंतर्गत भ्रूण (Foetus) को जानबूझकर सिर्फ इसलिए समाप्त कर दिया जाता है क्योंकि विकसित हो रहा भ्रूण कन्या का होता है। भारत में कन्या भ्रूण हत्या एक बहुत बड़ी सामाजिक समस्या है। यह एक प्रकार से महिलाओं को जीवन के अधिकार से वंचित करता है। अत: इससे संविधान का भी उल्लंघन होता है। महिलाओं के विरुद्ध होने वाले भेदभाव का यह सबसे घृणित, बर्बर एवं घातक (Destructive) प्रदर्शन है। भारत में यदि बच्ची का जन्म हो भी जाता है तो उसको जीने की स्वतंत्रता मिलना आसान नहीं है। गीले कपड़ों में लपेटकर, कहीं गला घोंटकर तो कहीं भूखा रखकर मारने का प्रयास किया जाना है। कई बार उसे निर्जन स्थानों यहाँ तक कि कूड़ेदानों में भी छोड़ दिया जाता है।

 

इस समय स्त्रियों की कमी का मुख्य कारण कन्या भ्रूण हत्या को माना जा रहा है। आँकड़े बताते हैं कि पुत्र मोह तथा अल्ट्रासाउण्ड तकनीक से लिंग परीक्षण की सुविधा के कारण भारत में 5 लाख कन्या भ्रूणों
की हत्या प्रतिवर्ष होती है। गत दो दशकों में एक करोड़ से ज्यादा कन्या भ्रूण हत्या किए जाने संबंधी आँकड़े भारत व कनाडा के संयुक्त शोधकर्ताओं द्वारा जारी एक अध्ययन रिपोर्ट में दिए गए हैं। इस रिपोर्ट में सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह है कि भारत में कन्या भ्रूण हत्या के लिए शिक्षित महिलाएँ, अनपढ़ व अशिक्षित महिलाओं से अधिक उत्तरदायी हैं। सामान्य तौर पर यह समझा जाता है कि भ्रूणहत्या के लिए महिलाओं को उनके पति या परिवार के सदस्यों द्वारा विवश किया जाता है लेकिन कई अध्ययनों से यह स्पष्ट हो गया है कि भारतीय समाज में कन्या भ्रूणहत्या को महिलाओं द्वारा भी समर्थन दिया जाता है।

 

कन्या भ्रूण हत्या की समस्या केवल ग्रामीण क्षेत्रों, जहाँ साक्षरता का अभाव है, में नहीं है अपितु शहरों के आधुनिक, सभ्य, संभ्रान्त एवं धनी तबके में भी बढ़चढ़कर देखी जाती है। धनी वर्ग के लोग धन-सम्पत्ति का हस्तांतरण जो प्रायः दहेज के रूप में होता है, को रोकने के लिए कन्या भ्रूण हत्या एवं बालिका शिशु हत्या का सहारा लेते हैं। भारत में पहला बच्चा लड़की होने पर अभिभावकों में दूसरे गर्भस्थ शिशु के लिंग परीक्षण की प्रवत्ति काफी अधिक रही है जबकि पहला बच्चा लड़का होने की स्थिति में यह प्रव॒त्ति बहुत कम पाई जाती है।

 

भारतीय परिवार कल्याण संस्थान द्वारा किए गए आकलन के अनुसार, भारत में प्रतिवर्ष 40 लाख गर्भपात कराए जाते हैं। इसमें लाखों की संख्या में गैरकानूनी गर्भपात भी शामिल हैं जो पुत्र की चाह में कराए जाते हैं। देश में अल्ट्रासोनोग्राफी, एम्नीओसेन्टीसिस (Amniocentesis) तथा अन्य तकनीकों द्वारा गर्भस्थ शिशु के लिंग का पता करके बालिका श्रूण हत्या किए जाने का गैरकानूनी सिलसिला देश में बड़ी तेजी से फैल रहा है।