भारतीय समाज की मुख्य विशेषताएं (भाग -9) - सांस्कृतिक विविधता एवं राजनीतिक विविधता (Salient features of Indian Society Part-9-Cultural Diversity and Political Diversity)

Posted on March 20th, 2020 | Create PDF File

सांस्कृतिक विविधता (Cultural Diversity)-

 

भारत में विभिन्‍न स्तरों पर सांस्कृतिक विविधता दिखाई पड़ती है। राज्यवार देखें तो यहाँ के सभी राज्यों की संस्कृति एक-दूसरे से पर्याप्त भिन्‍न हैं। लोगों का खान-पान, रहन-सहन, वेश-भूषा, सोचने का तरीका, अभिवृत्तियां, नृत्य, संगीत और अन्य कलाएं अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग तरह की हैं। दूसरे स्तर पर हमें एक ही राज्य के विभिनन क्षेत्रों में हमें भिन्‍न संस्कृति के आयाम दिखने लगते हैं। जैसे उत्तराखंड राज्य में गढ़वाली और कूमाऊंनी संस्कृति क्षेत्र मिलते हैं। राजस्थान में मारवाड़, शेखावटी, ढूंढ़ार, मेवाड़ आदि; उत्तरप्रदेश में ब्रज, पश्चिमी उत्तरप्रदेश, अवधी, बुन्देलखंड, बघेलखंड, रूहेलखंड आदि; गुजरात में सौराष्ट्र,कच्छ आदि; बिहार में भोजपुरी, मगही और मिथिला क्षेत्र एक ही राज्य में कई संस्कृतियां होने के प्रमुख उदाहरण हैं। इन सांस्कृतिक क्षेत्रों में भी कई उपक्षेत्र हैं जिनकी अपनी विशिष्टताएं होती हैं।

 

राजनीतिक विविधता (Political Diversity)-

 

देश का इतिहास बताता है कि ब्रिटिश उपनिवेशवाद के दौर से पहले तक यहाँ के सभी भूभागों में एक ही वंश का शासन कभी नहीं रहा। मौर्य, गुप्त और मुगलों का शासन भी देश के अधिकांश हिस्से पर अवश्य रहा, लेकिन देश का सम्पूर्ण हिस्सा नियंत्रण में नहीं था। इससे स्पष्ट होता है कि देश में हमेशा से ही राजनीतिक विविधता बनी रही है। देश ने ऐसे दौर भी देखे हैं जब शक्तिशाली केन्द्रीय सत्ता की अनुपस्थिति के समय में यह विविधता और अधिक गहरी हो गई।

 

देश की आजादी के बाद संसदीय और लोकतांत्रिक व्यवस्था अस्तित्व में आई जिसके तहत हुए चुनावों में विभिन्‍न राजनीतिक विचारधाराओं से जुड़े लोग विधानसभा और संसद में पहुंचे। मौजूदा दौर में देश की
विधानसभाओं में दक्षिणपंथी, वामपंथी, मध्यमार्गी सभी प्रकार की विचारधाराओं के दलों को देखा जा सकता है।वर्तमान समय में गठबंधन सरकार का दौर चल रहा है जिसमें विभिन्‍न दल मिलकर शासन-संचालन का कार्य करते हैं। इसका प्रभाव यह हुआ है कि बेहद छोटे जनाधार वाले दलों को भी केन्द्रीय सत्ता में भागीदारी का अवसर मिला है जिससे देश के राजनीतिक वातावरण में विविधता के रंग और अधिक हो गए हैं। दूसरी महत्वपूर्ण बात यह भी सामने आई है कि लोगों में राजनीतिक दलों के गठन की प्रवत्ति बढ़ी है और चुनाव आयोग में पंजीकृत दलों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है।