कन्या भ्रूण हत्या और चयनित गर्भपात के परिणाम (Result of Female foeticide and Selective abortion)
Posted on March 24th, 2020
कन्या भ्रूण हत्या और चयनित गर्भपात के परिणाम (Result of Female foeticide and Selective abortion)-
*समाजशास्त्रियों के अनुसार सामाजिक-संतुलन डगमगाने और खासकर समाज में स्त्रियों की संख्या घटने के परिणाम भयावह हो सकते हैं। जिस समाज में महिलाएँ कम रह जाती हैं वहाँ महिलाओं के विरुद्ध अपराधों में वृद्धि होती है।
*जिन राज्यों में कन्या भ्रूण हत्या जारी है वहाँ सामाजिक संतुलन पूरी तरह लड़खड़ा चुका है। पंजाब और हरियाणा में ऐसे अनेक गाँव हैं जहाँ हज़ारों युवाओं का विवाह नहीं हो पा रहा है। ऐसे में वर के लिए दूसरे राज्यों से लड़कियाँ लाई जा रही हैं जिससे वहाँ कई सामाजिक चुनौतियाँ सामने आई हैं।
*जिन समाजों में लड़कों की तुलना में लड़कियों की कमी होती है वहाँ लड़कियों की कम उम्र में विवाह होने की संभावना बढ़ जाती है। इससे उसकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति में गिरावट आती है क्योंकि उसे पढ़ने-लिखने और कौशल प्राप्त करने का मौका नहीं मिल पाता है। कम उम्र में माँ बनने से जच्चा-बच्चा मृत्यु दर में वृद्धि की संभावना बनी रहती है।
*जिस समाज में पुत्र या लड़के को प्राथमिकता दी जाती है वहाँ लड़कियों के स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही या उदासीनता बरती जाती है। यह स्थिति तब और गंभीर हो जाती है जब उनके माता-पिता के पास अल्प संसाधन उपलब्ध हों।
*कई ऐसे कार्य होते हैं जिनमें महिलाओं की हिस्सेदारी पुरूषों की तुलना में अधिक होती है। जैसे घर की देखभाल, बच्चों का पालन-पोषण, शिक्षण, स्वास्थ्य आदि क्षेत्रों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है।महिलाओं की कमी से या कार्य बुरी तरह प्रभावित हो सकते हैं।
*बहुपतिप्रथा को बढ़ावा मिल सकता है।
कन्या भ्रूण हत्या और चयनित गर्भपात के परिणाम (Result of Female foeticide and Selective abortion)
कन्या भ्रूण हत्या और चयनित गर्भपात के परिणाम (Result of Female foeticide and Selective abortion)-
*समाजशास्त्रियों के अनुसार सामाजिक-संतुलन डगमगाने और खासकर समाज में स्त्रियों की संख्या घटने के परिणाम भयावह हो सकते हैं। जिस समाज में महिलाएँ कम रह जाती हैं वहाँ महिलाओं के विरुद्ध अपराधों में वृद्धि होती है।
*जिन राज्यों में कन्या भ्रूण हत्या जारी है वहाँ सामाजिक संतुलन पूरी तरह लड़खड़ा चुका है। पंजाब और हरियाणा में ऐसे अनेक गाँव हैं जहाँ हज़ारों युवाओं का विवाह नहीं हो पा रहा है। ऐसे में वर के लिए दूसरे राज्यों से लड़कियाँ लाई जा रही हैं जिससे वहाँ कई सामाजिक चुनौतियाँ सामने आई हैं।
*जिन समाजों में लड़कों की तुलना में लड़कियों की कमी होती है वहाँ लड़कियों की कम उम्र में विवाह होने की संभावना बढ़ जाती है। इससे उसकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति में गिरावट आती है क्योंकि उसे पढ़ने-लिखने और कौशल प्राप्त करने का मौका नहीं मिल पाता है। कम उम्र में माँ बनने से जच्चा-बच्चा मृत्यु दर में वृद्धि की संभावना बनी रहती है।
*जिस समाज में पुत्र या लड़के को प्राथमिकता दी जाती है वहाँ लड़कियों के स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही या उदासीनता बरती जाती है। यह स्थिति तब और गंभीर हो जाती है जब उनके माता-पिता के पास अल्प संसाधन उपलब्ध हों।
*कई ऐसे कार्य होते हैं जिनमें महिलाओं की हिस्सेदारी पुरूषों की तुलना में अधिक होती है। जैसे घर की देखभाल, बच्चों का पालन-पोषण, शिक्षण, स्वास्थ्य आदि क्षेत्रों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है।महिलाओं की कमी से या कार्य बुरी तरह प्रभावित हो सकते हैं।