कन्या भ्रूण हत्या और चयनित गर्भपात रोकने के उपाय (Measure to Prevent Female foeticide and Selective abortion)

Posted on March 24th, 2020 | Create PDF File

कन्या भ्रूण हत्या और चयनित गर्भपात रोकने के उपाय (Measure to Prevent Female foeticide and Selective abortion)-

 

 कन्या भ्रूण हत्या एवं चयनित गर्भपात को केवल कानून के माध्यम से नहीं रोका जा सकता बल्कि इसके लिए लड़कियों के प्रति पूर्वाग्रह को समाप्त करना होगा और उनके प्रति सामाजिक व्यवहार में बदलाव  लाना होगा। उसे रोकने के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए जा सकते हैं:

 

* प्रसवपूर्व गर्भपात को रोकने के लिए संचार माध्यमों से व्यापक जन जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है।

 

* संतुलित लिंगानुपात प्राप्त करने के लिए समाज के सभी वर्गों को अपने सोच में बदलाव लाकर लिंग आधारित भेदभाव समाप्त करना होगा। लड़कियों एवं लड़कों को समान महत्व प्रदान करना होगा।

 

* बालिका शिशु के संरक्षण के लिए विशेष सामाजिक एवं आर्थिक नीतियों को लागू करना चाहिए।

 

* माता-पिता की अशिक्षा, अज्ञानता एवं गरीबी इस समस्या को और भी बढ़ा देती है। जहाँ एक ओर उन्हें लड़कियों के लिए उपलब्ध कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी नहीं होती है, वहीं दूसरी ओर उन्हें कन्या हत्या के कारण क्‍या कानूनी दिक्‍कतें हो सकती हैं, इसकी भी जानकारी नहीं होती है। अत: इस संबंध में उपाय किए जाने की आवश्यकता है।

 

* दीर्घकालिक उपाय के तौर पर लड़कियों को शिक्षा दी जानी चाहिए एवं उनका सशक्तीकरण किया जाना चाहिए। इससे समाज में उनकी स्थिति में सुधार आएगा।

 

* देश के निम्न लिंगानुपात वाले क्षेत्रों में महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने हेतु महिला संचालित उद्यमों, महिला कर्मचारियों या वैसे उद्यमों को जो बड़ी संख्या में महिलाओं को नियुक्त करते हैं, उन्हें कर में छूट दी जानी चाहिए।

 

* नीति निर्माताओं, योजना बनाने वालों, प्रशासनिक अधिकारियों एवं विधि प्रवर्तनकारी एजेंसियों को लिंग आधारित मुद्‌दों के प्रति संवेदनशील बनाना होगा।

 

* लड़कियों एवं महिलाओं की समाज में सकारात्मक छवि बनानी होगी।

 

* लिंग निर्घारण के उद्देश्य से एम्नीओसेन्टीसिस (Amniocentesis) के प्रयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए तथा अवैध तौर पर इनका इस्तेमाल करने वालों को कठोर दण्ड दिया जाना चाहिए ।

 

* किसी भी क्षेत्र में विशेष उपलब्धि प्राप्त करने वाली लड़कियों एवं महिलाओं की उपलब्धियों को संचार माध्यमों द्वारा प्रसारित किया जाना चाहिए जिससे कि उनके प्रति सामाजिक मनोवृत्तियों में बदलाव लाया जा सके।

 

* विशेष जागरूकता कार्यक्रमों एवं अभियानों से लड़कियों एवं महिलाओं के आत्म-विश्वास को बढ़ावा देना होगा।

 

* महिलाओं को जीवन के सभी क्षेत्रों में समान अधिकार एवं अवसर दिए जाने चाहिए।

 

* लैंगिक पक्षपात को बढ़ावा देने वाले विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए ।

 

* पारिवारिक संपत्ति में पुत्री का हिस्सा सुनिश्चित किया जाना चाहिए। उत्तर-पूर्व के राज्यों एवं केरल में जहाँ महिलाओं को पारिवारिक संपत्ति में हिस्सा मिलता रहा है, लिंगानुपात की स्थिति बेहतर है।

 

* वृद्ध माता-पिता की देखभाल करने वाली ब्रेटियों के प्रयासों की सार्वजनिक रूप से प्रशंसा की जानी चाहिए।

 

* लड़कियों द्वारा माता-पिता के अंतिम संस्कार को सामान्य आचरण के रूप में स्वीकार करना चाहिए।

 

* लड़कियों  को बचाने के लिए बेटी बचाओं जैसे अभियान चलाने की आवश्यकता है।

 

* संस्थागत प्रसव की व्यवस्था की जानी चाहिए ओर जन्म लेने वाले बच्चों का जन्म पंजीकरण अनिवार्य किया जाना चाहिए। इससे बालिका शिशु हत्या को रोकने में मदद मिलेगी।

 

* लड़कियाँ माता-पिता पर आर्थिक बोझ साबित न हो इसके लिए एक तरफ तो उनके जन्म के समय ही जन्म लेने वाले बच्चियों का सरकार की तरफ से बीमा होना चाहिए वहीं दूसरी ओर उनकी पढ़ाई,लिखाई, कौशल प्राप्ति की खर्च को निःशुल्क किया जाना चाहिए ताकि वे आसानी से आत्म-निर्भर बन सकें।

 

* फिल्मों का समाज पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इनमें महिलाओं की भूमिका प्रेरणादायी दिखाई जानी चाहिए ।

 

* नीति निर्माण में महिलाओं की भागीदारी तथा इनके पक्ष में सांस्कृतिक मूल्यों व मानकों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

 

* प्रशासन और पुलिस द्वारा भ्रूण हत्या के मामले को हत्या का मामला मानकर मुकदमा चलाया जाना चाहिए ।

 

* कन्या भ्रूण हत्या एवं चयनित गर्भपात जैसी अवैध गतिविधियों में शामिल क्लीनिकों एवं डॉक्टरों के खिलाफ कठोर कार्रवाई होनी चाहिए।

 

* जनप्रतिनिधियों, धार्मिक नेताओं, युवाओं, प्रसिद्धि प्राप्त व्यक्तियों, डॉक्टरों एवं संचार माध्यमों द्वारा सामाजिक मानसिकता में बदलाव लाने का प्रयास किया जाना चाहिए।