नागरिक घोषणा- पत्र की विशेषताएँ (Characteristics of Citizen Charter)

Posted on April 21st, 2020 | Create PDF File

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नागरिक घोषणा- पत्र की विशेषताएँ

(Characteristics of Citizen Charter)

 

नागरिक घोषणा-पत्र सुशासन की अवधारणा को मूर्त रूप प्रदान करने का एक सबल माध्यम है। यह 20वीं शताब्दी के अन्तिम दशक में प्रचलित हुई नवीन अवधारणा है जो किसी संगठन के कार्यों में पारदर्शिता, संवेदनशीलता, कार्यकुशलता एवं जन संतुष्टि पर बल देती है। अतः: इसके माध्यम से प्रशासनिक संगठन की सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार पर बल दिया जाता है।

 

 

नागरिक घोषणा-पत्र में निम्नलिखित बिन्दु शामिल होते हैं -

 

* नागरिक घोषणा-पत्र के प्रारम्भिक भाग में कतिपय संगठन नागरिक घोषणा-पत्र जारी किए जाने की पृष्ठभूमि तथा इसकी उपयोगिता का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करते हैं। इसके अन्तर्गत संगठन की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता तथा जवाबदेहिता लाना, भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना, कार्य निष्पादन में सुधार करना, प्राप्त होने वाले सुझावों का विश्लेषण कर उसमें आवश्यक सुधार द्वारा उसका संगठन के हित में उपयोग करना एवं लोकतांत्रिक प्रशासनिक मूल्यों की स्थापना करना आदि वर्णित होते हैं।

 

* नागरिक घोषणा-पत्र के तीसरे भाग में उस संगठन के कार्यक्षेत्र, लक्षित वर्ग आदि का वर्णन होता है जिससे यह ज्ञात होता है कि नागरिक घोषणा-पत्र किन सेवाओं एवं किन वर्गों के लिए है।

 

* नागरिक घोषणा-पत्र के चौथे भाग में यह वर्णन रहता है कि संगठन की सेवाएँ प्राप्त करने वाले आमजनों के क्या-क्या अधिकार हैं और सुविधाएँ एवं अधिकार की प्रकृति क्‍या है।

 

* नागरिक घोषणा-पत्र के पांचवें भाग में यह वर्णित होता है कि प्रशासन की कौन-सी शाखा किस कार्य को निष्पादित करती है एवं उस शाखा से सम्बन्धित सभी कार्यों को पूरा करने हेतु समयावधि निश्चित कर दी जाती है। भारत में अधिकांश विभागों में नागरिक घोषणा-पत्र में प्रायः यह समयावधि वर्णित होती है। भारतीय लोकतंत्र एवं आमजनों के हितों में इस भाग का विशिष्ट महत्व है। इससे जनता को समय पर किसी भी काम पर लाभ मिल जाता है।

 

* नागरिक घोषणा-पत्र के अन्तिम भाग में यह वर्णित होता है कि यदि शासन, प्रशासन के किसी स्तर पर कोई कमी नियत अवधि में सम्पन्न न हो पाए तो उस स्थिति में आमजन की शिकायत का स्थान क्या हो। अर्थात्‌ आम जनता अपने कार्यों के लिए नियत अधिकारी के विरुद्ध शिकायत दर्ज करेंगे। अतः इस स्थिति में नागरिक घोषणा-पत्र प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता, जवाबदेहिता एवं जनता की अधिकतम संतुष्टि के माध्यम के रूप में सामने आता है।

 

* भारत में 'सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005' लागू होने के बाद कुछ प्रशासनिक संगठनों ने अपने नागरिक घोषणा-पत्र में इस अधिकार का विवरण देना भी शुरू किया है। भारत सरकार के अनेक मंत्रालयों एवं विभागों में नागरिक घोषणा-पत्र निर्मित किए गए और आम जनता के लिए जारी किए गए हैं।