द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग की 12 वीं रिपोर्ट में नागरिक घोषणा-पत्रों को प्रभावी बनाने हेतु सुधार एजेंडा (Reform Agenda to make Citizen Charters Effective in 12th Report of 2nd ARC)

Posted on April 28th, 2020 | Create PDF File

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द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग की 12 वीं रिपोर्ट में नागरिक घोषणा-पत्रों को प्रभावी बनाने हेतु सुधार एजेंडा

(Reform Agenda to make Citizen Charters Effective in 12th Report of 2nd ARC)

 

द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग ने 'शासन में नीतिशास्त्र' संबंधी अपनी चौथी रिपोर्ट में इस विषय पर संक्षिप्त रूप से विचार किया था। आयोग की राय थी कि नागरिक घोषणा-पत्र को, सरकारी सेवकों को जिम्मेदार ठहराने के लिए एक प्रभावी साधन बनाने के उद्देश्य से, घोषणा-पत्रों में उल्लिखित मानकों को पूरा करने में चूक होने के मामले में घोषणा-पत्रों में उपचार / दंड / क्षतिपूर्ति का स्पष्ट रूप से उल्लेख होना चाहिए। इस बात पर बल दिया जाना चाहिए कि एक लम्बी सूची रखने की बजाए, जिसमें अव्यावहारिक आकांक्षाएं दी गई हों, कुछेक वायदे करना बेहतर होगा। आयोग की 12वीं रिपोर्ट में सुधार एजेंडा निम्नवत्‌ है:

 

1. घोषणा-पत्र तैयार करने से पहले उसके आन्तरिक पुनर्गठन की आवश्यकता: चूँकि एक सार्थक घोषणा पत्र का उद्देश्य सेवा की कोटि में सुधार करना है। इसलिए घोषणा-पत्र में इस बाबत मात्र निर्धारण करना पर्याप्त नहीं होगा। संगठन के अंदर विद्यमान पद्धतियों और प्रक्रियाओं का पूर्ण विश्लेषण किया जाना चाहिए और यदि जरूरत हो तो इनकी पुनर्सरचना की जानी चाहिए और नए उपाय अपनाए जाने चाहिए।

 

2. विविध नागरिक-घोषणा पत्रों के आकार की उपयुक्तता का निर्घारण: यह विशाल चुनौती और भी अधिक जटिल हो जाती है क्योंकि नागरिक घोषणा-पत्रों को कार्यान्वित करने वाले शासकों और विभागों की क्षमताओं और संसाधनों में देश भर में काफी भिन्‍नताएँ हैं।

 

इनके अलावा, स्थानीय स्थिति भी भिन्‍न-भिन्‍न हैं। राज्यों के बीच नागरिक घोषणा पत्रों का अत्यंत असमान विभाजन इस आधारिक वास्तविकता का स्पष्ट साक्ष्य है। उदाहरण के लिए कुछ एजेंसियों के लिए सेवा के वास्तविक मानक विनिर्दिष्ट करने और सहमत होने के लिए अधिक समय की जरूरत हो सकती है। अन्य मामलों में स्टॉफ को इस सुधार प्रक्रिया में भाग लेने के लिए अभिप्रेरित और सज्जित करने के लिए अतिरिक्त प्रयासों की जरूरत हो सकती है। ऐसे संगठनों को, मानकों, शिकायतों, समाधान पद्धतियों अथवा प्रशिक्षण के सम्बन्ध में परीक्षण करने के लिए समय और संसाधन उपलब्ध कराए जा सकते हैं। उन्हें सेवा-प्रदाय श्रृंखला की आन्तरिक पुनर्सरचना अथवा नई पद्धतियाँ लागू करने के लिए भी अधिक समय की जरूरत हो सकती है। इसलिए आयोग का विचार है कि नागरिक घोषणा-पत्र तैयार करना एक विकेन्द्रीकृत कार्यकलाप होना चाहिए जिसमें मुख्यालय सामान्य मार्गनिर्देशों की व्यवस्था करें।

 

3. व्यापक परामर्श प्रक्रिया: नागरिक घोषणा पत्रों का निर्माण, संगठन के अन्दर व्यापक-विचार-विमर्श के बाद किया जाना चाहिए, जिसके बाद सिविल सोसायटी के साथ सार्थक संवाद आयोजित किया जाना चाहिए। इस स्तर पर विशेषज्ञों से इनपुट  पर भी विचार किया जाना चाहिए।

 

4. पक्‍की वचनबद्धता की जानी चाहिए: नागरिक घोषणा-पत्र संक्षिपत होने चाहिए और उनमें नागरिकों / उपभोक्ताओं के लिए जहाँ कभी संभव हो, मात्रायोग्य दृष्टि से सेवा प्रदाय मानकों की पक्की वचनबद्धता की जानी चाहिए। समय गुजरने के साथ-साथ सेवा प्रदान करने के और अधिक कठोर मानकों के सम्बन्ध में प्रयास किए जाने चाहिए।

 

5. चूक के मामले में समाधान तंत्र: नागरिक घोषणा-पत्र में उस राहत का स्पष्ट रूप से उल्लेख होना चाहिए जिसे संगठन द्वारा प्रदाय के आश्वस्त मानकों के सम्बन्ध में चूक किए जाने पर वह प्रदान करने के लिए वचनबद्ध है। इसके अलावा, जहाँ कहीं संगठन द्वारा सेवा प्रदान करने में चूक हो, नागरिकों के लिए शिकायत समाधान तंत्र का सहारा लेने की छूट होनी चाहिए।

 

6. नागरिक घोषणा-पत्रों का समय - समय पर आकलन: प्रत्येक संगठन द्वारा अपने नागरिक घोषणा-पत्र का आकलन करते समय इस एजेंसी के माध्यम से समय-समय पर आकलन किया जाना चाहिए। संगठन के घोषणा-पत्र का आकलन करते समय इस एजेंसी को इस सम्बन्ध में भी एक उद्देश्यपरक विश्लेषण करना चाहिए कि क्‍या उसमें किए गए वायदों को परिभाषित मानकों के अन्दर, पूरा किया जा रहा है। ऐसे आंकलन के परिणाम का घोषणा-पत्र में सुधार करने के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए। यह इसलिए आवश्यक है क्योंकि नागरिक घोषणा-पत्र एक गतिशील दस्तावेज है जिसे नागरिकों की बदलती जरूरतों और साथ ही अंतर्निहित प्रक्रियाओं और प्रौद्योगिकी में परिवर्तनों के अनुरूप चलना चाहिए। इसलिए नागरिक घोषणा-पत्र की समय-समय पर समीक्षा करना जरूरी हो जाता है।

 

7. उपभोक्ता फीडबैक का इस्तेमाल करते हुए बैंचमार्क: नागरिक घोषणा-पत्र अनुमोदित और जनता के लिए उपलब्ध कराए जाने के बाद भी उनकी समीक्षा और व्यवस्थित मॉनीटरिंग आवश्यक है। घोषणा-पत्र तैयार करने और उसके कार्यान्वयन की गुणवत्ता के लिए अधिकारियों को जिम्मेदार न ठहराए जाने पर कार्य-निष्पादन और जवाबदेही को नुकसान पहुँचता है। इस सन्दर्भ में; एजेंसी द्वारा कार्यान्वित नागरिक घोषणा-पत्र की गति और आउटकम का आकलन करने में उपभोक्ता द्वारा उपलब्ध कराया गया फीडबैक उपयोगी हो सकता है। यह यू के. में कार्यान्वित घोषणा-पत्रों के सम्बन्ध में एक मानक प्रथा है।

 

8.अधिकारियों को परिणामों के लिए जिम्मेदार ठहराना: ऊपर बताई गई सभी बातें एजेंसी प्रधानों अथवा अन्य पदमानित वरिष्ठ अधिकारियों को उनके अपने-अपने नागरिक घोषणा-पत्रों लिए जवाबदेह ठहराए जाने की ओर इशारा करती हैं। नागरिक घोषणा-पत्रों के पालन में किसी चूक की स्थिति में सभी मामलों में मानीटरन पद्धति के अन्तर्गत विशिष्ट जिम्मेदारी निश्चित की जानी चाहिए।

 

9.प्रक्रिया में सिविल सोसायटी को शामिल करना: संगठनों को घोषणा-पत्र तैयार करने,उनके प्रसार और सूचना प्रकटन सरल बनाने में सिविल सोसायटी समूहों के प्रयासों को समझने और सहायता प्रदान करने की जरूरत को समझना चाहिए। अनेक राज्यों में इस सम्पूर्ण प्रक्रिया में सिविल सोसायटी की भागीदारी के परिणामस्वरूप घोषणा-पत्र की विषय-वस्तु में इसके अनुपालन और नागरिकों को इस महत्वपूर्ण पद्धति के महत्व के बारे में अवगत कराने में पर्याप्त सुधार हुआ है।