भारत में नागरिक घोषणा-पत्र (Citizen Charter in India)
Posted on April 21st, 2020 | Create PDF File
भारत में नागरिक घोषणा-पत्र
(Citizen Charter in India)
पिछले दो दशकों में भारत में आर्थिक विकास की दिशा में संतोषजनक सफलता मिली है। देश में साक्षरता दर भी वर्तमान में 74 प्रतिशत से अधिक हो गई है। इससे लोगों में अपने अधिकारों व मार्गों के संदर्भ में जागरूकता बढ़ी है। उपभोक्ता अधिकारों की दिशा में जागरूकता लाने में 'जागो ग्राहक जागो' जैसे कार्यक्रमों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। 1996 में भारत सरकार में एक प्रभावी और अनुक्रियाशील प्रशासनिक तंत्र के विकास पर सहमति बननी प्रारम्भ हो गई थी। 24 मई, 1997 को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में केन्द्र व राज्य स्तरों पर प्रभावी और अनुक्रियाशील शासन के लिए एक्शन प्लान को अपनाया गया।
विभिन्न राज्यों व संघ शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में (1997) निर्णय लिया गया कि केन्द्र ब राज्य सरकारें नागरिक घोषणा-पत्रों का निर्माण करेंगी और इन घोषणा-पत्रों की शुरूआत विस्तृत पब्लिक इंटरफेस वाले क्षेत्रों जैसे रेलवे, दूरसंचार, डाक, तार तथा लोक वितरण प्रणाली से की जाए। इन घोषणा-पत्रों के लिए सेवाओं के मानकों और समय-सीमा को शामिल करना आवश्यक माना गया। इस प्रकार यह अपेक्षा की गई कि नागरिक घोषणा-पत्र एक शिकायत निवारण तंत्र के रूप में कार्य करे। भारत सरकार के प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग द्वारा नागरिक घोषणा-पत्र के निर्माण, प्रचालन व समन्वय की पहल की गई है। नागरिक घोषणा-पत्र में निम्नांकित बातों के शामिल होने की अपेक्षा की जाती हैं:
* दृष्टिकोण व मिशन वक्तव्य।
* संगठन के द्वार कार्यवाही एवं व्यवसाय का ब्यौरा।
* ग्राहक, उपभोक्ता का विवरण।
* प्रत्येक ग्राहक समूह को उपलब्ध कराई जाने वाली सेवाओं का विवरण।
* शिकायत निवारण तंत्र तथा इस तक पहुँच का विवरण।
* ग्राहकों से अपेक्षाएं।
31 मई, 2002 को प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग द्वारा नागरिक घोषणा-पत्र पर एक व्यापक बेवसाइट (www.goicharters.nic.in) लांच की गयी। तीन राष्ट्रीय बैंकों, पीएनबी, पंजाब एवं सिंध बैंक और ओरियेन्टल बैंक ऑफ कॉमर्स को वर्ष 2000 के प्रारम्भ में ही नागरिक घोषणा-पत्र के मानकों के क्रियान्वयन हेतु चयनित किया गया था।
भारत में विभिन्न सरकारी संगठनों व अभिकरणों के नागरिक घोषणा-पत्रों का मूल्यांकन अक्टूबर 1998 से प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग तथा दिल्ली स्थित एक गैर सरकारी संगठन कंज्यूमर कोऑर्डिनेशन काउन्सिल द्वारा किया जाता है।
भारत में नागरिक घोषणा-पत्रों के क्षमता निर्माण के सन्दर्भ में विविध क्षेत्रीय सेमिनारों का आयोजन किया जाता है। इन सेमिनारों का आयोजन एडमिनिस्ट्रेटिव स्टॉफ कॉलेज ऑफ इंडिया,हैदराबाद, लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन मसूरी आदि स्थानों पर किया जाता है।
इसके अलावा कुछ चयनित संगठनों द्वारा इंफॉरमेशन एंड फेसिलिटेशन सेंटर्स का गठन किया गया है जो नागरिक घोषणा-पत्र के सन्दर्भ में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाते हैं।
नागरिक घोषणा-पत्र की अधिक प्रभावी व सार्थक भूमिका सुनिश्चित करने के लिए यह आवश्यक है कि किसी भी संगठन के नागरिक घोषणा-पत्र के कार्यों से जुड़े कर्मचारियों को नागरिकों की असुविधाओं से निपटने हेतु उचित व पर्याप्त प्रशिक्षण दिया जाए ताकि वे वास्तविक रूप में नागरिक-केन्द्रित शासन की अवधारणा को साकार कर सकें।