नागरिक घोषणा पत्रों के सम्बन्ध में संसदीय समिति के विचार (Views of Parliamentary Committee for Citizen Charters)
Posted on April 28th, 2020
नागरिक घोषणा पत्रों के सम्बन्ध में संसदीय समिति के विचार
(Views of Parliamentary Committee for Citizen Charters)
समिति की यह पक्की राय है कि नागरिक घोषणा-पत्रों में सेवाओं के उन मानकों और समय-सीमाओं का उल्लेख होना चाहिए, जिनकी उम्मीद कर सकते हैं। इसमें शिकायत समाधान तंत्र का विवरण और यह उल्लेख होना चाहिए कि इनका कैसे उपयोग किया जा सकता है। इसलिए इसके अन्तर्गत नागरिकों और उपभोक्ता समूहों की भागीदारी से एक स्वतंत्र पद्धति की व्यवस्था है। समिति ने नोट किया है कि अधिकांश सरकारी संगठनों के घोषणा-पत्र, निर्माण और कार्यान्वयन के प्रारम्भिक अथवा मध्य स्तर पर हैं। इनमें तेजी लाए जाने और प्राथमिकता के साथ लागू किए जाने की जरूरत है। इसके अलावा, अधिकांश मामलों में नागरिक घोषणा-पत्र परामर्शी प्रक्रिया के माध्यम से तैयार नहीं किए जाते। इसलिए समिति की सिफारिश है कि घोषणा-पत्र तैयार किए जाने के प्रत्येक स्तर पर नागरिकों और स्टॉफ से परामर्श किए जाने की जरूरत है और स्टॉफ को घोषणा-पत्र की मुख्य-मुख्य बातों व लक्ष्यों के बारे में जानकारी दिए जाने की जरूरत है।
समिति की यह भी सिफारिश है कि प्रत्येक मंत्रालय / विभाग, राज्य सरकार /संघ राज्य क्षेत्र द्वारा इस प्रकार तैयार किए गए घोषणा-पत्रों का मुद्रण / इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जरिए व्यापक रुप से प्रचार किया जाना चाहिए और उन्हें संगठन अथवा स्थापना में प्रमुख स्थानों पर प्रदर्शित किया जाना चाहिए।
समिति का विचार है कि घोषणा-पत्र संक्षिप्त और जहाँ तक सम्भव हो सरल होना चाहिए तथा बोलचाल की भाषा का प्रयोग किया जाना चाहिए।
नागरिक घोषणा पत्रों के सम्बन्ध में संसदीय समिति के विचार (Views of Parliamentary Committee for Citizen Charters)
नागरिक घोषणा पत्रों के सम्बन्ध में संसदीय समिति के विचार
(Views of Parliamentary Committee for Citizen Charters)
समिति की यह पक्की राय है कि नागरिक घोषणा-पत्रों में सेवाओं के उन मानकों और समय-सीमाओं का उल्लेख होना चाहिए, जिनकी उम्मीद कर सकते हैं। इसमें शिकायत समाधान तंत्र का विवरण और यह उल्लेख होना चाहिए कि इनका कैसे उपयोग किया जा सकता है। इसलिए इसके अन्तर्गत नागरिकों और उपभोक्ता समूहों की भागीदारी से एक स्वतंत्र पद्धति की व्यवस्था है। समिति ने नोट किया है कि अधिकांश सरकारी संगठनों के घोषणा-पत्र, निर्माण और कार्यान्वयन के प्रारम्भिक अथवा मध्य स्तर पर हैं। इनमें तेजी लाए जाने और प्राथमिकता के साथ लागू किए जाने की जरूरत है। इसके अलावा, अधिकांश मामलों में नागरिक घोषणा-पत्र परामर्शी प्रक्रिया के माध्यम से तैयार नहीं किए जाते। इसलिए समिति की सिफारिश है कि घोषणा-पत्र तैयार किए जाने के प्रत्येक स्तर पर नागरिकों और स्टॉफ से परामर्श किए जाने की जरूरत है और स्टॉफ को घोषणा-पत्र की मुख्य-मुख्य बातों व लक्ष्यों के बारे में जानकारी दिए जाने की जरूरत है।
समिति की यह भी सिफारिश है कि प्रत्येक मंत्रालय / विभाग, राज्य सरकार /संघ राज्य क्षेत्र द्वारा इस प्रकार तैयार किए गए घोषणा-पत्रों का मुद्रण / इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जरिए व्यापक रुप से प्रचार किया जाना चाहिए और उन्हें संगठन अथवा स्थापना में प्रमुख स्थानों पर प्रदर्शित किया जाना चाहिए।
समिति का विचार है कि घोषणा-पत्र संक्षिप्त और जहाँ तक सम्भव हो सरल होना चाहिए तथा बोलचाल की भाषा का प्रयोग किया जाना चाहिए।