पारदर्शिता : अवधारणा, अर्थ, प्रकृति और सम्बन्धित आयाम (Transparency-concept, meaning, nature and related dimensions)

Posted on April 6th, 2020 | Create PDF File

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पारदर्शिता : अवधारणा, अर्थ, प्रकृति और सम्बन्धित आयाम
(Transparency-concept, meaning, nature and related dimensions)

 

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने पारदर्शिता को परिभाषित करते हुए कहा है, 'पारदिर्शता नियमों,योजनाओं, प्रक्रियाओं, क्रियाओं पर प्रकाश डालने की स्थिति है। यह क्यों कैसे, क्या और कितना को जानने की स्थिति है।' पारदर्शिता यह सुनिश्चित करती है कि लोक अधिकारी, सिविल सेवक,प्रबंधक, बोर्ड निदेशक और व्यवसायी बेहतर समझ व खुले रूप से कार्य करें।

 

संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक परिषद के मत में, पारदर्शिता लोक प्रशासन का आधारभूत मूल्य है। संयुक्त राष्ट्र संघ पारदर्शिता को परिभाषित करते हुए कहठता है, “पारदर्शिता लोक क्षेत्र में निर्णयों व कार्य निष्पादनों पर उचित समय में विश्वसनीय सूचना का लोगों तक अबाध रूप से पहुँचना है।”

 

भारत में शासन प्रणाली में पारदर्शिता करने के लिए कई महत्वपूर्ण प्रयास किए गए हैं। सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 विभिन्‍न सेवाओं की नागरिकों तक अबाध आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए पारदर्शी व्यवस्था का प्रावधान करता है। इसके अलावा सिटीजन चार्टर को प्रभावी बनाने के उपाय किए गए हैं। विभिन्‍न मंत्रालयों और विभागों में लोक सेवा से जुड़े सिटीजन चार्टरों को बनाने व लागू करने के निर्देश दिए गए हैं। विभिन्‍न रिपोर्ट, कार्डों, सोशल आडिटिंग के प्रावधानों व इलेक्ट्रॉनिक गवर्नेंस की पहल के जरिए व्यवस्था में पारदर्शिता लाने का प्रयास किया गया है।

 

द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग की 'शासन में नैतिकता' शीर्षक से प्रकाशित चौथी रिपोर्ट में कहा गया है, “लोक प्रशासन में पारदर्शिता शब्द का प्रयोग खुलापन और जवाबदेही के अर्थ में किया जाता है। एक संगठन को पारदर्शी माना जाता है, जब इसके निर्णय निर्माण और काम करने का ढंग जनता के लिएख मीडिया की छानबीन के लिए और सार्वजनिक चर्चा के लिए खुला हो। प्रशासन की एक पारदर्शी व्यवस्था सरकार के निर्णय में जनता के सहभागी होने में सहायता करती है और इस प्रकार उसका निचले स्तर तक योगदान और प्रजातांत्रिक कार्य हो जाता है।”

 

भारत ने सूचना अधिकार अधिनियम, 2005 के अधिनियम के साथ प्रशासन में पारदर्शिता की ओर एक मुख्य कदम उठाया। आयोग ने 'सूचना का अधिकार उत्तम शासन के लिए मास्टर कुंजी' शीर्षक से अपनी पहली रिपोर्ट में सूचना की स्वतंत्रता के सभी पहलुओं की जांच की है।