कन्या भ्रूण हत्या और चयनित गर्भपात के कारण (Causes of Female foeticide and Selective abortion)

Posted on March 24th, 2020 | Create PDF File

कन्या भ्रूण हत्या और चयनित गर्भपात के कारण (Causes of Female foeticide and Selective abortion)

 

कन्या भ्रूण हत्या और चयनित गर्भपात के अनेक कारण देखे जाते हैं जिनमें से प्रमुख निम्नलिखित हैं:

 

* कर्ई समाजों में परिवार एवं वंश का नाम पुत्र या परिवार के पुरुष सदस्य के नाम से चलता है। इन समाजों में वंश को बढ़ाने के लिए लड़के के जन्म को प्राथमिकता दी जाती है और इन समाजों में कन्या भ्रूण हत्या का सहारा लिया जाता है।

 

* जिन समाजों में बच्चों को धन या सम्पत्ति के रूप में समझा जाता है वहाँ व्यक्ति के रूप में उनका मूल्य समाप्त हो जाता है। लड़कियों के मामलें में भी यह समझा जाता है कि उसके पालन, पोषण, शिक्षा आदि पर जो निवेश होता है वह आगे है। लड़कियों के मामले में भी यह समझा जाता है कि उसके पालन, पोषण, शिक्षा आदि पर जो निवेश होता है वह आगे चलकर माता-पिता के काम नहीं आता है, इस कारण उनका मूल्य मनुष्य के रूप में कम हो जाता है।

 

* वैसे समाज में जहाँ अन्याय एवं असमानता के कारण महिलाओं का जीवन नारकीय होता है वहाँ भी महिलाएँ कन्या को जन्‍म देना पसंद नहीं करती हैं। आज भी भारत के कई सामंतवादी क्षेत्रों (Feudal-Areas) में महिलाएँ कन्या शिशु को जन्म देना पसन्द नहीं करती हैं। वे यह नहीं चाहती है कि उनकी बच्चियों की जिंदगी भी उन्हीं ही तरह नारकीय स्थिति में गुजरे।

 

* आर्थिक रूप से भी लड़कियों को लड़कों की तुलना में कम आय अर्जन क्षमता वाला समझा जाता है। लड़कियों पर खर्च की गई धन की वापसी नहीं हो पाती है इसलिए भी माता-पिता कन्या के जन्म का स्वागत नहीं करते हैं। उन्हें आर्थिक रूप से बोझ समझा जाता है।

 

* कन्या श्रूण हत्या का एक कारण दहेज प्रथा का प्रचलन भी है। दहेज की मांग भारतीय समाज में लगातार बढ़ती जा रही है। साथ ही एक लड़की के पालन-पोषण में अन्य समस्याएँ जो उनके विरुद्ध अपराधों से जुड़ी होती है। वे भी माता-पिता को लड़की को जन्म देने से हतोत्साहित करते हैं। 

 

* विज्ञान एवं तकनीक के विकास ने भी चयनित गर्भपात को आसान बना दिया है। अल्ट्रासोनोग्राफी की मशीनें भारत के दूर दराज के इलाकों तक पहुँच गई हैं।

 

* पुत्र को बुढ़ापे की लाठी समझा जाता है जबकि लड़की शादी के बाद दूसरे घर चली जाती है। इस मनोवृत्ति के कारण समाज में लड़कों के जन्म को प्राथमिकता दी जाती है।

 

* मृत्युपरांत पुत्र द्वारा मुखाग्नि दिए जाने से ही मोक्ष की प्राप्ति होती है, भारतीय संस्कृति में व्याप्त ऐसी नकारात्मक धारणाओं के कारण जहाँ एक ओर पुत्र के जन्म को प्राथमिकता दी जाती है वहीं दूसरी ओर सांस्कृतिक रूप से लड़कियों की स्थिति में गिरावट आती है।

 

* महिलाओं द्वारा किए गए घरेलू कार्यों को आर्थिक महत्व प्राप्त नहीं होता है जबकि लड़कों द्वारा घर के बाहर किए जाने वाले कार्यों को आर्थिक रूप से लाभकारी समझा जाता है।

 

* कन्या भ्रूण इत्या के पीछे कभी-कभी समुदाय का हाथ भी देखा जाता है। जिस दंपती को पुत्र प्राप्ति नहीं होती है उनका समाज उपहास उड़ाता है।