भारत में सूचना का अधिकार लागू होने के विविध चरण (Various Steps of Implementation of Right to Information in India)

Posted on April 7th, 2020 | Create PDF File

hlhiuj

भारत में सूचना का अधिकार लागू होने के विविध चरण

(Various Steps of Implementation of Right to Information in India)

 

* भारत में 1989 में प्रधानमंत्री बने श्री वी.पी. सिंह ने 3 दिसम्बर, 1989 को देश के नाम अपने पहले संदेश में संविधान संशोधन करके सूचना का अधिकार प्रदान करने तथा शासकीय गोपनीयता कानून में संशोधन की सर्वप्रथम घोषणा की थी। हालाँकि सरकार इसे लागू नहीं पाई।

 

* 1 मार्च, 1990 को केन्द्र सरकार ने शासकीय गोपनीयता कानून में संशोधन सम्बन्धी बिन्दुओं पर अर्द्धशासकीय पत्र निर्गत करके जानने का प्रयास किया कि शासकीय गतिविधियों में गोपनीयता को किस तरह कम किया जा सकता है।

 

* अक्तूबर, 1995 में लालबहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन, मसूरी में सूचना के अधिकार पर कार्यशाला हुई। इसमें सूचना के अधिकार पर आन्दोलनरत्‌ प्रमुख लोगों तथा अधिकारियों ने विचार-विमर्श करके सूचना के अधिकार का एक प्रारूप तैयार किया।

 

* 24 मई, 1997 को नई दिल्‍ली में मुख्यमंत्रियों का सम्मेलन हुआ। इसका विषय था- "प्रभावी और उत्तरदायी सरकार के लिए कार्य-योजना का निर्माण।” इसमें सूचना का अधिकार कानून बनाने पर सहमति हुई। कार्मिक एवं लोक-शिकायत मंत्रालय ने अपनी 38वीं रिपोर्ट में भी ऐसे कानून की सिफारिश की।

 

* 1996 में गांधी शांति प्रतिष्ठान (नई दिल्‍ली) में नेशनल कैम्पेन फॉर पीपुल्स राइट टू इन्फॉरमेशन (NCPRI) का गठन हुआ। एनसीपीआरआई तथा भारतीय प्रेस परिषद्‌ ने जस्टिस पी.बी. सावंत के नेतृत्व में मसविदा दस्तावेज तैयार किया तथा इसे भारत सरकार को सौंपा गया।

 

* सरकार को पारदर्शी एवं जवाबदेह बनाए रखने के लिए एच.डी. शौरी की अध्यक्षता में समिति गठित की गई। शौरी समिति ने मई 1997 में 'सूचना स्वातंत्र्य विधेयक' का प्रारूप प्रस्तुत किया। एच.डी. शौरी द्वारा प्रस्तुत प्रारूप पर कोई निर्णय नहीं लिया जा सका।

 

* वर्ष 2001 में संसद की स्थायी समिति ने सूचना स्वातंत्र्य  विधेयक अनुमोदित किया।

 

* दिसम्बर, 2002 में संसद ने सूचना स्वातंत्रय विधेयक पारित किया।

 

* जनवरी, 2003 में इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिली। 6 जनवरी, 2003 को इसे अधिनियम संख्या 5/2003 के बतौर अधिसूचित किया गया। लेकिन इसकी नियमावली बनाने के नाम पर इसे लागू नहीं किया गया।

 

* मई, 2004 में केन्द्र में यूपीए सरकार ने न्यूनतम साझा कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिए एक राष्ट्रीय सलाहकार परिषद्‌ का गठन किया। परिषद्‌ ने सूचना के अधिकार का एक मुकम्मल दस्तावेज प्रस्तुत किया।

 

* संसद में सूचना का अधिकार विधेयक 22 दिसम्बर, 2004 को पेश किया गया। यह विधेयक 2002 के कानून से बेहतर जरूर था, लेकिन इसमें कई खामियाँ थीं।

 

* अन्तत: इसे मार्च, 2005 में संसद में पेश किया गया।

 

* यह 11 मई, 2005 को लोकसभा में 144 संशोधनों के साथ पारित हुआ।

 

* 12 मई को राज्यसभा ने भी इसे पारित कर दिया।

 

* 12 जून, 2005 को राष्ट्रपति ने इसे स्वीकृति दी।

 

* इस तरह, 12 अक्टूबर 2005 से सूचना का अधिकार कानून पूरे देश में (जम्मू-कश्मीर को छोड़कर) प्रभावी हो गया।