सूचना के अधिकार अधिनियम से जुड़े 10 महत्वपूर्ण तथ्य
(10 important facts related to right to information act)

Posted on April 7th, 2020 | Create PDF File

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1. सूचना के अधिकार के सन्दर्भ में केन्द्रीय कानून बनने से पहले देश के नौ राज्यों-तमिलनाडु (1997), गोवा (1997), राजस्थान (2000), कर्नाटक (2000), दिल्‍ली (2001), असम (2002),मध्य प्रदेश (2003), महाराष्ट्र (2002), जम्मू-कश्मीर (2004) में यह अधिकार लोगों को मिल चुका था।

 

2. कर्नाटक ऐसा पहला राज्य है जिसमें सूचना का अधिकार लागू करने की कोशिश की। हालांकि उसे सफलता नहीं मिली।

 

3. तमिलनाडु विधानसभा ने 17 अप्रैल, 1997 को सूचना का अधिकार विधेयक पारित किया। इस तरह, भारत में ऐसा पहला कानून बनाने का श्रेय तमिलनाडु के मुख्यमंत्री करूणानिधि को मिला। 

 

4. इसके तीन महीने बाद ही जुलाई 1997 में गोवा विधानसभा ने विधेयक पारित करके ऐसा दूसरा राज्य होने का गौरव पाया।

 

5. मध्य प्रदेश सरकार ने 1996 में मध्य प्रदेश राइट टू इनफॉरमेशन बिल तैयार किया। 1997 में इसे कैबिनेट में भारी विरोध का सामना करना पड़ा। 1998 में मध्य प्रदेश विधानसभा ने इस विधेयक को पारित करके आश्चर्यजनक रूप से राज्यपाल के बदले राष्ट्रपति के पास मंजूरी हेतु भेज दिया। यह विधेयक कभी वापस नहीं लौटा। पाँच साल बाद, 2003 में मध्य प्रदेश विधानसभा ने पुनः नया विधेयक पारित करके लागू किया। (हालॉंकि मध्य प्रदेश के बिलासपुर संभाग के कमिश्नर हर्ष मंदेर ने 1995 से 1997 के बीच सार्वजनिक विरण प्रणाली, परिवहन,ग्रामीण विकास योजनाओ, साक्षरता, रोजगार से जुड़े दस्तावेजों में पारदर्शिता के महत्वपूर्ण प्रयास किए) |

 

6. राजस्थान वह राज्य है, जहाँ सूचना का अधिकार के लिए सबसे पहले और सबसे जबरदस्त आंदोलन हुआ। भारी जनदबाव के कारण 1995 में मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत ने विधानसभा में आश्वासन दिया कि जल्द ही सूचना का अधिकार लागू किया जाएगा, लेकित जनता को अगले पाँच वर्षो तक निरंतर आंदोलन करना पड़ा। मई, 2000 में राजस्थान विधानसभा ने सूचना का अधिकार विधेयक पारित किया।

 

7. महाराष्ट्र में 11 दिसंबर, 2000 को सूचना का अधिकार विधेयक पारित हुआ लेकिन यह बेहद कमजोर था। इसमें विभिन्‍न महत्वपूर्ण सूचनाओं पर पाबंदी थी। इसलिए सूचनावादियों को यह कानून बेहद अपर्याप्त लग रहा था। यही कारण था कि अन्ना हजारे ने राज्य में जोरदार आंदोलन चलाकर एक बेहतर कानून बनाने का दबाव डाला। महाराष्ट्र सरकार ने नया विधेयक बनाने के लिए 10 सितंबर, 2001 को समिति गठित की तथा अप्रैल, 2002 में विधानसभा में नया विधेयक आया। साथ ही, 23 सितंबर, 2002 को एक अध्यादेश लाया गया। मार्च 2003 में महाराष्ट्र विधानसभा के दोनों सदन ने विधेयक पारित कर दिया तथा 10 अगस्त, 2003 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई। इस अध्यादेश को 23 सितंबर, 2002 से लागू माना गया।

 

8. मई, 2001 में दिल्‍ली में सूचना का अधिकार विधेयक पारित हुआ और उसे 02 अक्टूबर, 2001 से लागू किया गया।

 

9. उत्तर प्रदेश ने कोड ऑफ प्रैक्टिस ऑन एक्सेस टू इनफॉरमेशन, 2000 पारित किया। हालॉंकि इसके प्रावधान बेहद सीमित होने के कारण इसकी खास प्रासंगिकता नहीं देखी गई।

 

10. अंततः वर्ष 2005 में सूचना का केन्द्रीय कानून अपने वास्तविक रूप में सामने आया।