सूचना के अधिकार अधिनियम में विभिन्‍न तरह की चुनौतियाँ (Various Challenges in Right to Information Act)

Posted on April 17th, 2020 | Create PDF File

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सूचना के अधिकार अधिनियम में विभिन्‍न तरह की चुनौतियाँ

(Various Challenges in Right to Information Act)

 


* सूचना के रख-रखाव का आधुनिकीकरण आवश्यकतानुसार नहीं किया जा सका है।

 

* सूचना के अधिकार और गोपनीयता के अधिकार में पारस्परिक विरोधाभास है (दोनों को ही न्यायपालिका ने मौलिक अधिकारों से जोड़ा है)।

 

* अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद और उभरती असुरक्षा की वजह से सूचना के अधिकार को लागू करने में देरी होती है (जैसे कि ब्रिटेन में यह कानून 2000 में लाया गया, किन्तु उसे 2005 में लागू किया जा सका)।

 

* कुछ देशों में ऐसे कानून प्रतिबंधात्मक ज्यादा हैं।

 

* कहीं-कहीं सूचना में अनावश्यक केन्द्रीकरण की प्रवृत्तियाँ भी हैं।

 

* कुछ निजी क्षेत्रों में भी सूचना के अधिकार को लागू करने की जरूरत है।

 

* सूचना के अधिकार के कानून के अनुसार सिविल सेवाओं की कार्य संस्कृति एवं आचार-संहिताओं में उचित परिवर्तन नहीं लाए जा सके हैं।

 

* सूचना के अधिकार के कानून और Manual of Office Procedure के मध्य असंगतियों को 2nd-ARC  की पहली रिपोर्ट में रखा गया।

 

* स्थानीय सरकारों के लिए लाए गए कानूनों में सूचना के अधिकार और नागरिक चार्टर के सम्बन्ध में कमियाँ हैं।

 

* कुछ राज्य में शिकायत निवारण के उचित तंत्र को लाए जाने में कमियाँ हैं।

 

* यद्यपि इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से सूचना प्राप्त करने का अधिकार दिया गया, लेकिन कम्प्यूटर साक्षरता में कमी का प्रतिकूल असर है।

 

* नागरिकों में दूसरों की गोपनीयता के अधिकार के आदर की प्रवृत्तियों में कमियाँ हैं।

 

* एक संघीय व्यवस्था में संघीय स्तर पर लाए गए कानूनों के सन्दर्भ में राज्यों में लागू करने में संघ-राज्य मतभेद बने रहते हैं।

 

* शिकायत-निवारण व्यवस्था में अभी भी क्षेत्रीय स्तर पर उचित पहुँच में कमियाँ बनी हुई हैं (बड़े राज्यों में राज्य सूचना आयोगों ने ऐसी समस्याओं को रखा)।

 

* अभी भी आवश्यकतानुसार सूचना के अधिकार और जनसम्पर्क में प्रशिक्षण देने में कमियाँ हैं।