सूचना का अधिकार : एक आकलन (Assesment of Right to Information)

Posted on April 18th, 2020 | Create PDF File

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सूचना का अधिकार : एक आकलन

(Assesment of Right to Information)

 

लोक कल्याणकारी एवं जवाबदेह शासन का प्रमुख आधार सूचना का अधिकार है। संवेदनशील एवं स्मार्ट शासन को मूर्त रूप देना और जनता का विश्वास अर्जित करना प्रशासकों के सामने एक चुनौती बन चुका है। सूचना का अधिकार एक्ट उस आम आदमी के लिए प्रभावी हथियार है, जिनकी नौकरशाही में सीधी कोई जान-पहचान या दखल नहीं है। इससे शोषण और मनमाने व्यवहार पर अंकुश लग सकेगा और भ्रष्टाचार को नियंत्रित किया जा सकेगा। इससे प्रशासन एवं शासन में जनसहभागिता, मूल्यांकन, फीडबैक और सुधार सुझाव जैसे कारकों का समावेश होगा।

 

इससे प्रशासनिक निर्णयों में तार्किकता और तटस्थता बढ़ती है, लोक प्रशासन को भी जनता की भावनाओं और रूझानों का पता चलता है तथा प्रशासनिक गुणवत्ता और विश्वसनीयता बढ़ती है। सजग संवेदनशील एवं उत्तरदायी प्रशासन का विकास होता है। वैसे भी सूचना, ज्ञान, प्रतिभा, जानकारी में स्वयं को बंधन मुक्त करने की नैसर्गिक शक्ति होती है।

 

सूचना अधिकार के दुष्परिणाम पीत पत्रकारिता (Yellow Journalism), दूसरों पर टालने ( Buckmastership ) की प्रवृत्ति के रूप में भी आ सकते हैं। भारत में व्यापक निरक्षरता, गरीबी,बेरोजगारी आदि से बाधाएँ आ सकती हैं। भारतीय प्रेस परिषद्‌ के पूर्व अध्यक्ष न्यायमूर्ति पी.बी. सावंत के अनुसार-'अगर सूचना के अधिकार के साथ-साथ अन्य संस्थाओं जैसे-जनसंचार माध्यमों, गैर सरकारी संगठनों तथा लोकपाल एवं लोकायुक्त को सक्षम नहीं बनाया गया तो यह अधिकार निरर्थक सिद्ध होगा।”

 

दूरगामी परिणाम - आज पूरा विश्व एक गांव की तरह परिलक्षित होता है। कम्प्यूटर एवं संचार तकनीक ने समय एवं दूरी के अभाव को समाप्त कर दिया है फिर राजकीय सूचनाओं के अधिकार से व्यक्ति क्‍यों वंचित रहे ? अधिकांश ग्रामीण सरकार द्वारा उन्हें दी जाने वाली सुविधाओं एवं योजनाओं के बारे में अनभिज्ञ रहते हैं। इसका प्रमुख कारण अशिक्षा व अधिकारों के प्रति अचेत रहना है। वैसे गाँवों में संचार माध्यमों जैसे रेडियो; टी.वी, इंटरनेट आदि के माध्यम से लोग अपने अधिकारों को जानने की कोशिश कर रहे हैं। मध्य प्रदेश के धार जिले में ज्ञानदूत योजना के तहत कई सूचना केन्द्र खोले जाने हैं। यहाँ से कोई भी व्यक्ति कई दस्तावेज प्राप्त कर सकता है और अधिकारियों को शिकायत भेज सकता है। इस परियोजना को स्टॉकहोम चैलेंज अवार्ड भी प्राप्त हुआ है। अब इस सूचना का विस्तार पूरे प्रदेश में कर दिया गया है।

 

RTI द्वारा पंचायत या ब्लॉक के रिकॉर्ड देखे जा सकते हैं। गांव वाले आवश्यकता पड़ने पर इस विषय पर एक जन सुनवाई का आयोजन भी कर सकते हैं। इस जन सुनवाई में गाँव के सभी लोगों को बुलाया जाएगा व विकास कार्यों सम्बन्धी जो जानकारी RTI के उपयोग व गाँववासियों की अपनी जांच से प्राप्त हुई है उसे सबके सामने रखा जाएगा तथा जनसुनवाई में उनको अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए बुलाया जा सकता है।