सूचना के अधिकार को बेहतर रूप से लागू करने के 12 महत्वपूर्ण सुझाव (12 Important Suggestions for Better Implications of Right to Information)

Posted on April 18th, 2020 | Create PDF File

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सूचना के अधिकार को बेहतर रूप से लागू करने के 12 महत्वपूर्ण सुझाव 

(12 Important Suggestions for Better Implications of Right to Information)

 


सूचना के अधिकार कानून के बेहतर क्रियान्वयन के लिए निम्नलिखित पहलुओं एवं सुझावों को ध्यान में रखे जाने की आवश्यकता है-

 

1.संविधान समीक्षा आयोग और द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग ने सिफारिश की कि लोक पदाधिकारियों को गोपनीयता के स्थान पर पारदर्शिता की शपथ दिलाई जाए।

 

2.वह निजी क्षेत्र जो महत्वपूर्ण रूप से राज्य से कार्य लेता है उसमें भी सूचना का अधिकार कानून लागू किया जाए।

 

3.मौलिक अधिकारों के अन्तर्गत अनुच्छेद 19 में सूचना के अधिकार के प्रावधान किए जाएं।

 

4.इलैक्ट्रॉनिक माध्यमों से सूचना लेने की प्रवृत्ति बढ़े, इसके लिए कम्प्यूटर साक्षरता बढ़ाई जाए।

 

5.सूचना के अधिकार के कानून के अनुरूप सिविल सेवाओं की अचार संहिताओं को बदला जाए।

 

6. सूचना के अधिकार के सन्दर्भ में शिक्षा और जागरूकता को लाने के लिए गैर सरकारी संगठनों की भागीदारी बढ़ाई जाए।

 

7. द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग ने लोक सूचना अधिकारियों के अतिरिक्त अन्य कार्मिकों को भी सूचना के अधिकार के सम्बन्ध में प्रशिक्षण देने की सिफारिश की है।

 

8. सुशासन के सन्दर्भ में राज्य सरकार रिपोर्ट में पारदर्शिता एक महत्वपूर्ण मुदृदा हो।

 

9.अधीनस्थ और संलग्न संस्थाओं में भी इसे लागू करने के लिए सम्बन्धित मंत्रालय या विभाग प्रयास करें।

 

10. द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग ने सरकार के अभिलेखों या सूचना रख-रखाव के आधुनिकीकरण के लिए विशेष कार्यक्रम को सिफारिश की है।

 

11. द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग ने एकल खिड़की एजेंसी (Single Window Agency) के प्रयोग एवं स्वतंत्र लोक अभिलेख कार्यालय की सिफारिश की है, जिससे पारदर्शिता बढ़ाने के प्रावधान प्रभावी हो सके।

 

12. द्वितीय प्रशासनिक आयोग ने केन्द्रीय और राज्य समिति (नियुक्ति के लिए सिफारिश के सन्दर्भ में) में एक कैबिनेट मंत्री के स्थान पर क्रमश: उच्चतम न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश और उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को सम्मिलित करने की सिफारिश की है।

 

सूचना का अधिकार किसी भी रूप में होने वाले सत्ता के निरंकुश प्रयोग को पूर्णतया निरुत्साहित करता है। यह हमारे देश की लोकतान्त्रिक शासन व्यवस्था को सही अर्थों में न्यायपूर्ण,कार्यकुशल,जनता के प्रति संवेदनशील, पारदर्शी व उत्तरदायित्व की भावना से अनुपूरित करने की दिशा में एक गम्भीर प्रयास है। जनमानस अब सूचना के अधिकार को एक साघन के रूप में प्रयुक्त करते हुए शासन की प्रत्येक इकाई से जवाबदेही की मांग कर सकता है। इस कानून के द्वारा लोक सेवकों की जवाबदेही सुनिश्चित करके उनकी अकर्मण्यता, अकुृशलता, पक्षपातपूर्ण व्यवहार, निरंकुशता, अनुशासनहीनता एवं भ्रष्टाचार की मनोवृत्ति पर एक प्रकार का प्रभावी अंकुश लगा दिया गया है। इसी व्यवस्था का परिणाम है कि आज देश का साधारण से साधारण नागरिक भी शासकीय व्यवस्था में व्याप्त त्रुटियों को दूर करने में सक्षम हो गया है।