सूचना के अधिकार को सशक्त बनाने के लिए 6 महत्वपूर्ण सुझाव (6 Important Suggestions For Empowering Right to Information)
Posted on April 18th, 2020
सूचना के अधिकार को सशक्त बनाने के लिए 6 महत्वपूर्ण सुझाव
(6 Important Suggestions For Empowering Right to Information)
1.आरटीआई एक्ट की जानकारी आम लोगों तक शीघ्रातिशीघ्र पहुंचाई जाए, ताकि इसका सार्थक उपयोग व्यापक स्तर पर किया जा सके। इसके लिए न केवल सरकारी स्तर पर प्रयास हो, बल्कि विभिन्न स्वैच्छिक संस्थाएं, जनआन्दोलन व जनसंचार माध्यम भी इस विषय में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
2.आरटीआई एक्ट की मूलभूत बातों के प्रति किसी भी दृष्टिकोण से आम जनता को परिचित कराया जाए, अन्यथा सूचना का अधिकार निश्चय ही विधि ग्रंथों में दबकर रह जाएगा
3.शासकीय विभाग व संस्थाएँ सूचना प्राप्त करने सम्बन्धी सामान्य प्रक्रिया व नियम आदि बिल्कुल सरल भाषा में जन साधारण की जानकारी हेतु प्रदर्शित करें, ताकि भ्रम की कोई स्थिति शेष न रहें।
4.शासकीय निकाय अथवा प्रवर्तन तंत्र में केवल वही लोग नियुक्त किए जाएँ जिनकी योग्यता, सत्यनिष्ठा, ईमानदारी, चारित्रिक मूल्य व प्रतिष्ठा जनसाधारण में सुविख्यात हो।जनसाधारण को भी अपने सूचना सम्बन्धी अधिकारों के प्रति जागरूक होने की महती आवश्यकता है।
5.भविष्य में निजी क्षेत्र को भी कुछ विशिष्ट परिस्थितियों के अधीन सूचना के अधिकार की परिधि में लाए जाने के गम्भीर प्रयास होने चाहिए, क्योंकि निजी क्षेत्र भी वास्तव में लोक सहयोग से ही चलता है अतः इसे किसी भी दशा में गोपनीयता का लाभ देकर जनहित के विरुद्ध कार्य करने की अनुमति दिया जाना न्यायसंगत नहीं होगा।
6.इस सबके अतिरिक्त सरकार अपने क्रियाकलापों में स्वतः ही पूर्ण ईमानदारी, पारदर्शिता व उत्तरदायित्व की संस्कृति विकसित करे जिससे की लोगों को अपना सूचना सम्बन्धी अधिकार प्रयुक्त करने की आवश्यकता ही प्रतीत न हो।
सूचना के अधिकार को सशक्त बनाने के लिए 6 महत्वपूर्ण सुझाव (6 Important Suggestions For Empowering Right to Information)
सूचना के अधिकार को सशक्त बनाने के लिए 6 महत्वपूर्ण सुझाव
(6 Important Suggestions For Empowering Right to Information)
1.आरटीआई एक्ट की जानकारी आम लोगों तक शीघ्रातिशीघ्र पहुंचाई जाए, ताकि इसका सार्थक उपयोग व्यापक स्तर पर किया जा सके। इसके लिए न केवल सरकारी स्तर पर प्रयास हो, बल्कि विभिन्न स्वैच्छिक संस्थाएं, जनआन्दोलन व जनसंचार माध्यम भी इस विषय में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
2.आरटीआई एक्ट की मूलभूत बातों के प्रति किसी भी दृष्टिकोण से आम जनता को परिचित कराया जाए, अन्यथा सूचना का अधिकार निश्चय ही विधि ग्रंथों में दबकर रह जाएगा
3.शासकीय विभाग व संस्थाएँ सूचना प्राप्त करने सम्बन्धी सामान्य प्रक्रिया व नियम आदि बिल्कुल सरल भाषा में जन साधारण की जानकारी हेतु प्रदर्शित करें, ताकि भ्रम की कोई स्थिति शेष न रहें।
4.शासकीय निकाय अथवा प्रवर्तन तंत्र में केवल वही लोग नियुक्त किए जाएँ जिनकी योग्यता, सत्यनिष्ठा, ईमानदारी, चारित्रिक मूल्य व प्रतिष्ठा जनसाधारण में सुविख्यात हो।जनसाधारण को भी अपने सूचना सम्बन्धी अधिकारों के प्रति जागरूक होने की महती आवश्यकता है।
5.भविष्य में निजी क्षेत्र को भी कुछ विशिष्ट परिस्थितियों के अधीन सूचना के अधिकार की परिधि में लाए जाने के गम्भीर प्रयास होने चाहिए, क्योंकि निजी क्षेत्र भी वास्तव में लोक सहयोग से ही चलता है अतः इसे किसी भी दशा में गोपनीयता का लाभ देकर जनहित के विरुद्ध कार्य करने की अनुमति दिया जाना न्यायसंगत नहीं होगा।
6.इस सबके अतिरिक्त सरकार अपने क्रियाकलापों में स्वतः ही पूर्ण ईमानदारी, पारदर्शिता व उत्तरदायित्व की संस्कृति विकसित करे जिससे की लोगों को अपना सूचना सम्बन्धी अधिकार प्रयुक्त करने की आवश्यकता ही प्रतीत न हो।