महिलाओं के विरूद्ध होने वाले अपराधों को रोकने हेतु सुझाव (Suggestions to Prevent Crimes Against Women)

Posted on March 23rd, 2020 | Create PDF File

महिलाओं के विरूद्ध डोने वाले अपराधों को रोकने हेतु सुझाव (Suggestions to Prevent Crimes Against Women)

 

इसके अंतर्गत हम निम्नलिखित सुझावों को शामिल कर सकते हैं-

 

* महिलाओं के विरूद्ध हिंसा से संबंधित मामलों का त्वरित निपटान सुनिश्चित करने के लिए विशेष अदालतों का गठन किया जाना चाहिए ताकि न्यायिक निर्णय में देरी के चलते ऐसी गतिविधियों को प्रोत्साहन न मिल सके। इसके अतिरिक्त 'महिला जाँच ब्यूरो' जैसी इकाइयों की स्थापना भी इस दिशा में एक कारगर कदम होगा।

 

* पुलिस विभाग में अधिकाधिक महिला कर्मचारियों की भर्ती की जानी चाहिए तथा महिलाओं से संबंधित मामलों की देखरेख एवं निपटान के लिए जहाँ तक संभव हो महिला अधिकारियों एवं कर्मियों को नियुक्त किया जाना चाहिए। विशेष महिला थानों की स्थापना की जानी चाहिए। देश भर में कई राज्यों द्वारा महिलाओं से संबंधित आपराधिक मामलों की देखरेख हेतु क्राइम अगेंस्ट वूमेन सेल का गठन किया गया है।

 

* महिलाओं के विरूद्ध अपराधों को रोकने के लिए विशेष पुलिस इकाई (Dedicated Police Unity) का गठन किया जाना चाहिए। इससे मामलों में तेजी से सुनवाई संभव हो सकेगी।

 

*पीड़ित महिला को अपनी पसंद का वकील चुनने का अधिकार मिलना चाहिए ।

 

*महिलाओं के विरूद्ध अपराधों को रोकने के लिए प्रभावी कानून बनाए जाने चाहिएँ। इनमें सख्त सजा एवं जुर्माना (Penalty) का प्रावधान किया जाना चाहिए।

 

*पीड़ित महिलाओं के राहत एवं पुनर्वास के लिए एक विशेष राष्ट्रीय कोष (National Fund) का गठन किया जाना चाहिए।

 

*महिला आरक्षण विधेयक सरीखे कानूनों को पारित किया जाना चाहिए ताकि निर्णय प्रक्रिया में महिलाओं की सहभागिता सुनिश्चित की जा सके ।

 

*महिलाओं के विरूद्ध होने वाले अत्याचार के खिलाफ अभियान चलाने वाले स्वयंसेवी संगठनों को सरकार द्वारा अधिकाधिक प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए ताकि महिलाओं के विरूद्ध होने वाले अत्याचारों को रोकने के लिए एक सशक्त जनमत का निर्माण किया जा सके। साथ ही पीडित महिलाओं को निःशुल्क कानूनी सहायता उपलब्ध कराने वाली संस्थाओं को भी प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।

 

*स्कूल तथा कॉलेज स्तर पर छात्राओं के लिए कुंग फ्‌ / जूडो-कराटे का प्रशिक्षण अनिवार्य किया जाना चाहिए ताकि कुछ मामलों में जिनमें महिलाओं को लैंगिक दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है, वे इसका सशक्त विरोध कर सकें।

 

*टी.वी. रेडियो, समाचार-पत्र, पत्रिकाओं और संगोष्ठियों के माध्यम से जन-जागरूकता अभियानों का संचालन एवं प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त स्कूलों, कॉलेजों तथा गाँवों में उक्त कार्य के लिए नियुक्त अधिकारियों द्वारा बैठकों के आयोजन इत्यादि के माध्यम से इस समस्या के खिलाफ जनमत का निर्माण करना चाहिए। साथ ही इन्हीं माध्यमों का उपयोग महिलाओं के बीच अपने अधिकारों एवं कानूनों की जानकारी के प्रचार-प्रसार के लिए भी किया जाना चाहिए।

 

*सरकारों को सार्वजनिक स्थलों, पार्कों, बसों, रेलगाड़ियों, स्कूलों आदि में महिलाओं के साथ छेड़छाड़ एवं बलात्कार तथा ऐसिड फेंकने एवं ऐसे ही अन्य अत्याचारों के लिए सख्त कानूनों का निर्माण तथा प्रभावी क्रियान्वयन भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

 

*मीडिया आदि संचार माध्यमों से स्त्री एवं पुरूष दोनों को यह समझाना चाहिए कि घरेलू कार्य करने वाली महिलाएँ अनुत्पादक नहीं हैं। इससे महिलाओं में आत्मसम्मान की भावना बढ़ेगी और महिलाओं के प्रति पुरूषों के दृष्टिकोण में परिवर्तन आएगा।

 

*विभिन्‍न धर्मों के नेताओं को अपने-अपने धर्म के भीतर आघुनिक सुधारों के पक्ष में आवाज उठानी चाहिए। भारतीय समाज में सामान्य व्यक्ति धर्म से नैतिक और सामाजिक मूल्यों को ग्रहण करता है, इसलिए धार्मिक सुधार इस समस्या से निपटने के लिए अच्छे उपाय हो सकते हैं।

 

*महिलाओं के लिए शिक्षा सुविधाओं का तीव्र विकास किया जाना चाहिए। यदि समाज में इस संबंध में जागरूकता पैदा हो सके तो इन सुविधाओं से महिलाओं को काफी बेहतर स्थिति में पहुँचाया जा सकता है। संविधान के अनुच्छेद-44 के अनुरूप समान नागरिक संहिता लाने का प्रयास किया जाना चाहिए।

 

*यदि महिलाओं के विरूद्ध होने वाले अपराधों एवं अपराधियों को समाज अत्यंत घृणित दृष्टि से देखे और इनका सामाजिक बहिष्कार कर दे तो अन्य लोग ऐसा अपराध करने की हिम्मत नहीं कर सकेंगे क्योंकि कानून से लड़ना आसान है पर समाज से लड़ने की हिम्मत बहुत कम लोगों में होती है।