स्थानीय संस्थाओं का सुदृढ़ीकरण और शासन व्यवस्था (Strengtherning local institutions and governance)

Posted on April 6th, 2020 | Create PDF File

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स्थानीय संस्थाओं का सुदृढ़ीकरण और शासन व्यवस्था

(Strengtherning local institutions and governance)

 

स्थानीय संस्थाओं का सुदृढ़ीकरण शासन व्यवस्था की कार्यकुशलता से प्रत्यक्ष रूप से सम्बन्धित है। 12वीं योजना की दृष्टि में, योजना कार्यक्रमों की सफलता की अपेक्षित कमी से सम्बन्धित एक मुख्य नैदानिक निष्कर्ष यह है कि इसे सर्वोच्च स्तर से नियंत्रित किए जाने के आधार पर तैयार किया जाता है और यह स्थानीय लोगों और विशेष रूप से कमजोर वर्ग के लोगों की जरूरतों और आकांक्षाओं को प्रभावी ढंग से पूरा नहीं कर पाता है।

 

73वें संवैधानिक संशोधन द्वारा कई कार्य पंचायतीराज संस्थाओं (PRIs) को सौंपे गए थे। वर्ष 2004 से निधियों के अत्यधिक अंतरण (Transfer) के बावजूद अपेक्षित परिणाम नहीं मिले हैं। महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के जरिए निधियों के अंतरण के बावजूद प्रभावी वित्तीय स्थानीय अभिशासन (Financial Local Governance) सुनिश्चित नहीं हो पाया है। 12वीं योजना स्थानीय संस्थाओं को विकास के वास्तविक अभिकर्त्ता (Agent) बनाने के लिए व्यापक सुधारों की माँग करती है। भारत सरकार ने यद्यपि राजीव गाँधी पंचायत सशक्तीकरण मिशन और राजीव गाँधी पंचायत आधिकारिता सूचकांक को विकसित किया है, लेकिन 12वीं योजना के दृष्टिकोण प्रपत्र का मानना है कि संस्थागत तौर पर पंचायतीराज संस्थान अभी भी कमजोर बने हुए हैं। उनके पास कार्यक्रमों की प्रभावी ढंग से योजना बनाने या उन्हें कार्यान्वित करने की क्षमता नहीं है।

 

कई अध्ययनों से पता चला है कि स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना के तहत गठित स्वयं सहायता समूहों के गठन सम्बन्धी प्रभावी आँकड़ों में काम की अत्यधिक खराब स्थिति छिपा दी गई है। जब ये स्थानीय संस्थाएँ और सुदृढ़ हो जाएंगी तो उनके सक्रिय रूप से शामिल होने पर सृजित आस्तियों की सावधानीपूर्वक देखभाल और रख-रखाव करने से योजना कार्यक्रमों का संपोषित प्रभाव सुनिश्चित हो सकेगा।