नीति बनाने का कार्य और निष्पादन कार्य अलग-अलग किए जाने पर बल (Stress of differentiation in policy making and execution of work)

Posted on April 6th, 2020 | Create PDF File

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नीति बनाने का कार्य और निष्पादन कार्य अलग-अलग किए जाने पर बल

(Stress of differentiation in policy making and execution of work)

 

 

शासन व्यवस्था में सुधार का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र अधिक जवाबदेही विकसित करने, बेहतर प्रबंधन, प्रभावी सेवा प्रदान करने और फ्रंट लाइन स्टाफ को सशक्त बनाए जाने की जरूरत से सम्बन्धित है। इस उद्देश्य के साथ द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग 'भारत सरकार का संगठनात्मक ढांचा' नामक अपनी रिपोर्ट में सुझाव दिया है कि सरकार के नीति बनाने के कार्य और निष्पादन कार्य अलग-अलग किए जाने चाहिए और इन्हें उचित ढंग से आयोजित किया जाना चाहिए। निष्पादन कार्यों को कार्यपालक एजेंसियों को जारी किया जाना चाहिए।

 

इसमें, ऐसी प्रत्येक एजेंसी को संस्थागत बनाया जाता है जिसमें इसके अधिकार, मिशन और उद्देश्य, ढांचे, जवाबदेही, मानक और लक्ष्य तथा वित्तीय व्यवस्थाओं आदि का उल्लेख किया जाता है और इसे वार्षिक कार्यनिष्पादन रिपोर्ट और लेखे जारी करने का अधिकार प्राप्त होता है। एजेंसी को यह स्वतंत्रता होती है कि वह अपनी प्रबंधन शैली, कार्यनीति, परिचालन प्रणाली, कार्यबल आदि में सरकार के व्यापक दिशा-निर्देशों के अन्दर परिवर्तन कर सकती है। 'एजेंसी' ढांचों का लाभ यह है कि इससे परिणाम तक की स्पष्टता मिलती है।