जवाबदेही की अवधारणा और भारतीय शासन व्यवस्था (The concept of accountability and Indian polity)

Posted on April 6th, 2020 | Create PDF File

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जवाबदेही की अवधारणा और भारतीय शासन व्यवस्था
(The concept of accountability and Indian polity)

 

 

जवाबदेहिता लोकतांत्रिक एवं उत्तम शासन की पूर्व शर्त है। यह इस धारणा पर आधारित है कि नियुक्त किए गए अधिकारी अथवा कर्मचारियों को जो लोक अधिदेश (Public Mandate) मिला हुआ है, उसके अनुरूप वे अपने कार्यों के लिए जिम्मेदार हों, और जवाब देने के लिए तैयार रहें। अपनी गतिविधियों व निर्णयों का औचित्य स्पष्ट करने से जवाबदेही की धारणा को मजबूती मिलती है। शासन व्यवस्था में बेहतर परिणामों के लिए नागरिकों समाज (सिविल सोसाइटी) द्वारा लोक पदों की जवाबदेहिता सुनिश्चित कराने के लिए सक्रिय रहना आवश्यक है। भारत में जनलोकपाल की मांग के रुप में शुरू हुआ भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन सिविल सोसाइटी व जनशक्ति की इसी भूमिका का परिणाम है। जवाबदेहिता (Accountability) को परिभाषित करते हुए कहा जा सकता है, “यह एक ऐसा तंत्र है, जो लोक संसाधनों (Public Resources) के उपयोग पर रिपोर्ट देता है और सौंपे गए निष्पादन लक्ष्यों (Performance Objectives) को पूरा करने में असफल रहने पर जवाब देने के लिए तैयार रहता है।"

 

12वीं पंचवर्षीय योजना के दृष्टिकोण प्रपत्र में कहा गया है कि यह व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है कि सरकार की जवाबदेहिता चिन्ता का मूल विषय है जिसे भारत में तात्कालिक आधार पर हल किए जाने की जरूरत है। प्रपत्र में स्पष्ट किया गया है कि सरकारी और निजी संगठनों से सम्बन्धित जवाबदेही के बीच अन्तर स्पष्ट करना उपयोगी हो सकता है। निजी, लाभ प्रेरित संगठन, परिणाम प्रदान करने में सामान्यतया काफी कुशल होते हैं, जबकि इक्विटी प्रबंधन में वे अक्सर कुशल नहीं होते हैं।

 

निजी संगठनों के पास अपेक्षाकृत सीमित हितधारकों (Stakehoulders) का समूह होता है। वे सिद्धान्त रूप से अपने शेयरधारकों और अपने विशिष्ट उत्पादों, सेवाओं के अपने ग्राहकों के प्रति जवाबदेह होते हैं। दूसरी ओर सरकारों को काफी हद तक नागरिकों और हितधारकों के कहीं व्यापक समूह के प्रति जवाब देने के लिए बाध्य किया गया है। चूँकि सरकार की जवाबदेही व्यापक है, इसलिए सार्वजनिक कार्यक्रमों के प्रबंधन में जवाबदेही की परिभाषा और माप पर अधिक ध्यान दिए जाने की जरूरत है। हाल की सुधार पहलों में कई केन्द्रीय मंत्रालयों ने परिणाम ढांचा दस्तावेज अपनाया है जो उन सर्वाधिक महत्वपूर्ण परिणामों को प्रदान करता है जिन्हें सम्बन्धित विभागों और मंत्रालयों द्वारा प्राप्त किए जाने की आशा की जाती है। इसका मुख्य प्रयोजन विभाग का ध्यान वर्तमान संसाधन आवंटन प्रणाली से बदलकर परिणाम उन्मुख प्रणाली में करना है।