स्वास्थ्य समसामियिकी 1 (10-Jan-2021)^बर्ड फ्लू की वापसी^(Return of bird flu)
Posted on January 10th, 2021
हाल ही में, गुजरात राज्य में बर्ड फ्लू (एवियन इन्फ्लूएंजा / Avian Influenza) के नए मामलों की पुष्टि हुई है, इससे पहले केरल, राजस्थान, मध्य प्रदेश और हरियाणा में इस बीमारी की पुष्टि हो चुकी है।कई राज्यों में कौवे और प्रवासी प्रजातियों के पक्षियों की मौत होने की रिपोर्ट सामने आ रही है, जिससे इन राज्यों में वायरस की पहचान करने हेतु नमूनों की जांच कराने के अफरा-तफरी मच रही है।
बर्ड फ्लू या एवियन इन्फ्लूएंजा एक वायरल संक्रमण है जो अधिकांशतः पक्षियों में होता है, हालांकि यह मनुष्यों और अन्य जानवरों को प्रभावित करने में भी सक्षम होता है।अब तक बर्ड फ्लू के एक दर्जन से अधिक प्रकारों की पहचान की गई है, इनमे मनुष्यों को हाल ही में संक्रमित करने वाले दो उप-प्रकार H5N1 और H7N9 भी सम्मिलित हैं। जब इंसानों में बर्ड फ्लू का संक्रमण होने पर यह जानलेवा साबित हो सकता है।
इस वायरस को सबसे पहले वर्ष 1996 में चीन में देखा गया था।बर्ड फ्लू का प्रकोप एशिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका और यूरोप के कुछ हिस्सों में पूर्व में फ़ैल चुका है।भारत में, राजस्थान, मध्य प्रदेश और केरल के नमूनों ने वायरस का ‘टाइप ए’ (H5N8) उप-प्रकार पाया गया है, हिमाचल प्रदेश के नमूनों में वायरस के ‘टाइप ए’ (H5N1) उप-प्रकार की उपस्थिति पायी गयी है।
बर्ड फ्लू, प्राकृतिक रूप से जंगली जल-पक्षियों में फैलता है और यह मुर्गी, टर्की, बतख और गीज़ (Geese) जैसे घरेलू पक्षियों को संक्रमित कर सकता है।यह बीमारी संक्रमित पक्षी की विष्ठा के संपर्क में आने अथवा पक्षी की नाक, मुंह या आंखों से स्रावित होने वाले द्रव्यों के माध्यम से फैलती है।संक्रमित पक्षियों के अधपके पोल्ट्री मांस या अंडे भी बर्ड फ्लू को प्रसरण कर सकते हैं।
H5N1 वायरस एक प्रजाति से दूसरी में फ़ैल सकता है और संक्रमित पक्षी से मनुष्यों को संक्रमित कर सकता है।मनुष्यों में H5N1 संक्रमण का पहला मामला वर्ष 1997 में हांगकांग में दर्ज किया गया था।अपने वर्तमान रूप में बर्ड फ्लू का मानव-से-मानव संक्रमण अभी तक ज्ञात नहीं है – केवल संक्रमित पक्षियों के सम्पर्क में आने वाले मनुष्यों में संक्रमण की जानकारी मिली है।
दक्षिण पूर्व एशियाई देशों की तुलना में, H5N1 वायरस द्वारा मनुष्यों के संक्रमित होने संभावना भारत में काफी कम है। इसका मुख्य कारण रसोई पकाने के तरीकों में भिन्नता है।H5N1 वायरस, 70 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान के संपर्क में आने पर तुरंत नष्ट हो जाता है।दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के विपरीत, भारत में मांस और अंडे दोनों को अच्छी तरह से पकाया जाता है, इस प्रक्रिया में ये खाद्य पदार्थ लगभग 100 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान के संपर्क में आते है।इस प्रकार मनुष्यों के चिकन और अंडे खाने से वायरस संक्रमण की संभावना अत्यंत कम होती है।
स्वास्थ्य समसामियिकी 1 (10-Jan-2021)बर्ड फ्लू की वापसी(Return of bird flu)
हाल ही में, गुजरात राज्य में बर्ड फ्लू (एवियन इन्फ्लूएंजा / Avian Influenza) के नए मामलों की पुष्टि हुई है, इससे पहले केरल, राजस्थान, मध्य प्रदेश और हरियाणा में इस बीमारी की पुष्टि हो चुकी है।कई राज्यों में कौवे और प्रवासी प्रजातियों के पक्षियों की मौत होने की रिपोर्ट सामने आ रही है, जिससे इन राज्यों में वायरस की पहचान करने हेतु नमूनों की जांच कराने के अफरा-तफरी मच रही है।
बर्ड फ्लू या एवियन इन्फ्लूएंजा एक वायरल संक्रमण है जो अधिकांशतः पक्षियों में होता है, हालांकि यह मनुष्यों और अन्य जानवरों को प्रभावित करने में भी सक्षम होता है।अब तक बर्ड फ्लू के एक दर्जन से अधिक प्रकारों की पहचान की गई है, इनमे मनुष्यों को हाल ही में संक्रमित करने वाले दो उप-प्रकार H5N1 और H7N9 भी सम्मिलित हैं। जब इंसानों में बर्ड फ्लू का संक्रमण होने पर यह जानलेवा साबित हो सकता है।
इस वायरस को सबसे पहले वर्ष 1996 में चीन में देखा गया था।बर्ड फ्लू का प्रकोप एशिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका और यूरोप के कुछ हिस्सों में पूर्व में फ़ैल चुका है।भारत में, राजस्थान, मध्य प्रदेश और केरल के नमूनों ने वायरस का ‘टाइप ए’ (H5N8) उप-प्रकार पाया गया है, हिमाचल प्रदेश के नमूनों में वायरस के ‘टाइप ए’ (H5N1) उप-प्रकार की उपस्थिति पायी गयी है।
बर्ड फ्लू, प्राकृतिक रूप से जंगली जल-पक्षियों में फैलता है और यह मुर्गी, टर्की, बतख और गीज़ (Geese) जैसे घरेलू पक्षियों को संक्रमित कर सकता है।यह बीमारी संक्रमित पक्षी की विष्ठा के संपर्क में आने अथवा पक्षी की नाक, मुंह या आंखों से स्रावित होने वाले द्रव्यों के माध्यम से फैलती है।संक्रमित पक्षियों के अधपके पोल्ट्री मांस या अंडे भी बर्ड फ्लू को प्रसरण कर सकते हैं।
H5N1 वायरस एक प्रजाति से दूसरी में फ़ैल सकता है और संक्रमित पक्षी से मनुष्यों को संक्रमित कर सकता है।मनुष्यों में H5N1 संक्रमण का पहला मामला वर्ष 1997 में हांगकांग में दर्ज किया गया था।अपने वर्तमान रूप में बर्ड फ्लू का मानव-से-मानव संक्रमण अभी तक ज्ञात नहीं है – केवल संक्रमित पक्षियों के सम्पर्क में आने वाले मनुष्यों में संक्रमण की जानकारी मिली है।
दक्षिण पूर्व एशियाई देशों की तुलना में, H5N1 वायरस द्वारा मनुष्यों के संक्रमित होने संभावना भारत में काफी कम है। इसका मुख्य कारण रसोई पकाने के तरीकों में भिन्नता है।H5N1 वायरस, 70 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान के संपर्क में आने पर तुरंत नष्ट हो जाता है।दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के विपरीत, भारत में मांस और अंडे दोनों को अच्छी तरह से पकाया जाता है, इस प्रक्रिया में ये खाद्य पदार्थ लगभग 100 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान के संपर्क में आते है।इस प्रकार मनुष्यों के चिकन और अंडे खाने से वायरस संक्रमण की संभावना अत्यंत कम होती है।