राष्ट्रीय समसामयिकी 2(28-Feb-2023)
वन रैंक-वन पेंशन
(One Rank-One Pension)

Posted on February 28th, 2023 | Create PDF File

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सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणियों के बाद रक्षा मंत्रालय ने रक्षा लेखा महानियंत्रक (Controller General Defence Accounts- CGDA) को वन रैंक-वन पेंशन (OROP) की संपूर्ण बकाया राशि एक ही किश्त में जारी करने का निर्देश दिया।

 

OROP का अर्थ सैन्य अधिकारियों को समान रैंक हेतु समान सेवा अवधि के लिये समान पेंशन का भुगतान करना है, भले ही उनकी सेवानिवृत्ति की तिथि कुछ भी हो।

 

OROP से पहले पूर्व सैनिकों को सेवानिवृत्ति के समय वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार पेंशन मिलती थी। उत्तर प्रदेश और पंजाब में OROP लाभार्थियों की संख्या सबसे अधिक है।

 

योजना का क्रियान्वयन भगत सिंह कोश्यारी की अध्यक्षता में गठित कोश्यारी समिति की संस्तुति पर आधारित था।

 

‘वन रैंक, वन पेंशन’ :

 

‘वन रैंक, वन पेंशन’ (OROP) का अर्थ है कि सेवानिवृत्त होने की तारीख से इतर समान सेवा अवधि और समान रैंक पर सेवानिवृत्त हो रहे सशस्त्र सैन्यकर्मियों को एक समान पेंशन दी जाएगी।

 

इस तरह से ‘वन रैंक, वन पेंशन’ (OROP) का मतलब आवधिक अंतरालों पर वर्तमान और पिछले सेवानिवृत्त सैन्यकर्मियों की पेंशन की दर के बीच के अंतर को कम करना है।

 

जबकि इससे पूर्व की व्यवस्था में जो सैनिक जितनी देरी से सेवानिवृत्त होता था, उसे पहले सेवानिवृत्त होने वाले सैनिकों की तुलना में अधिक पेंशन प्राप्त होती थी, क्योंकि सरकार द्वारा दी जाने वाली पेंशन कर्मचारी के अंतिम वेतन पर निर्भर करता है और समय-समय पर वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि होती रहती है।

 

इस तरह वर्ष 1995 में सेवानिवृत्त होने वाले एक लेफ्टिनेंट जनरल को वर्ष 2006 के बाद सेवानिवृत्त होने वाले एक कर्नल की तुलना में कम पेंशन प्राप्त होती थी।