राजव्यवस्था समसामियिकी 1 (10-Sept-2020)
लोकसभा उपाध्यक्ष (Deputy Speaker of Lok Sabha)

Posted on September 10th, 2020 | Create PDF File

hlhiuj

कांग्रेस ने लोकसभा में उपाध्यक्ष के पद के लिए अपने अभियान को फिर से शुरू किया है। ज्ञात हो कि, लोकसभा में पिछले 15 महीनों से उपाध्यक्ष का पद रिक्त है। इसके स्थान पर, सांसदों का एक पैनल लोकसभा अध्यक्ष के कार्य निर्वहन में सहायता कर रहा है।

 

संविधान के अनुच्छेद 93 में लोकसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, दोनों के निर्वाचन का प्रावधान किया गया है।लोकसभा उपाध्यक्ष का संवैधानिक पद वास्तविक प्राधिकरण की अपेक्षा संसदीय लोकतंत्र का प्रतीकात्मक पद होता है।किसी व्यक्ति के उपाध्यक्ष के रूप में चुने जाने पर निष्पक्ष रहना होता है, हालांकि उसे अपनी मूल राजनीतिक पार्टी से इस्तीफा देने की आवश्यकता नहीं होती है।

 

लोकसभा अध्यक्ष के, बीमारी के कारण अवकाश अथवा मृत्यु हो जाने पर या किसी कारण से अनुपस्थित होने पर, उपाध्यक्ष, पीठासीन अध्यक्ष के रूप में कार्यों का निर्वहन करता है।

 

आम चुनावों के बाद लोकसभा की पहली बैठक में लोकसभा के सदस्यों के मध्य से उपसभापति का चुनाव किया जाता है।संसद में बनी हुई परस्पर सहमति के अनुसार, उपाध्यक्ष का पद विपक्षी दल के किसी नेता को दिया जाता है।



लोकसभा अध्यक्ष की भांति, उपाध्यक्ष भी सदन के जीवनपर्यंत पद धारित करता है। हालंकि, वह निम्नलिखित तीन स्थितियों द्वारा अपना पद त्याग सकता है:उसके सदन के सदस्य न रहने पर;अध्यक्ष को संबोधित अपने हस्ताक्षर सहित त्यागपत्र द्वारा;लोकसभा के तत्कालीन समस्त सदस्यों के बहुमत से पारित संकल्प द्वारा पद से हटाये जाने पर। किंतु, इस प्रस्ताव को पारित करने से पूर्व उसे 14 दिन पहले सूचना देना अनिवार्य होता है।