अंतर्राष्ट्रीय समसामयिकी 1(4-May-2023)
विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2023
(World Press Freedom Index 2023)

Posted on May 4th, 2023 | Create PDF File

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विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस (World Press Freedom Day- WPFD) प्रतिवर्ष 3 मई को मनाया जाता है।

 

इस दिवस के उपलक्ष्य में रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF) द्वारा विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2023 प्रकाशित किया गया।

 

180 देशों के इस सूचकांक में 36.62 अंक के साथ भारत 161वें स्थान पर है, वर्ष 2022 में भारत का रैंक 150 था।

 

विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस :

 

वर्ष 1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा इस दिवस की घोषणा वर्ष 1991 में यूनेस्को के आम सम्मेलन की सिफारिश के बाद की गई थी।

 

यह दिवस वर्ष 1991 के विंडहोक घोषणा (यूनेस्को द्वारा अपनाया गया) को भी चिह्नित करता है।

 

प्रेस की स्वतंत्रता के महत्त्व, पत्रकारों के अधिकारों की रक्षा और स्वतंत्र, मुक्त मीडिया को प्रोत्साहित करने के महत्त्व के बारे में जन जागरूकता बढ़ाने के लिये इस दिवस का आयोजन किया जाता रहा है।

 

वर्ष 2023 की थीम : 

 

'शेपिंग ए फ्यूचर ऑफ राइट्स : फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन एज़ अ ड्राइवर फॉर ऑल अदर ह्यूमन राइट्स' ('Shaping a Future of Rights: Freedom of Expression as a Driver for All Other Human Rights')।

 

विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2023 :

 

रैंकिंग: 

 

शीर्ष तथा सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले देश: 

 

नॉर्वे, आयरलैंड और डेनमार्क सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले शीर्ष 3 देश हैं।

 

इस सूची में वियतनाम, चीन और उत्तर कोरिया सबसे निचले पायदान पर रहे।

 

भारत के पड़ोसी : 

 

श्रीलंका ने भी 2022 के 146वें की तुलना में इस वर्ष सूचकांक रैंकिंग में 135वें स्थान पर महत्त्वपूर्ण सुधार किया।

 

पाकिस्तान 150वें स्थान पर है।

 

तीन अन्य देशों- ताजिकिस्तान (1 स्थान नीचे 153वें पर), भारत (11 स्थान नीचे 161वें पर) और तुर्की (16 स्थान नीचे 165वें पर) में स्थिति 'समस्याप्रद' से 'काफी खराब' हो गई है।

 

भारत का प्रदर्शन विश्लेषण :

 

सूचकांक में भारत की स्थिति में वर्ष 2016 (जब यह 133वें स्थान पर था) के बाद से लगातार गिरावट आ रही है।

 

इस गिरावट का कारण पत्रकारों और राजनीतिक रूप से पक्षपाती मीडिया के खिलाफ बढ़ती हिंसा है।

 

दूसरी घटना जो सूचना के मुक्त प्रवाह को खतरनाक रूप से प्रतिबंधित करती है, वह है कुलीन वर्गों द्वारा मीडिया आउटलेट्स का अधिग्रहण, जो राजनेताओं के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखते हैं।

 

संगठन का दावा है कि भारत में कई पत्रकार अत्यधिक दबाव के कारण खुद को सेंसर करने के लिये मजबूर हैं।

 

विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक :

 

यह वर्ष 2002 से ‘रिपोर्टर्स सेन्स फ्रंटियर्स’ (RSF) या ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ द्वारा प्रत्येक वर्ष प्रकाशित किया जाता है। 

 

पेरिस में स्थित RSF संयुक्त राष्ट्र, यूनेस्को, यूरोपीय परिषद और फ्रैंकोफोनी के अंतर्राष्ट्रीय संगठन (International Organisation of the Francophonie- OIF) के परामर्शी स्थिति के साथ एक स्वतंत्र गैर-सरकारी संगठन है।

 

OIF, 54 फ्रेंच भाषी राष्ट्रों का एक समूह है।

 

सेंसरशिप, मीडिया स्वतंत्रता और पत्रकारों की सुरक्षा जैसे कारकों को ध्यान में रखते हुए रिपोर्ट में 180 देशों को उनके प्रेस की स्वतंत्रता के स्तर के आधार पर रैंक प्रदान किया गया है। हालाँकि यह पत्रकारिता की गुणवत्ता का संकेतक नहीं है।

 

स्कोरिंग मानदंड :

 

सूचकांक की रैंकिंग 0 से 100 तक के स्कोर पर आधारित होती है जो प्रत्येक देश या क्षेत्र को प्रदान की जाती है, जिसमें 100 सर्वश्रेष्ठ संभव स्कोर (प्रेस स्वतंत्रता का उच्चतम संभव स्तर) और 0 सबसे खराब स्तर को प्रदर्शित करता है।

 

मूल्यांकन मानदंड :

 

प्रत्येक देश या क्षेत्र के स्कोर का मूल्यांकन पाँच प्रासंगिक संकेतकों का उपयोग करके किया जाता है, जिनमें राजनीतिक संदर्भ, कानूनी ढँचा, आर्थिक संदर्भ, सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भ और सुरक्षा शामिल है।

 

भारत में प्रेस की स्वतंत्रता :

 

संविधान का अनुच्छेद 19 भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है, जो 'भाषण की स्वतंत्रता आदि के संबंध में कुछ अधिकारों के संरक्षण' से संबंधित है।

 

अनुच्छेद 19 (1) (a) : बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, प्रत्येक नागरिक को भाषण, लेखन, मुद्रण, चित्र या किसी अन्य तरीके से स्वतंत्र रूप से विचारों और विश्वासों को व्यक्त करने का अधिकार प्रदान करता है।

 

प्रेस की स्वतंत्रता भारतीय कानूनी प्रणाली द्वारा स्पष्ट रूप से संरक्षित नहीं है, लेकिन यह संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत संरक्षित है, जिसमें कहा गया है- "सभी नागरिकों को भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार होगा"।

 

वर्ष 1950 में सर्वोच्च न्यायालय ने रोमेश थापर बनाम मद्रास राज्य मामले में कहा कि प्रेस की स्वतंत्रता सभी लोकतांत्रिक संगठनों की नींव है।

 

हालाँकि प्रेस की स्वतंत्रता भी पूर्ण नहीं है। यह अनुच्छेद 19(2) के तहत कुछ प्रतिबंधों का सामना करती है, जो इस प्रकार हैं- 

 

भारत की संप्रभुता और अखंडता के महत्त्व से संबंधित मामले, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध, सार्वजनिक व्यवस्था, शालीनता या नैतिकता या अदालत की अवमानना, मानहानि या किसी अपराध के लिये उकसाने के संबंध में।