भौगोलिक समसामयिकी 2(2-May-2023)^हॉर्न ऑफ अफ्रीका में फ्लैश फ्लड^(Flash flood in the Horn of Africa)
Posted on May 2nd, 2023
मानवीय मामलों के समन्वय के लिये संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (United Nations Office for the Coordination of Humanitarian Affairs- UN-OCHA) और केन्या रेड क्रॉस जैसे संगठनों की रिपोर्ट केन्या, तंज़ानिया एवं हॉर्न ऑफ अफ्रीका के कुछ हिस्सों में फ्लैश फ्लड के गंभीर मामलों को दर्शाती है।
हॉर्न ऑफ अफ्रीका पूर्वोत्तर अफ्रीका में एक प्रायद्वीप है जिसमें सोमालिया, इथियोपिया, इरिट्रिया और ज़िबूती जैसे देश शामिल हैं।
यहाँ ऐसे समय में बाढ़ आई है जब हॉर्न ऑफ अफ्रीका के देश डायरिया, हैज़ा और खसरा सहित जलवायु संबंधी बीमारियों के प्रकोप से प्रभावित हैं।
तीव्र तथा भारी वर्षा जब मृदा और जल निकासी प्रणालियों की जल अवशोषित करने की क्षमता से अधिक हो जाती है, तो फ्लैश फ्लड की स्थिति उत्पन्न होती है।
फ्लैश फ्लड बुनियादी ढाँचे, फसलों, पशुधन तथा मानव जीवन को व्यापक स्तर पर नुकसान पहुँचा सकती है।
इन घटनाओं की एक चरम सीमा होती है जो सामान्यतः वर्षण के छह घंटे के भीतर होती है।
वर्षा की तीव्रता एवं वितरण, भूमि उपयोग, स्थलाकृति, वनस्पति, मृदा के प्रकार तथा जल की मात्रा आदि सभी फ्लैश फ्लड की गति व स्थान को प्रभावित करते हैं।
फ्लैश फ्लड के प्रभाव को कम करने हेतु घाटियों में रहने के बजाय मज़बूत धरातल वाले ढलान के क्षेत्रों में रहना आवश्यक है।
भौगोलिक समसामयिकी 2(2-May-2023)हॉर्न ऑफ अफ्रीका में फ्लैश फ्लड(Flash flood in the Horn of Africa)
मानवीय मामलों के समन्वय के लिये संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (United Nations Office for the Coordination of Humanitarian Affairs- UN-OCHA) और केन्या रेड क्रॉस जैसे संगठनों की रिपोर्ट केन्या, तंज़ानिया एवं हॉर्न ऑफ अफ्रीका के कुछ हिस्सों में फ्लैश फ्लड के गंभीर मामलों को दर्शाती है।
हॉर्न ऑफ अफ्रीका पूर्वोत्तर अफ्रीका में एक प्रायद्वीप है जिसमें सोमालिया, इथियोपिया, इरिट्रिया और ज़िबूती जैसे देश शामिल हैं।
यहाँ ऐसे समय में बाढ़ आई है जब हॉर्न ऑफ अफ्रीका के देश डायरिया, हैज़ा और खसरा सहित जलवायु संबंधी बीमारियों के प्रकोप से प्रभावित हैं।
तीव्र तथा भारी वर्षा जब मृदा और जल निकासी प्रणालियों की जल अवशोषित करने की क्षमता से अधिक हो जाती है, तो फ्लैश फ्लड की स्थिति उत्पन्न होती है।
फ्लैश फ्लड बुनियादी ढाँचे, फसलों, पशुधन तथा मानव जीवन को व्यापक स्तर पर नुकसान पहुँचा सकती है।
इन घटनाओं की एक चरम सीमा होती है जो सामान्यतः वर्षण के छह घंटे के भीतर होती है।
वर्षा की तीव्रता एवं वितरण, भूमि उपयोग, स्थलाकृति, वनस्पति, मृदा के प्रकार तथा जल की मात्रा आदि सभी फ्लैश फ्लड की गति व स्थान को प्रभावित करते हैं।
फ्लैश फ्लड के प्रभाव को कम करने हेतु घाटियों में रहने के बजाय मज़बूत धरातल वाले ढलान के क्षेत्रों में रहना आवश्यक है।