कला एवं संस्कृति समसामयिकी 1(3-May-2023)
बिहान मेला
(Bihan Mela)

Posted on May 3rd, 2023 | Create PDF File

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बिहान मेला ओडिशा में कोंध जनजाति द्वारा मनाया जाने वाला बीज उत्सव है।

 

किसानों द्वारा खरीफ फसलों, जिसमें धान, बाजरा, मक्का और ज्वार की संकर तथा देशी किस्में शामिल हैं, की कटाई के साथ ही इस उत्सव की तैयारी शुरू हो जाती है।

 

महिलाएँ इस त्योहार का संचालन करती हैं एवं सावधानी पूर्वक स्वदेशी किस्मों के बीजों को इकट्ठा कर उन्हें मिट्टी के बर्तनों में जमा करती हैं।

 

इसके बाद दिसंबर में एक निर्दिष्ट दिन वे इन बर्तनों को लाल और सफेद रूपांकनों से सजाकर एक बाँस की टोकरी में रखती हैं तथा इसे सिर पर रखकर उस गाँव में ले जाती हैं जहाँ मेले का आयोजन किया जाना है।

 

इस दौरान ढोल और अन्य पारंपरिक वाद्य यंत्र बजाते हुए पुरुष भी शामिल होते हैं।

 

हरित क्रांति के बाद क्षेत्र के किसानों ने देशी फसलों और किस्मों को उगाना छोड़ दिया है जो स्वाभाविक रूप से कीटों के लिये प्रतिरोधी हैं तथा क्षेत्र की जलवायु के लिये अनुकूल हैं, इस प्रकार किसानों को मिश्रित फसल जैसी खेती के अपने पारंपरिक तरीकों पर लौटने में मदद करने हेतु बीज उत्सव की शुरुआत की गई थी।

 

स्वदेशी बीजों तक पहुँच को आसान बनाने के लिये एक बीज बैंक की भी स्थापना की गई है जो एक साधारण सिद्धांत पर काम करता है: कोंध जनजातीय गाँवों से स्वदेशी बीजों को इकट्ठा और संरक्षित करना तथा उन्हें किसानों को उधार स्वरूप उपलब्ध कराना।

 

यह बैंक सभी कोंध किसानों को सेवा प्रदान करता है।

 

कोंध (अनुसूचित जनजाति) ओडिशा राज्य का सबसे बड़ा जनजातीय समूह है।

 

यह समूह प्रकृति के साथ सद्भाव पर केंद्रित अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, साहसी मार्शल परंपराओं और स्वदेशी मूल्यों के लिये जाना जाता है।

 

कोंध लोग कुई भाषा (Kui Language) बोलते हैं, यह उड़िया लिपि में लिखी जाती है।