नीतिशास्त्र का समाजशास्त्र से क्या सम्बन्ध है?(what is the relation between ethics and sociology?)

Posted on March 17th, 2020 | Create PDF File

नीतिशास्त्र समाजशास्त्र से भी संबद्ध है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। उसका सभी-क्रिया व्यवहार समाज में ही अभिव्यक्ति होते हैं। समाजशास्त्र मानवीय समाज का अध्ययन करता हैं विभिन्‍न समाज में मनुष्य के क्रिया-व्यवहार भिन्‍न-भिन्‍न होते है। समाजशास्त्र विभिन्‍न समाजों का अध्ययन करते हुए इस प्रश्न के उत्तर को खोजने का प्रयास करता है कि मानवीय क्रिया व्यवहार का सामाजिक पक्ष क्‍या है। अर्थात्‌ व्यक्ति और समाज के मध्य संबंध कैसे निर्धारित होते हैं। मानवीय व्यवहार को प्रभावित करने के सामाजिक तत्व कौन से हैं या मनुष्य अपने क्रिया व्यवहारों से समाज को कैसे प्रभावित करता है। अर्थात्‌ समाजशास्त्र का मुख्य विषय व्यक्ति और समाज के मध्य संबंध है।

 

नीतिशास्त्र भी मानवीय क्रिया व्यवहारों का अध्ययन करता है जो समाज में व्यक्त होते हैं। समाज से इतर किसी मनुष्य के क्रिया व्यवहार का अध्ययन न तो अपेक्षित है न ही प्रासंगिक। अर्थात्‌ नीतिशास्त्र भी समस्त क्रियाव्यवहारों का अध्ययन समाज के अंतर्गत ही करता है। लेकिन दोनों विधाओं का दृष्टिकोण भिन्‍न है। समाजशास्त्र मानवीय व्यवहार का समाजशास्त्रीय अध्यन करता है। अर्थात्‌ सामाजिक पक्ष पर जोर होता है जबकि वैयक्तिक पक्ष की उपेक्षा होती है। दूसरी तरफ नीतिशास्त्र मानव व्यवहार के वैयक्तिक पक्ष पर जोर देता है जबकि सामाजिक पक्ष केवल संदर्भ के लिए होता है। अतः कहा जा सकता है कि एक समाज का अध्ययन है और दूसरा व्यक्ति का। एक मानवीय समाज का अध्ययन है दूसरा मनुष्य का।

 

दोनों विषयों के स्वरूप में दूसरा अन्तर भी स्पष्ट है। समाजशास्त्री समाज में मानवीय क्रियाव्यवहारों का केवल तथ्यात्मक अध्ययन करता है। यह अपनी तरफ से उसमें कुछ जोड़ता नहीं, बल्कि उन सिद्धान्तों को जानने का प्रयास करता है, जिसमें मानवीय व्यवहार एवं समाज एक-दूसरे को प्रभावित एवं निर्धारित करते हैं जबकि नीतिशास्त्र मानव व्यवहार से संबंधित किसी सिद्धान्त की खोज का प्रयास नहीं करता, बल्कि यह तो मानव व्यवहार को कुछ मानक, निर्धारक या आदर्श प्रस्तुत करने का प्रयत्न करता है। समाजशास्त्र को कला की श्रेणी में रखा गया है। जिसके दो मुख्य कारण है-(3) इसकी विषयवस्तु पूर्णतः तथ्यात्मक है। (2) समाजशास्त्र यह स्वीकार करता है कि मानव व्यवहार को प्रभावित एवं परिवर्तित किया जा सकता है।नीतिशास्त्र का स्वरूप तथ्यात्मक नहीं है। साथ ही साथ नीतिशास्त्र मानव व्यवहार के आदर्शो की बौद्धिक गवेषणा है। अर्थात्‌ यह कुछ आदर्शों को परिभाषित करने का प्रयास करता है। लेकिन उन आदर्शों को स्वीकार या अस्वीकार करना मनुष्य के स्वतंत्र निर्णय का विषय होता है।