मानवीय मूल्य क्या है ? (What is human value?)

Posted on March 18th, 2020 | Create PDF File

मूल्य और कीमत में अन्तर होता है। किसी वस्तु या कार्य की कीमत बाजार की स्थिति से निर्धारित होती है। इसमें मांग एवं पूर्ति का सिद्धान्त,कच्चे माल की कीमत, प्रसंस्करण और बाजार की नीति आदि सभी सम्मिलित होते हैं।कीमत वस्तुतः अर्थशास्त्रीय अवधारणा है लेकिन मूल्य नीति मीमांसीय अवधारणा हैं। किसी वस्तु या कार्य का मूल्य उससे होने वाले परिणाम, कार्यसिद्ध या उसके मूल में निहित आदि भावना से निर्धारित होता है। प्रायः किसी वस्तु या कार्य का मूल्य उसकी कीमत से भिन्‍न होता है। कभी-कभी यह मूल्य कीमत से कहीं अधिक और कभी-कभी कीमत की अपेक्षा अत्यधिक न्यून होता है।

 

मूल्य दो प्रकार के होते हैं। कुछ मूल्य स्वतः साध्य होते हैं। अर्थात्‌ यह अपने आप में ही मूल्य होते हैं इनकी कीमतों को मुद्रा में आंकना संभव नहीं होता। कुछ मूल्य 'साधन मूल्य' होते हैं अर्थात्‌ ये इसलिए मूल्यपूर्ण होते हैं क्योंकि इनसे किसी लक्ष्य की सिद्धि होती है। नीतिशास्त्र में दोनों प्रकार के मूल्यों की व्याख्या होती है।

 

मनुष्य के समक्ष सदैव कुछ वस्तुएं या कार्य महत्वपूर्ण होते हैं। मनुष्य की कुछ आवश्यकताएं होती है। जिन्हें वह विभिन्न साधनों से पूरा करता है। ये साधन ही मूल्य बन जाते हैं जिन्हें मानवीय मूल्य की संज्ञा दी जाती है। मानवीय मूल्यों को अनेक वर्गों में वगीकृत किया गया है। जैसे शारीरिक मूल्य, बौद्धिक मूल्य, नैतिक मूल्य एवं आर्थिक मूल्य आदि ।