नीतिशास्त्र (Ethics) ग्रीक शब्द (Ethica) से व्युत्पन्न है, जिसका शाब्दिक अर्थ रीति-रिवाज होता है।Ethica शब्द की व्युत्पत्ति Ethos शब्द से हुई है, जो Ethica के ही समान रीति-रिवाज के अर्थ में प्रयुक्त होता है। नीतिशास्त्र (Ethics) को नैतिक चिंतन (Moral philosophy) भी कहा जाता है। Moral शब्द Mores से व्युत्पन्न है, इसका भी शाब्दिक अर्थ रीति-रिवाज या लोक-व्यवहारहै।
नीतिशास्त्र (Ethics) अध्ययन की वह विधा है जो किसी भी मानव समाज के लोक व्यवहार या रीति-रिवाज का अध्ययन करती है। समाज के रीति-रिवाज या लोक-व्यवहार प्रायः सामाजिक परंपराओं पर निर्भर होते हैं इसीलिए हयूमन जैसे दार्शनिक नीतिशास्त्र को सामाजिक परंपराओं के अध्ययन एवं मूल्यांकन के रूप में परिभाषित करते हैं।
वस्तुतः जब हम विभिन्न समाजों का अध्ययन करते हैं तो यह परिलक्षित होता है कि भिन्न-भिन्न समाजों की लोक पंरपराएं एवं रीति-रिवाज भिन्न-भिन्न होते हैं तथा किसी समाज विशेष की परंपराएं भी समय के अनुरूप बदलती रहती हैं। अनेक दार्शनिकों ने इस विषय को समझने का प्रयास किया है कि किसी समाज की लोक परंपराएं या रीति-रिवाज वास्तव में कैसे निर्मित होते हैं। इस संदर्भ में नीति-शास्त्र का संबंध इतिहास, संस्कृति एवं राजनीति विज्ञान से भी जुड़ जाता है। यद्यपि नीति-शास्त्र का मुख्य विषय मानव-व्यवहार है। मानव-व्यवहार को निर्धारित करने के मुख्य तत्व हैं-किसी कार्य को करने का कारण, उद्देश्य, लक्ष्य तथा उपस्थित विकल्पों में से चयन।
नीतिशास्त्र (Ethics) ग्रीक शब्द (Ethica) से व्युत्पन्न है, जिसका शाब्दिक अर्थ रीति-रिवाज होता है।Ethica शब्द की व्युत्पत्ति Ethos शब्द से हुई है, जो Ethica के ही समान रीति-रिवाज के अर्थ में प्रयुक्त होता है। नीतिशास्त्र (Ethics) को नैतिक चिंतन (Moral philosophy) भी कहा जाता है। Moral शब्द Mores से व्युत्पन्न है, इसका भी शाब्दिक अर्थ रीति-रिवाज या लोक-व्यवहारहै।
नीतिशास्त्र (Ethics) अध्ययन की वह विधा है जो किसी भी मानव समाज के लोक व्यवहार या रीति-रिवाज का अध्ययन करती है। समाज के रीति-रिवाज या लोक-व्यवहार प्रायः सामाजिक परंपराओं पर निर्भर होते हैं इसीलिए हयूमन जैसे दार्शनिक नीतिशास्त्र को सामाजिक परंपराओं के अध्ययन एवं मूल्यांकन के रूप में परिभाषित करते हैं।
वस्तुतः जब हम विभिन्न समाजों का अध्ययन करते हैं तो यह परिलक्षित होता है कि भिन्न-भिन्न समाजों की लोक पंरपराएं एवं रीति-रिवाज भिन्न-भिन्न होते हैं तथा किसी समाज विशेष की परंपराएं भी समय के अनुरूप बदलती रहती हैं। अनेक दार्शनिकों ने इस विषय को समझने का प्रयास किया है कि किसी समाज की लोक परंपराएं या रीति-रिवाज वास्तव में कैसे निर्मित होते हैं। इस संदर्भ में नीति-शास्त्र का संबंध इतिहास, संस्कृति एवं राजनीति विज्ञान से भी जुड़ जाता है। यद्यपि नीति-शास्त्र का मुख्य विषय मानव-व्यवहार है। मानव-व्यवहार को निर्धारित करने के मुख्य तत्व हैं-किसी कार्य को करने का कारण, उद्देश्य, लक्ष्य तथा उपस्थित विकल्पों में से चयन।