राजाराम मोहन राय - एक समाज सुधारक (Rajaram Mohan Roy - A Social Reformer)
Posted on March 27th, 2020
राजाराम मोहन राय (Rajaram Mohan Rai)
भारत में समाज सुधार का प्रारम्भ राजा राममोहन राय से स्वीकार किया जाता है।राजा राममोहन राय ने अंग्रेजी शिक्षा प्राप्त की। उन्हें भारत में पाश्चात्य शिक्षा के प्रचार-प्रसार का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने पाश्चात्य शिक्षा के लिए अनेक विद्यालयों एवं महाविद्यालयों की स्थापना में योगदान दिया।
राजा राममोहन राय ने भारतीय समाज की विसंगतियों को दूर करने के लिए ब्रह्म समाज की स्थापना की। वे एकेश्वरवादी थे। धार्मिक विवादों को सुलझाने के लिए उन्होंने एकेश्वरवाद को अपनाया। राजा राममोहन राय सांसारिक समस्याओं के समाधान में विश्वास करते थे। वे इसके लिए धर्म या ईश्वर पर निर्भर रहने के विरोधी थे। इस प्रकार उन्होंने भारत में एक नवीन वैचारिक क्रांति का शुमारम्भ किया।
राजा राममोहन राय ने विलियम बेंटिक के साथ सतत् संवाद एवं सहयोग से सती प्रथा उन्मूलन का कानून पास कराने में सफलता प्राप्त की जो भारतीय समाज सुधार में प्रथम क्रांतिकारी कदम था। राजा राममोहन राय भारत को विश्व के अन्य भागों से जोड़कर देखने का प्रयास करते थ। वे भारतीय धार्मिक मान्यताओं में बंधे हुए नहीं थे। बल्कि उनका चिंतन बुद्धिजीवी एवं आधुनिकतावादी था। आधुनिकतावाद के प्रचार-प्रसार के लिए उन्होंने जीवनभर अथक प्रयास किया।
राजाराम मोहन राय - एक समाज सुधारक (Rajaram Mohan Roy - A Social Reformer)
भारत में समाज सुधार का प्रारम्भ राजा राममोहन राय से स्वीकार किया जाता है।राजा राममोहन राय ने अंग्रेजी शिक्षा प्राप्त की। उन्हें भारत में पाश्चात्य शिक्षा के प्रचार-प्रसार का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने पाश्चात्य शिक्षा के लिए अनेक विद्यालयों एवं महाविद्यालयों की स्थापना में योगदान दिया।
राजा राममोहन राय ने भारतीय समाज की विसंगतियों को दूर करने के लिए ब्रह्म समाज की स्थापना की। वे एकेश्वरवादी थे। धार्मिक विवादों को सुलझाने के लिए उन्होंने एकेश्वरवाद को अपनाया। राजा राममोहन राय सांसारिक समस्याओं के समाधान में विश्वास करते थे। वे इसके लिए धर्म या ईश्वर पर निर्भर रहने के विरोधी थे। इस प्रकार उन्होंने भारत में एक नवीन वैचारिक क्रांति का शुमारम्भ किया।
राजा राममोहन राय ने विलियम बेंटिक के साथ सतत् संवाद एवं सहयोग से सती प्रथा उन्मूलन का कानून पास कराने में सफलता प्राप्त की जो भारतीय समाज सुधार में प्रथम क्रांतिकारी कदम था। राजा राममोहन राय भारत को विश्व के अन्य भागों से जोड़कर देखने का प्रयास करते थ। वे भारतीय धार्मिक मान्यताओं में बंधे हुए नहीं थे। बल्कि उनका चिंतन बुद्धिजीवी एवं आधुनिकतावादी था। आधुनिकतावाद के प्रचार-प्रसार के लिए उन्होंने जीवनभर अथक प्रयास किया।