विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी समसामयिकी 2 (3-June-2021)
‘स्वास्तिक’ तकनीक
('swastika' technique)

Posted on June 3rd, 2021 | Create PDF File

hlhiuj

हाल ही में पुणे स्थित CSIR-राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला (CSIR-NCL) द्वारा प्राकृतिक तेलों का उपयोग कर जल को कीटाणु रहित करने के लिये एक नई तकनीक विकसित की गई है।

 

शोधकर्त्ताओं द्वारा ‘स्वास्तिक’ नामक एक महत्त्वपूर्ण हाइब्रिड तकनीक विकसित की गई है, जिसके तहत दबाव में कमी करके तरल पदार्थ (जैसे-जल) को उबाला जाता है और साथ ही इसमें रोगाणुरोधी गुणों वाले प्राकृतिक तेलों का भी उपयोग किया जाता है।

 

यह तकनीक एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी उपभेदों सहित सभी प्रकार के हानिकारक बैक्टीरिया को खत्म करने में सक्षम है।

 

यह न केवल जल के पूर्ण कीटाणुशोधन के लिये आयुर्वेद के भारतीय पारंपरिक ज्ञान को एकीकृत करती है, बल्कि प्राकृतिक तेलों का संभावित स्वास्थ्य लाभ गुण भी प्रदान करती है।

 

जल को कीटाणु रहित करने के लिये रोगजनक सूक्ष्मजीवों को हटाना काफी आवश्यक होता है, जो कई जल-जनित रोगों के लिये उत्तरदायी हैं।

 

हालाँकि कीटाणुशोधन के रासायनिक तरीकों, जैसे- क्लोरीनीकरण आदि के कारण प्रायः हानिकारक या कार्सिनोजेनिक उपभेदों का निर्माण होता है, जो कि उपयोग की दृष्टि से हानिकारक हो सकता है।

 

सुरक्षित पेयजल के महत्त्व को देखते हुए ‘जल जीवन मिशन’ (JJM) के तहत सरकार का लक्ष्य वर्ष 2024 तक सभी ग्रामीण घरों में कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शन या ‘हर घर जल’ सुनिश्चित करना है।

 

15 अगस्त, 2019 को ‘जल जीवन मिशन’ की घोषणा के बाद से चार करोड़ घरों को नल के पानी के कनेक्शन उपलब्ध कराए गए हैं।