राष्ट्रीय समसामयिकी 1(24-July-2023)
कच्छ के छोटे रण के साल्टपैन श्रमिक
(Saltpan workers of the Little Rann of Kutch)

Posted on July 27th, 2023 | Create PDF File

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18 जुलाई, 2023 को साल्टपैन श्रमिकों (आमतौर पर अगरिया के रूप में जाना जाता है) ने गुजरात के मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन सौंपा था।

 

इसमें साल्टपैन श्रमिकों ने वन विभाग के निर्देशों के जवाब में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है क्योंकि उन्होंने कच्छ के छोटे रण में उनके प्रवेश को प्रतिबंधित कर दिया था।

 

वन विभाग का आदेश :

 

कच्छ के छोटे रण को वर्ष 1972 में जंगली गधा अभयारण्य घोषित किया गया।

 

वर्ष 1997 में आवासीय बस्ती सर्वेक्षण आयोजित किया गया था जिसमें नमक की खेती और साल्टपैन श्रमिकों को भूमि पट्टे पर देने की अनुमति दी गई थी। इसके साथ पारंपरिक अगरिया को बंदोबस्त सर्वेक्षण के लाभ से बाहर रखा गया था।

 

कानूनी निहितार्थ :  

 

वर्ष 1997 के आवासीय बस्ती सर्वेक्षण की जाँच गुजरात उच्च न्यायालय और भूमि-अवैध गतिविधियों के समाधान में शामिल राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण द्वारा की जा रही है।

 

अपने बचाव में अगरिया लोगों द्वारा प्रस्तुत तर्क : 

 

जंगली गधों की जनसंख्या वृद्धि बनाम मानव-पशु संघर्ष: जनगणना के आंँकड़ों से पता चलता है कि क्षेत्र में जंगली गधों की आबादी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो वर्ष 1973 के 700 से बढ़कर वर्ष 2019 में 6,082 हो गई है।

 

जनगणना के आंँकड़ों के अनुसार साल्टपैन श्रमिकों के काम के कारण जंगली गधा अभयारण्य में मानव-पशु संघर्ष की संभावना से इनकार किया गया है।

 

साल्टपैन श्रमिकों का भूमि उपयोग: कच्छ के छोटे रण में नमक की खेती के लिये साल्टपैन श्रमिक कुल भूमि क्षेत्र का केवल 6% का उपयोग करते हैं, जो मात्रा और स्थान दोनों में नगण्य है।

 

अनुचित सर्वेक्षण के विरुद्ध चिंताएँ: 100-125 गाँवों में से 16 में आयोजित बैठकों में वन विभाग के अधिकारियों ने अगरिया (साल्टपैन श्रमिक) लोगों के 8000 परिवारों में से 95% के नाम हटा दिये।

 

बंदोबस्त सर्वेक्षण रिपोर्ट में सूचीबद्ध अधिकांश अगरिया जीवित नहीं हैं। 

 

साल्टपैन श्रमिक :  

 

उत्तरी गुजरात, कच्छ और सौराष्ट्र क्षेत्रों में कच्छ के छोटे रण के आसपास 100-125 गाँवों में रहने वाले कोली, सांधी और मियाना समुदाय नमक निर्माण पर निर्भर हैं, जिन्हें साल्टपैन श्रमिक कहा जाता है।

 

ये ब्रिटिश शासन काल यानी 600-700 वर्षों से इस पेशे में कार्यरत हैं।

 

जंगली गधा अभयारण्य :

 

यह भारत में गुजरात राज्य में कच्छ के छोटे रण में स्थित है।

 

यह एकमात्र स्थान है जहाँ भारतीय जंगली गधा, जिसे स्थानीय भाषा में खच्चर कहा जाता है, पाया जाता है।

 

यह अभयारण्य रेबारी और भरवाड जनजातियों की एक बड़ी आबादी का आवास स्थान है।

 

भारतीय जंगली गधा :

 

यह एशियाई जंगली गधे यानी इक्वस हेमिओनस (Equus hemionus) की एक उप-प्रजाति है।

 

इसकी विशेषता पूँछ के अगले हिस्से और कंधे के पिछले हिस्से पर विशिष्ट सफेद निशान तथा पीठ के नीचे एक धारी है जो सफेद रंग की होती है।

 

वितरण :

 

विश्व में भारतीय जंगली गधों की आखिरी आबादी कच्छ के रण, गुजरात तक ही सीमित है।

 

प्राकृतिक आवास :

 

रेगिस्तान और घास के मैदान पारिस्थितिकी तंत्र। 

 

संरक्षण की स्थिति : 

 

IUCN : संकटापन्न (Near Threatened)  

 

CITES : परिशिष्ट II

 

वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (1972) : अनुसूची-I