व्यक्ति विशेष समसामयिकी 1(24-July-2023)^प्रतिहार शासक मिहिर भोज^(Pratihara ruler Mihir Bhoj)
Posted on July 27th, 2023
हरियाणा के कैथल ज़िले में 9वीं सदी के शासक सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा के अनावरण को लेकर उठे विवाद के कारण राजपूत समुदाय ने बड़े पैमाने पर बहिष्कार किया है।
मिहिर भोज या भोज प्रथम (836 - 885 ई.) प्रतिहार वंश का सबसे महान शासक था।
मिहिर भोज ने कन्नौज को अपनी राजधानी बनाया था। वह विष्णु का भक्त था, इसलिये विष्णु के सम्मान में उसने वराह तथा प्रभास जैसी उपाधियाँ धारण की थीं।
गौरतलब है कि राजा मिहिरभोज को लेकर गुर्जर एवं राजपूत समाज के मध्य उन्हें अपना पूर्वज मानने संबंधी विवाद है। मिहिरभोज के गुर्जर या राजपूत होने के संदर्भ में उपलब्ध ऐतिहासिक स्रोतों में अरब यात्री सुलेमान का यात्रा वृत्तांत महत्त्वपूर्ण है। इसमें मिहिरभोज को जुज्र अर्थात् गुर्जर बताया गया है।
उल्लेखनीय है कि मिहिरभोज 9वीं शताब्दी में गुर्जर प्रतिहार वंश के शासक थे, जिनका साम्राज्य मुल्तान से बंगाल तक एवं कश्मीर से उत्तर महाराष्ट्र तक विस्तृत था।
मिहिरभोज ने अपनी राजधानी कन्नौज बनाई थी। ये विष्णुभक्त थे, अत: विष्णु के सम्मान में वाराह एवं प्रभास जैसी उपाधियाँ धारण की थी।
मिहिरभोज की उपलब्धियों का वर्णन उनके ग्वालियर प्रशस्ति अभिलेख में किया गया है।
व्यक्ति विशेष समसामयिकी 1(24-July-2023)प्रतिहार शासक मिहिर भोज(Pratihara ruler Mihir Bhoj)
हरियाणा के कैथल ज़िले में 9वीं सदी के शासक सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा के अनावरण को लेकर उठे विवाद के कारण राजपूत समुदाय ने बड़े पैमाने पर बहिष्कार किया है।
मिहिर भोज या भोज प्रथम (836 - 885 ई.) प्रतिहार वंश का सबसे महान शासक था।
मिहिर भोज ने कन्नौज को अपनी राजधानी बनाया था। वह विष्णु का भक्त था, इसलिये विष्णु के सम्मान में उसने वराह तथा प्रभास जैसी उपाधियाँ धारण की थीं।
गौरतलब है कि राजा मिहिरभोज को लेकर गुर्जर एवं राजपूत समाज के मध्य उन्हें अपना पूर्वज मानने संबंधी विवाद है। मिहिरभोज के गुर्जर या राजपूत होने के संदर्भ में उपलब्ध ऐतिहासिक स्रोतों में अरब यात्री सुलेमान का यात्रा वृत्तांत महत्त्वपूर्ण है। इसमें मिहिरभोज को जुज्र अर्थात् गुर्जर बताया गया है।
उल्लेखनीय है कि मिहिरभोज 9वीं शताब्दी में गुर्जर प्रतिहार वंश के शासक थे, जिनका साम्राज्य मुल्तान से बंगाल तक एवं कश्मीर से उत्तर महाराष्ट्र तक विस्तृत था।
मिहिरभोज ने अपनी राजधानी कन्नौज बनाई थी। ये विष्णुभक्त थे, अत: विष्णु के सम्मान में वाराह एवं प्रभास जैसी उपाधियाँ धारण की थी।
मिहिरभोज की उपलब्धियों का वर्णन उनके ग्वालियर प्रशस्ति अभिलेख में किया गया है।