कला एवं संस्कृति समसामयिकी 1(21-Sept-2022)
पोन्नियन सेल्वन
(Ponnian Selvan)

Posted on September 21st, 2022 | Create PDF File

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प्रसिद्ध तमिल उपन्यास ‘पोन्नियिन सेलवन’ (Ponniyan Selvan) की चिरस्थायी लोकप्रियता को अब मणिरत्नम द्वारा बड़े पर्दे पर रूपांतरित किया गया है।

 

पोन्नियन सेलवन का अर्थ है पोन्नी (कावेरी नदी) का पुत्र।

 

यह उपन्यास लेखक और स्वतंत्रता सेनानी ‘कल्कि कृष्णमूर्ति’ द्वारा लिखा गया था, और तमिल पत्रिका ‘कल्कि’ में साप्ताहिक धारावाहिक रूप में 1950-54 से प्रकशित किया गया था।

 

बाद में इसे 1955 में एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया गया था।

 

इस उपन्यास में ‘राजराजा प्रथम’ के शुरुआती दिनों की कहानी का वर्णन है।

 

अरुणमोझी वर्मन के नाम से जन्मे ‘राजराजा प्रथम’ (Rajaraja I) को सभी चोल शासकों में सबसे महान माना जाता है।

 

राजराजा प्रथम (985-1014 .) :

 

राजराजा प्रथम, चोल राजाओं में सबसे प्रसिद्ध है।

 

इन्होने कई नौसैनिक अभियानों का नेतृत्व किया और पश्चिमी तट के समीप स्थित ‘श्रीलंका’ और हिंद महासागर में ‘मालदीव’ पर विजय प्राप्त की।

 

‘कंदनूर सलाई’ के युद्ध में राजराजा प्रथम ने ‘चेरों’ को पराजित किया।

 

राजराजा प्रथम अपने पश्चिमी और पूर्वी चालुक्यों के खिलाफ अभियान में भी सफल रहा, और उन्होंने चालुक्यों को पराजित कर ‘वेंगी’ के सिंहासन पर शक्तिवर्मा को बिठाया।

 

उसने कावेरी नदी पर एक बांध का निर्माण किया।

 

वह शैववाद के कट्टर अनुयायी था।

 

उन्होंने 1010 ईस्वी में तंजौर में प्रसिद्ध राजराजेश्वर मंदिर या बृहदेश्वर मंदिर का निर्माण पूरा किया।

 

उपाधियाँ : राजराजा प्रथम ने मुम्मिदी चोल (Mummidi Chola), जयनकोंडा और शिवपदाशेखर की उपाधियाँ धारण की।

 

उसने अपने पुत्र ‘राजेंद्र चोल’ के लिए अपना सिंहासन त्याग दिया।