राष्ट्रीय समसामयिकी 2(30-Jan-2023)^'अमृत उद्यान'^('Amrit Udyan')
Posted on January 30th, 2023
आज़ादी के अमृत महोत्सव की थीम को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने हाल ही में राष्ट्रपति भवन के मुगल गार्डन का नाम बदलकर 'अमृत उद्यान' कर दिया है।
मुगल गार्डन अथवा अब, अमृत उद्यान, जम्मू और कश्मीर के मुगल गार्डन, ताजमहल के आसपास के बगीचों तथा भारत एवं फारस के लघु चित्रों से प्रेरित है।
वर्ष 1917 में बागबानी के निदेशक विलियम मस्टो के सहयोग से सर एडविन लुटियंस द्वारा मुगल गार्डन के डिज़ाइन को अंतिम रूप दिया गया था।
इन उद्यानों को आधिकारिक तौर पर मुगल गार्डन का नाम नहीं दिया गया था, बल्कि यह वास्तुकला की शैली जैसे- फारसी उद्यानों, विशेष रूप से चारबाग शैली से प्रभावित होने के कारण मुगल गार्डन के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भारत और पाकिस्तान में कई मुगल उद्यान हैं।
मुगल बागों/उद्यानों की काफी सराहना करने के लिये जाने जाते थे, बाबरनामा में बाबर के पसंदीदा प्रकार के फारसी चारबाग शैली के बगीचे का उल्लेख है, जो इस प्रकार था मानो यह पृथ्वी पर एक कल्पना लोक हो, मानो जन्नत जैसा।
राष्ट्रीय समसामयिकी 2(30-Jan-2023)'अमृत उद्यान'('Amrit Udyan')
आज़ादी के अमृत महोत्सव की थीम को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने हाल ही में राष्ट्रपति भवन के मुगल गार्डन का नाम बदलकर 'अमृत उद्यान' कर दिया है।
मुगल गार्डन अथवा अब, अमृत उद्यान, जम्मू और कश्मीर के मुगल गार्डन, ताजमहल के आसपास के बगीचों तथा भारत एवं फारस के लघु चित्रों से प्रेरित है।
वर्ष 1917 में बागबानी के निदेशक विलियम मस्टो के सहयोग से सर एडविन लुटियंस द्वारा मुगल गार्डन के डिज़ाइन को अंतिम रूप दिया गया था।
इन उद्यानों को आधिकारिक तौर पर मुगल गार्डन का नाम नहीं दिया गया था, बल्कि यह वास्तुकला की शैली जैसे- फारसी उद्यानों, विशेष रूप से चारबाग शैली से प्रभावित होने के कारण मुगल गार्डन के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भारत और पाकिस्तान में कई मुगल उद्यान हैं।
मुगल बागों/उद्यानों की काफी सराहना करने के लिये जाने जाते थे, बाबरनामा में बाबर के पसंदीदा प्रकार के फारसी चारबाग शैली के बगीचे का उल्लेख है, जो इस प्रकार था मानो यह पृथ्वी पर एक कल्पना लोक हो, मानो जन्नत जैसा।