कला एवं संस्कृति समसामयिकी 2(28-Jan-2023)एटिकोप्पका शिल्प कला(Atikoppaka Crafts)
Posted on January 29th, 2023 | Create PDF File
एटिकोप्पका खिलौना शिल्पकार सी.वी. राजू आंध्र प्रदेश के उन सात व्यक्तियों में से एक हैं जिन्हें इस वर्ष के पद्म पुरस्कार के लिये चुना गया है।
पद्मश्री पुरस्कार हेतु चुने जाने के लिये सी. वी. राजू का मानना है कि यह सम्मान एटिकोप्पका शिल्प कला को दिया गया है, उनका उद्देश्य शिल्प को बनाए रखने की दिशा में काम करना है।
पिछले वर्ष ‘वोकल फॉर लोकल’ को बढ़ावा देने के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ‘मन की बात’ प्रोग्राम में सी.वी. राजू के प्रयासों की सराहना की और लोगों को उनसे प्रेरणा लेने की सलाह दी थी।
इन खिलौनों को ‘एटिकोप्पका’ (GI Tagged Etikoppaka Toys) के नाम से जाना जाता है।
ये आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम ज़िले में वराह नदी के तट पर स्थित एटिकोप्पका गाँव के कारीगरों द्वारा बनाए गए पारंपरिक खिलौने हैं, ये खिलौने लकड़ी से बने होते हैं और बीज, लाह, छाल, जड़ों तथा पत्तियों से प्राप्त प्राकृतिक रंगों से रंगे जाते हैं।
इन खिलौनों में कोई नुकीला किनारा नहीं होता है।
वे सभी तरफ से गोलाकार होते हैं।
एटिकोप्पका खिलौनों को वर्ष 2017 में भौगोलिक संकेत (GI Tag) प्रदान किया गया था।
एक भौगोलिक संकेत (GI Tag) उन उत्पादों पर दिया जाता है, जिनकी एक विशिष्ट भौगोलिक उत्पत्ति होती है और इसमें उस क्षेत्र की विशेषताओं के गुण व प्रतिष्ठा भी पाई जाती है।
वर्ष 2004-05 में भारत में जीआई टैग प्राप्त पहला उत्पाद दार्जिलिंग चाय थी।