सिविल सेवाओं की भूमिका को प्रभावी बनाने के उपाय भाग-1 - सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश (Measures to make the role of civil services effective Part-1 - Instructions of the Supreme Court)

Posted on March 21st, 2020 | Create PDF File

सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश

 

भारतीय नौकरशाही को राजनीतिक हस्तक्षेप से बचाने के लिए और राजनीतिक मुखिया द्वारा सिविल सेवकों के मनमाने हस्तांतरण पर रोक लगाने के उद्देश्य से वर्ष 2013 में सर्वोच्च न्यायालय ने केन्द्र व राज्य सरकारों को केन्द्र व राज्य स्तर पर सिविल सर्विस बोर्डों के गठन का निर्देश दिया। न्यायालय का मत है कि सिविल सेवकों की एक निश्चित पदावधि होनी चाहिए, उन्हें नेताओं के मौखिक आदेशों के आधार पर कार्य नहीं करना चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय ने यह आदेश जारी किया कि सिविल सेवकों की नियुक्ति, हस्तांतरण व उन पर अनुशासनात्मक कार्यवाही का विनियमन करने वाले प्रस्तावित सिविल सर्विस बोर्ड का गठन 3 माह के अन्दर हो जाना चाहिए। न्यायालय ने केन्द्र सरकार को भारतीय नौकरशाही को राजनीतिक हस्तक्षेप से बचाने के प्रश्न पर एक व्यापक कानून बनाने को कहा है।

 

न्यायाधीशों ने स्पष्ट किया कि सरकारी नीतियों व कार्यक्रमों के क्रियान्चयन का लाभ गरीबों तक पहुँच सके, इसके लिए यह आवश्यक है कि मनमाने व त्वरित गति से सिविल सेवकों का हस्तांतरण करने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगे। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2006 में भारतीय पुलिस के लिए भी सर्वोच्च न्यायालय ने इसी प्रकार के दिशानिर्देश जारी किए थे। सर्वोच्च न्यायालय ने भारतीय सिविल सेवा अथवा नौकरशाही में राजनीतिक हस्तक्षेप के मुदृदे को व्यापक दृष्टिकोण के साथ देखा है। इसने राजनीतिज्ञों द्वारा मौखिक आदेश देने की प्रव॒त्ति पर अंकुश लगाने को अत्यधिक आवश्यक समझा।

 

गौरतलब है कि वर्ष 1964 में संथानम समिति की रिपोर्ट में मौखिक आदेश (Verbal Orders) का मुदृदा पहली बार दिखा था। इस समिति की रिपोर्ट में भी सिविल सेवकों द्वारा राजनीतिज्ञों के लिखित आदेशों पर कार्य करने की सिफारिश की गई थी। वर्ष 1975 में राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान सिविल सेवकों द्वारा नेताओं के मौखिक आदेशों के दुरुपयोग के मामलों का उदाहरण पाकर शाह आयोग द्वारा भी सिविल सेवकों से लिखित आदेश पर कार्य करने की अनुशंसा की गई थी। भारत के भूतपूर्व कैबिनेट सचिव टी. एस.आर. सुब्रमण्यम ने राडिया टेप प्रकरण में मौखिक आदेशों के दुरुपयोग की पुष्टि की थी।